तुलसी के चमत्कारी गुण पीडीऍफ़ Tulsi Ke Chamatkari Guna PDF

तुलसी के चमत्कारी गुण पीडीऍफ़ डाउनलोड Tulsi Ke Chamatkari Guna PDF तुलसी के चमत्कारी गुण और फायदे हिंदी में पीडीऍफ़ किताब डाउनलोड करें – Shri Ram Sharma Acharya

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जब से संसार में सभ्यता का उदय हुआ है, मनुष्य रोग और औषधि इन दोनों शब्दों को सुनते आए हैं। जब हम किसी शारीरिक कष्ट का अनुभव करते हैं तभी हमको ‘औषधि’ की याद आ जाती है, पर आजकल औषधि को हम जिस प्रकार ‘टेबलेट’, ‘मिक्चर’, ‘इंजेक्शन’, ‘कैप्सूल’ आदि नए-नए रूपों में देखते हैं, वैसी बात पुराने समय में न थी।

उस समय सामान्य वनस्पतियाँ और कुछ जड़ी-बूटियाँ ही स्वाभाविक रूप में औषधि का काम देती थीं और उन्हीं से बड़े-बड़े रोग शीघ्र निर्मूल हो जाते थे, तुलसी भी उसी प्रकार की औषधियों में से एक थी।

तुलसी के चमत्कारी गुण

जब तुलसी के निरंतर प्रयोग से ऋषियों ने यह अनुभव किया कि यह वनस्पति एक नहीं सैकड़ों छोटे-बड़े रोगों में लाभ पहुँचाती है और इसके द्वारा आसपास का वातावरण भी शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद रहता है तो उन्होंने विभिन्न प्रकार से इसके प्रचार का प्रयत्न किया। उन्होंने प्रत्येक घर में तुलसी का कम से कम एक पौधा लगाना और अच्छी तरह से देखभाल करते रहना धर्म कर्त्तव्य बतलाया। खास-खास धार्मिक स्थानों पर ‘तुलसी कानन’ बनाने की भी उन्होंने सलाह दी, जिसका प्रभाव दूर तक के वातावरण पर पड़े।

धीरे-धीरे तुलसी के स्वास्थ्य प्रदायक गुणों और सात्विक प्रभाव के कारण उसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि लोग उसे भक्ति भाव की दृष्टि से देखने लगे, उसे पूज्य माना जाने लगा।

तुलसी के चमत्कारी गुण पीडीऍफ़

इस प्रकार तुलसी की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ गई, क्योंकि जिस वस्तु का प्रयोग श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है, उसका प्रभाव बहुत शीघ्र और अधिक दिखलाई पड़ता है।

  • हमारे यहाँ के वैद्यक ग्रंथों में कई स्थानों पर चिकित्सा कार्य के
  • लिए जड़ी-बूटियाँ संग्रह करते समय उनकी स्तुति प्रार्थना करने का विधान बतलाया गया है
  • और यह भी लिखा है कि उनको अमुक तिथियों या नक्षत्रों में तोड़कर या काटकर लाया जाए।
  • इसका कारण यही है कि इस प्रकार की मानसिक भावना के साथ ग्रहण की हुई
  • औषधियाँ लापरवाही से बनाई गई दवाओं की अपेक्षा कहीं अधिक लाभप्रद होती हैं।
  • कुछ लोगों ने यह अनुभव किया कि तुलसी केवल शारीरिक व्याधियों को ही दूर नहीं करती
  • वरन मनुष्य के आंतरिक भावों और विचारों पर भी उसका कल्याणकारी प्रभाव पड़ता है।
  • हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार किसी भी पदार्थ की परीक्षा केवल उसके प्रत्यक्ष गुणों से ही नहीं की जानी चाहिए
  • वरन उसके सूक्ष्म और कारण प्रभाव को भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
  • तुलसी के प्रयोग से ज्वर, खाँसी, जुकाम आदि जैसी अनेक बीमारियों में तो लाभ पहुँचता ही है
  • उससे मन में पवित्रता, शुद्धता और भक्ति की भावनाएँ भी बढ़ती हैं।
  • इसी तथ्य को लोगों की समझ में बैठाने के लिए शास्त्रों में कहा गया है-

त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि ।

विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना ॥

तुलसी गन्धमादाय यत्र गच्छन्ति मारुतः ।

दिशो दशश्च पूतास्तुर्भूत ग्रामश्चतुर्विधः ॥

अर्थात, ‘यदि प्रातः, दोपहर और संध्या के समय तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे मनुष्य की काया इतनी शुद्ध हो जाती है जितनी अनेक बार चांद्रायण व्रत करने से भी नहीं होती।

तुलसी की गंध वायु के साथ जितनी दूर तक जाती है, वहाँ का वातावरण और निवास करने वाले सब प्राणी पवित्र-निर्विकार हो जाते हैं।’

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