इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम कब आएंगे Zahoor e Imam Mehdi PDF

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हज़रत महदी रह. के जुहूर की ताकीद

अहादीसे मुबारका में आप की तशरीफ आवरी को बहुत ही ताकीद से बयान किया गया है। एक जगह इरशाद है।

عن عبدالله بن مسعود رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال : لَوْ لَم يَبْقَ مِنَ الدُّنيا الا يوم، قال : زائدة (الراوى) لطول الله ذلك اليوم حتى يبعث رجلاً منى (أو) (قال) من أهل بيتي، يواطى اسمه انتمى واسم أبيه اسم أبي زاد في حديث فطر : يملأ الأرض قسطاً وعدلا كما ملئت ظلما وجورا” (ابوداؤد كتاب المهدى ج ٢ / ص ٥٨٨)

तरजुमा: अगर दुनिया का एक दिन भी बाकी रह जाएं, तो अल्लाह – तआला उस दिन को इतना लंबा कर दें गे के कि इस उस में एक आदमी मुझ से या (युं फरमाया के) मेरे अहले बैत में से उस तरह मबऊस फरमा देंगे कि उन का नाम मेरे नाम के मुशाबह हो गा

इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम – इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम कब आएंगे

और उन के वालिद का नाम मेरे वालिद के नाम के मुशाबह हो गा, (वह अद्ल व इन्साफ को दुनिया में उसी तरह भर दें गे जिस तरह वह जुल्म व सितम से भर गई थी) एक जगह इरशाद है।

ن ابي هريرة رضي الله عنه قال : لو لم يبق من الدنيا الا يوماً لطول الله ذلك اليوم حتى يلى، هذا حدیث صحیح ترمذی (٤٧/٢)

यानी अगर दुनया का सिर्फ एक ही दिन बाकी रह जाए गा तो अल्लाह तआला उस दिन को लम्बा कर दें गे यहाँ तक कि (एक आदमी) वाली हो जाएगा।

एक जगह इरशाद है।

عن عبد الله بن مسعود رضي الله عنه قال : قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : “لا تذهب الدُّنيا حتى يملك العرب رجل من أهل بيتى يواطى اسمه اسمى هذا حديث حسن صحیح ترمذی (٤٧/٢

यानी दुनया उस वक्त तक फना नहीं हो गी जब तक मेरे घराने में एक ऐसा आदमी सर जमीने अरब का मालिक न हो जाए, जिस का नाम मेरे जैसा होगा।

  • मजकुरा बाला रेवायत में ” का लफज है इस की वजाहत यह है कि
  • चुके सर जमीने अरब इस्लाम का मरकज़ और पायए तखत है,
  • इस लिए इस का मालिक होने के कुल जीमन का मालिक होना मुराद है,
  • नीज अहले अरब अशरफुत्रास हैं, इस लिए अरबों का सरदार होने को गोया तमाम लोगों का सरदार होना मुराद है।
  • मौलाना मन्जुर अहमद नोमानी रह. लिखते हैं। यह भी कहा जा सकता है
  • कि इब्तेदाए हुकूमत अरब में कायम होगी, फिर पुरी दुनिया में,
  • या यह के हुकूमत का अस्ल मर्कज़ अरब हो गा ।

(मआरिफुल हदीस ८/१७०)

जुहूरे महदी की अहादीस

  • जुहुरे महदी रजि. की अहादीस की कसरत:
  • हाफिज इब्न हजर असकलानी फरमाते हैं कि जुहूरे महदी की अहदीस हद्दे तवातुर तक पहुंची हुई हैं।
  • (शेख बरजंजी रह. और अल्लामा सुयुती रह. ने तवातुर से मुराद तवातुरे मानवी मुराद लिया है)
  • काजी शोकानी आपनी किताब “अलफतहु रब्बानी’ में लिखते हैं।

وجميع ما سقناه بَلغَ حد التواتر، كما لا يخفى على من له فضل اطلاع” (1.1/15, Yiija)

कि हम ने जिस कद्र रिवायात जिक्र की हैं वह तवातुर की हद तक पहुंच चुकी हैं, जैसा कि वाकफियत रखने वाले पर मखफी नहीं हैं। इसी किस्म की बात” शरहे अकीदतुस्सफारीनी” में भी है कि

قد كثرت الروايات بخروج المهدى، حتى بلغت حد التواتر المعنوى

(A/P) कि हजरत महदी रजि. के जुहूर की अहादीस इस कसरत से वारिद हुइ हैं कि तवातुरे मानवी की हद तक पहुंच चुकी हैं।

  • शाह अब्दुल हक मुहद्दिस दहलवी रह. “अशिअतुलम आत लिखते हैं:
  • दरीन बाब अहादीसे विसयार वारिद शुद, करीब व तवातुर (अशिअ अतुल आत ३३७/४) कि इस बाब में बहुत सी रिवायात हैं जो तवातुर के बिलकुल करीब हैं।
  • जुहूरे महदी रजि. की अहादीस की मकबुलियत:
  • पुरी उम्मते मुसले मा ने उन अहादीस शरीफा को कुबुल किया है,
  • जिन में हजरत महदी रजि. के जुहूर का बयान है, चुनांचे अल्लामा मनावी रह.
  • जामे सगीर की शरह “फैजुल कदीर” में फरमाते हैं।
  • اخبار المهدى كثيرة شهيرة أفردها غير واحدٍ في التاليف الخ (فيض القدير (T४९/qall
  • कि हज़रत महदी रजि. से मुतअलिक अहादीस कसरत से वारिद हैं
  • नीज मशहूर भी हैं हत्ता कि लोगों ने उन्हें मुसतकिल तालीफात में जिक्र किया है।

हजरत महदी रज़ि. के नाम की सराहत

तकरीबन ९० से जाएद अहादीसे मरफुआ हैं जिन में तीस अहादीस में सराहत से महदी रजि. का नाम है, और आसारे सहाबा और अकवाले ताबईन इस के इलावा हैं।

नोट : बाज़ अहादीस में अगर चे कि नाम मजकुर नहीं है ताहम मुहटिसीन के हाँ यह कायदा तो मशहुर है कि अगर एक वाकेए से मुतअलिक मुखतलिफ अहादीस वारिद हैं, उन में बाज मुजमल हों और बाज मुफस्सल, तो मुजमाल को मुफस्सल ही के उपर हमल किया जाता है।

हज़रत महदी का जुहूर कब होगा ? – इमाम मेहदी अलैहिस्सलाम कब आएंगे

अहादीस में बहुत ही ताकीद के साथ हज़रत महदी की तशरीफ आवरी और उस के बाद उम्मते मुसलेमा के उरूज और तरक्की की यकीनी खबरें दी गई हैं। लेकिन साथ की किस वक्त कि साल, किस महीने आप का जुहूर हो गा यह नहीं बताया गया है।

हाँ अहादीस से जिस ज़माने में आप का जुहूर होने वाला है उस वक्त .. के उम्मते मुसलेमा के अहवाल का काफी हद तक अंदाजा हो सकता है, जिस से यह पता चल सकता है कि अब जुहूरे महदी का ज़माना करीब है।

ज़मानाए जुहूर के करीब उम्मत के उमुमी हालात

  • जमीन जुल्म व सितम से भर चुकी होगी।
  • जुल्म इतना शदीद हो गा कि पनाह की जगह ना मिलती हो गी ।
  • इस सिलसिले की एक रिवायत हाकिम रह. ने जिक्र की है।
  • سعيد الخدري رضي الله عنه قال : قال رسول الله صلى الله عليه وسل

ينزل بأمتى بلاء شديد من سلطانهم حتى يضيق الأرض عنهم فيبعث الله رجُلاً من عترتي فيملأ الأرض قسطاً وعدلا كما ملئت ظلما وجوراً الخ

  • मेरी उम्मत पर उन के हुकमरानों की जानिब से बहुत सख्त मुसीबतें
  • आएं भी यहाँ तक कि उन पर जमीन तंग हो जाए गी।
  • फिर अल्लाह तआला मेरे खानदान में से एक शख्स को मबऊस फरमाए गा,
  • वह जमीन को अल व इनसाफ से ऐसी ही भर दे गा जैसे वह जुल्म व सितम से भर चुकी थी।
  • लोग एक दुसरे पर थुकते होंगे। :
  • لا يخرج المهدي حتى يبصق بعضكم في وجه بعض منتخب كنز
  • यानी महदी उस वक्त तक जाहिर नहीं होंगे जब तक तुम लोग एक दुसरे पर थुकने ना लग जाओ ।
  • हजरत मुफती निजामुद्दीन शामजइ रह. की तहकीक के मुताबिक यह हदीस काबिले एतेबार है। –
  • (अकीदए जुहूर महदी ७०)
  • अल्लाह का नाम लेना गरदन ज़दनी का जुर्म होगा
  • उम्मत पर बहुत ही आजमाइश हो गी।
  • लोगों में इखतेलाफ और जलजले यानी परेशान कुन हालात

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