उमरा का तरीका पीडीऍफ़ Umrah Ka Tarika PDF BOOK IN HINDI

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उमरह की अदायगी का तरीका – उमरह का हुकुम

साहने इस्लिलात के लिए जिन्दगी में एक भरतवा उमरह अदा करना सुन्नत है और एक से ज्यादा करना मुस्तहब है अगर बाज उसमा के नजदीक साहने हरिताअत के लिए जिन्दगी में एक मरतब उमाह की अदापनी है।

उमरह की फजीलत

हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया एक उमरह दूसरे उमरे तक उन गुनाहों का कम्परा है जो दोनों उमरों के दरमियान सरजद हो और हज्जे मबरूर का बदला तो जन्नत (बुखारी व मुस्लिम)

हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया पै दर हज व उमरे किया करो, बेशक यह दोनों (हज व उमरह) गरीबी और गुनाहों को इस तरह दूर कर देते हैं जिस तरह भटठी लोहे और सोने व चांदी के मैल कुपैल को दूर कर देती हैं।

(तिमी, इ माजा)

हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया हज व उमरह करने वाले अल्लाह तआला के मेहमान हैं अगर वह अल्लाह तमाला से दुआ करें तो वह कूल फरमाए, अगर वह इससे मगफिरत तलब करें तो वह उनकी मगफिरत फरमाए (इब्ने माजा)

हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया रमजान में उमरे का सवाल हज के बराबर है। रिवायत में है कि सूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया रमजान में उमरह करना मेरे साथ हज करने के बराबर है। (मुस्लिम)

सफर का शुरू करना – उमरा का तरीका

घर से रवानगी के वक्त दो रिकात नफल अदा करें और अल्लाह तआला से सफर की आसानी के लिए उमरह के क़बूल होने की दुआएं करें। अपनी जरूरीयात के सामान के समय अपना पासपोर्ट या इकामा, टिकट और खर्च के लिए रकम भी साथ लै। मर्द हज़रात हस्बे जरूरत एहराम की चादरें भी ले लें।

सफर में नमाज़ को क़स (कम) करना

अगर आप का यह सफर 48 मील यानी तकरीबन 77 किलो मीटर से ज्यादा का है तो आप अपने शहर की हदूद से बाहर निकलते ही शरई मुसाफिर हो जाएंगे। लिहाजा जुहर, असर और इशा की चार रिकात के बजाए दो रिकात फर्ज अदा करें और फजर की दो और मगरिब की तीन ही रिकात अदा करें।

  • अलबत्ता किसी मुक्रीम इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ें
  • तो इमाम के साथ पी नमाज़े अदा करें।
  • हाँ अगर इमाम भी मुसाफिर हो तो चार के बजाए दो ही रिकात पढ़ें।
  • सुन्नतों और नफल का हुकुम यह है कि अगर इतमिनान का वक्त है तो पूरी पढ़े
  • और अगर जल्दी है या थकन है या कोई और दुशवारी है।
  • तो न पढ़े, कोई गुनाह नहीं अलबत्ता वितर और फजर की दो रिकाल सुन्नतों को न छोड़े ।

उमरह के अरकान – उमरा का तरीका

उमरह में चार अरकान होते हैं।

  1. मौकात से एहराम बांधना।
  2. मस्जिदे हराम पहुंच कर बैतुल्लाह का तवाफ करना।
  3. सफा मरता की सई करना।
  4. सर के बाल मुंडवाना

मौकात – मौकात असल में वक्त मुअय्यन और मकाने मुजेय्यन का नाम है।

मौकाते जमानी – पूरे साल रात, दिन में जब चाहे और जिस वक्त चाहे उमरह का एहराम बांध सकते हैं लेकिन उम्स मोमेनीन हज़रत आईशा (रजियल्लाहु अन्हुमा) की हदीस के पेशे नजर

  • हज़रत इमाम अबु हनीफा (रहमतुल्लाह अलैह ने पांच दिन (9 जिलहिज्जा से 13 जिलहिज्जा तक)
  • उमरह की अदायगी को मकरूह तहरीमी करार दिया है
  • खाह हज अदा कर रहा हो या नहीं।
  • हजरत आईशा (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) की यह हदीस बहकी में मजकूर है।

मीकाते मकानी – वह मकामात जहाँ से हज या उमरह करने वाले हजरात एहराम बांधते हैं मीकात कहलाता है। मीकात के एसेबार से पूरी दुनिया की सरजमीन को शरीअते इस्लामिया ने तीन हिस्सों में तकसीम किया है

उमरा का तरीका पीडीऍफ़ Umrah Ka Tarika

हरम

मक्का और उसके चारों तरफ कुछ दूर तक की जमीन हरम कहलाती है. इस मुकद्दस सरज़मीन में गैर मुस्लिमों का आना हराम है।

नौज हर शख्स के लिए चंद चीजें करना हराम है चाहे वहाँ का रहने वाला हो या हज व उमरह करने के लिए आया हो। इसी लिए इसको हरम कहा जाता है।

  • यहाँ के खुद उगे हुए दरख्त या पौधे काटना।
  • यहाँ के किसी जानवर का शिकार करना या उसको छेड़ना।
  • गिरी पड़ी चीज (लुक्ला) का उठाना।

हुदै हरम के अंदर मुस्तकिल या आरजी तौर पर रहने वाले यानी अहले हरम को उमरह का एहराम बांधने के लिए हरम से बाहर हिल में जाना होगा। हिल में सब से करीब जगह तनयीम है जहाँ मस्जिदे आइशा बनी हुई हैजो मस्जिदे हराम से साढ़े सात किलो मीटर के फासले पर है।

हिल

  • मीकात और हरम के दरमियान की सरज़मीन हिल कहलाती है
  • जिसमें वह चीजें हलाल हैं जो हरम में हराम थीं।
  • अहले हिल जिनकी रिहाइश मीकात और हुद्दे हरम के दरमियान है
  • मसलन जहां के रहने वाले, उमरह का एहराम अपने घर से बांधेगें।

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