सुन्दरकाण्ड पीडीऍफ़ गीता प्रेस Sunderkand PDF Gita Press New – गीता प्रेस गोरखपुर सुंदरकांड पीडीऍफ़ सचित्र सटीक मोटा टाइप पीडीऍफ़ डाउनलोड यहाँ से करें जिसका डाउनलोड लिंक लेख के अंत में दिया गया है
रामचरित मानस सुन्दर काण्ड पुस्तक में सबसे अधिक लोकप्रिय पाठ में कोई पाठ है तो सुन्दरकाण्ड है सुन्दर काण्ड में कुल 19 अध्याय हैं मान्यता है कि सुन्दरकाण्ड का धर्य और प्रेम से पाठ किया जाये तो इसका फल चार गुना प्राप्त होता है
सुन्दरकाण्ड की श्रेष्ठता का कारण बताते हुए कहा गया है – सुंदरकाण्ड में श्री राम सुन्दर हैं, कथा सुन्दर है, सीता सुन्दर है. सुन्दर में क्या सुन्दर नहीं है. इसीके साथ इसमें हनुमान जी का पावन चरित्र है, जो भक्तों के लिए कल्पवृक्ष है
सुंदरकाण्ड सम्पूर्ण पाठ अर्थ सहित
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शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् । रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥
शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरने वाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की में वंदना करता हूँ ॥
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा। भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च ॥
- भावार्थ:-हे रघुनाथजी। मैं सत्य कहता हूँ
- और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि
- मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ
- मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए ॥
- अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
- सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥
- भावार्थ:- अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के
- समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने के
- लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान,
- वानरों के स्वामी श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमानजी को मैं प्रणाम करता हूँ ॥