अंडरस्टैंड इस्लामिक बुक पीडीऍफ़ Understanding Islam Book PDF towards understanding islam pdf free download अंडरस्टैंडिंग मुहम्मद लेखक अली सीना PDF
इस्लाम क्या है ? = एक अल्लाह में यकीन रखना ही इस्लाम है। वह (अल्लाह) वगैर किसी शक्ल व सूरत के एक उत्कृष्ट रितत्तव है जिसको हम समझ सकते हैं।
अरबी भाषा में इस्लाम शब्द के अनेक अर्थ हैं। इस शब्द की उत्पत्ति ‘सलाम’ के मूल अक्षरों (सीन) (लाम) तथा (मीम) से हुई है। इन अक्षरों से इस्लाम शब्द के साहित्यक अर्थ का वर्णन है अर्थात आत्म समर्पण शांति तथा सुरक्षा। सलाम अल्लाह के गुणों में से एक है।

एक मुसलमान ऐसी “शख्सियत होती है जो खुद को अल्लाह की इबादत के लिये पेश करता है। इसलिये वह सब जो अल्लाह के ‘एक’ होने के मूल संदेश पर युकीन रखते हैं मुस्लमान बनाये गये। इनमें तमाम नबी, आदम, नूह, मूसा व ईसा से लेकर मोहम्मद तक शामिल हैं (अल्लह उन सबको बरकत तथा शांति दे)
इस्लाम मानव जाति के लिये रहम (करुणा) बनकर आया यह मार्गदर्शन की एक पुस्तक के रूप में आया जिसको अल्लाह का शब्द ‘कुअन’ कहते हैं। यह १४०० वर्ष पूर्व प्रकट हुआ और आज तक बगैर किसी तबदीली के मौजूद है। यह किताब आखरी नबी मुहम्मद की शिक्षाओं के साथ दर्शाती कि म्रष्टा के आदेशानुसार समस्त मानव जीवन के हर आयाम में चाहे भौतिक या आत्मिक हो, किस प्रकार का व्यवहार होना चाहियें।
हज्ज (मक्का का तीर्थ यात्रा) – अंडरस्टैंड इस्लामिक बुक पीडीऍफ़
यदि एक मुसलमान समर्थ है, स्वस्थ है उसके ऊपर कर्ज का बोझ नहीं है तो अल्लाह ने उसको जीवन में एक बार मक्का की तार्थयात्रा की अनिवार्य किया है। हज की औपचारिकताएँ नवी इब्राहीम के समय से शुरू हुई थीं और मक्का में उन्होंने और उनके परिवार ने जो सकंट सहे थे, उनका भी स्मरण कराती हैं। हज, काबा की यात्रा भी है जो जो अल्लाह का प्रतीकात्मक पर है जिसको मूलतः नवी आदम ने बनाया था।
- हज्ज उस वक्त है जब सारे विश्व से अलग अलग जगहों भाषाओं,
- वर्णों के लोग एक विश्ववाणी बंधुत्व की भावना से एक अल्लाह की इबादत के लिये जमा होते हैं।
- आदमी केवल सफेद कपड़े के दो टुकड़ों से तन ढकता है जो इनके बीच की खासीयत,
- तबके के फर्क के एहसान को मिटा देते हैं। अमीर, गरीब, काले गोरे एक दूसरे के करीब मिलकर खड़े होते हैं।
- अल्लाह की नजरो में सब बराबर है अल्लाह के नजदीक उनका दर्जा अपने कर्मों के आधार पर है।
हज्ज एवं ईद-अल-अजहा जैसे पावन उत्सव की खुशी मनाना अल्लाह की इबादत है और जरूरत मंद लोगो को याद करने का पर्व है। कुवांनी (बलि) का गोश्त जरूरत मंद लोगों में बांटा जाता है और एक अतिरिक्त नमाज पढ़ी जाती है।
- हज्ज के लिये एक महीना निर्धारित है, तो
- जिस किसी ने हज्ज को अपने उपर फर्ज किया (अहराम पहना) तो फिर (उसके लिये)
- अपनी बीबी से चीन संबंध, गुनाह करने, लड़ाई झगड़ा करने से बचना है,
- तुम जो नेकी करोगे अल्लाह को उस नेकी की खबर है।
- और अपने साथ सफर खर्च ले लिया करो और सबसे अच्छा तो अल्लाह का डर है,
- अल्लाह कहता है ऐ अक्लमंदों मुझसे डरते रहा करो”
(कुऑन २,१९७)
Understanding Islam Book IN HINDI
अंडरस्टैंड इस्लामिक बुक पीडीऍफ़ Understanding Islam Book PDF – पैगम्बरों के भेजने का मकसद (उद्देश्य)
क्या यह ठीक है कि किसी चीज को बनाया जाये और उसको बगैर किसी कानून और नियम के काम करने की इजाजत दी जाये और फिर उसको बुला कर नियम तोड़ने की सजा दी जाये?
स्वतंत्र इच्छाओं तथा सूझ बूझ की ताकत के साथ मनुष्य की रचना करने के बाद अल्लाह ने अपनी अपार बुद्धिमता से वह फैसला किया कि इस मानव जाति के मार्गदर्शन (हिदायत) के लिये देवदूतो और संदेशवाहकों (पैगम्बरों, नवीयों) को भेजा जाये। हर एक नवी को उसके खास लोगों के बीच भेजा गया था
जो उनको एक अल्लाह की इबादत की जरूरत और उसके साथ किसी दूसरे को शरीक करने की आदत से दूर रखने की बाद दहानी (स्मरण) कराते रहें। यह देवदूत ख़ुदा, उसके बेटे या उसके साथी नहीं वे बल्कि सिर्फ मानवजाति के अच्छे मानव थे जो अपनी दीनता, नैतिकता शांतिमयता और अल्लाह की जानकारी के कारण चुने गये।
पैगम्बरों के भेजने का मकसद (उद्देश्य
- अल्लाह ने मानव जाति के पहले दिन से ही नवीयों की एक लम्बी श्रखला (जंजीर) भेजी।
- नवी आदम (मानव जाति के दादा) से लेकर अंतिम नबी मुहम्मद तक
- इस लम्बी जंजीर में इस्राईल की संतानों के नवी और पांच महान पैम्मवर शामिल हैं
- जो बहुत ही महत्वपूर्ण मार्गदर्शनों के साथ भेजे गये।
- नूह, इब्राहीम, मूसा, ईसा और मुहम्मद (अल्लाह इन सब पर अपनी दया और शान्ति करे)
- नवी, मानवता के लीडर थे जो एक अल्लाह की इबादत का सबक (पाठ) देते थे ।
- उनको अच्छी नैतिकताओं तथा मानवधिकारों (इन्सानी हुकूक) की जानकारी थी।
- उन्होंने अपने लोगों को एक साथ रहने की हिदायत की।
- कुरान कहता है कि हर एक पैग़म्बर ने अपने लोगों से कहा;
- “ऐ मेरे लोगों ! अल्लाह की इबादत करो,
- अल्लाह के सिवा तुम्हारा कोई माबूद (पूज्य) नहीं है” – (कुअन ७, ५९) अल्लाह
- ताला इन्साफ का, भलाई का और रिश्तेदारों के साथ अच्छे व्यवहार का हुक्म देता है
- और बेहयाई के काम, नाशायरता और जुल्म व ज्यादती से रोकता है
- वह खुद तुम को नसीहते दे रहा है कि तुम नसीहत हासिल करो” – (कुअन १६, १०)