सम्पूर्ण महाभारत किताब पीडीऍफ़ Mahabharat Book in Hindi PDF mahabharat book in hindi gita press pdf संपूर्ण महाभारत हिंदी में online पीडीऍफ़ डाउनलोड
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संक्षिप्त महाभारत आदिपर्व प्रन्थका उपक्रम
नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् । पहले कौर और महायुद्ध हो चुका है। ह देवी सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥ अन्तर्यामी नारायणस्वरूप भगवान् श्रीकृष्ण उनके सखा नर-रात्र अर्जुन, उनकी लीला प्रकट करनेवाली भगवती सरस्वती और उसके वक्ता भगवान् व्यासको नमस्कार करके, आसुरी सम्पतियोंका नाश करके अन्तःकरणपर विजय प्राप्त करानेवाले महाभारत अन्यका पाठ करना चाहिये।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । ॐ नमः पितामहाय ॐ नमः प्रजापतिभ्यः । ॐ नमः कृष्णद्वैपायनाय। ॐ नमः सर्वविघ्नविनायकेभ्यः ।
लोमहर्षणके पुत्र व्यभवा सूतवंशके बेह पौराणिक थे। एक बार जब नैमिषारण्य क्षेत्रमें कुलपति शौनक बारह वर्षका सत्संग कर रहे थे, तब उपभवा बड़ी विनयके साथ सुखसे बैठे हुए व्रतनिष्ठ ब्रह्मर्षियोंके पास आये। जब नैमिवारण्यवासी तपस्वी ऋषियोंने देखा कि उपया हमारे आश्रम में आ गये है
तब उनसे चित्र-विचित्र कथा सुननेके लिये उन लोगोंने उन्हें घेर लिया। अवाने हाथ जोड़कर सबको प्रणाम किया और सरकार पाकर उनकी तपस्याके सम्बन्ध कुशल- किये सब ऋषि-मुनि अपने-अपने आसनपर विराजमान हो गये और उनके आज्ञानुसार वे भी आसन पर बैठ गए
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अपने आसनपर बैठ गये। जब वे सुखपूर्वक बैठकर विश्राम मैं कर चुके, तब किसी ऋऋषिने कथाका प्रसङ्ग प्रस्तुत करनेके स लिये उनसे यह प्रश्न किया- ‘सूतनन्दन ! आप कहाँसे आ रहे हैं? आपने अबतकका समय कहाँ व्यतीत किया है ?’ उग्रश्रवाने कहा, ‘मैं परीक्षित-नन्दन राजर्षि जनमेव के सर्प-सत्रमें गया हुआ था। वहाँ श्रीवैशम्पायनजीके मुखसे मैने कौ भगवान् श्रीकृष्ण द्वैपायनके द्वारा निर्मित महाभारत ग्रन्थकी अनेकों पवित्र और विचित्र कथाएँ सुनीं।