सुन्नी वहाबी की पहचान क्या है Sunni Wahabi Ki Pehchan Hindi PDF शिया और सुन्नी मुसलमानों में क्या अंतर है पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड करें शिया और सुन्नी मुसलमान में क्या फर्क है जाने
इस्लामिक किताब सुन्नी वहाबी की पहचान क्या है? पीडीऍफ़ प्रारूप डाउनलोड करें जिसका डाउनलोड लिंक सबसे आखिर में दिया गया है आगे पढ़े कुछ अंश किताब से लिखा हुआ
सुन्नी वहाबी की पहचान
वहाबी, देवबन्दी सहाबा के तरीके पर नहीं हैं
ऐ ईमान वालो ! जब सहावा-ए-किराम रज़ियल्लाहो तआला अन्हुम का तरीका और सुन्नत रोशन और साबित हो गया तो हक और ईमान त के साथ जांचो और परखो कि वहावी, देवन्बदी, तब्लीग़ी, अहले हदीस कहलाने वाले गैर मुकल्लिद वगैरह सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहो तआला अन्हुम के तरीका और सुन्नत पर हैं कि नहीं। तो यकीनी तौर पर मालूम हो जाएगा कि नहीं हैं। इस लिये कि सहाबा-ए-किराम या रसूलल्लाह सल्लल्लाहो तआला अलैका व आलिका व सल्लम पुकारते थे और वहाबी, देवबन्दी शिर्क कहते हैं।
सहाबा-ए-किराम अंगूठा चूम कर आँखों से लगाते थे और वहाबी, देवबन्दी नाजाइज़ व हराम कहते हैं।
लिहाज़ा सूरज की रोशनी से ज्यादा रोशन और साबित हो गया कि भु वहाबी, देवबन्दी, तब्लीग़ी, ग़ैर मुक़ल्लिद वगैरह बद अक़ीदा और गुमराह फिक्र सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहो तआला अन्हुम के तरीका और सूत्रत के खिलाफ हैं बल्कि बद मज़हब व गुमराह और कुल्लुहुम फिन्नार के मिस्ट्राक़ जहन्नमी और दोजखी हैं।
ऐ ईमान वालो ! अब आइये और ग़ैर मुकल्लिद अहले हदीस कहलाने वाले वहाबी और देवबन्दी, तब्लीगी फिर्के का अकीदा और मजहब व मस्लक जो उनकी किताबों में मौजूद है हवालों के साथ मुलाहजा फरमाइये और खुद ही फैसला कीजिये।
वहाबी, देवबन्दी का अकीदा कि रसूलुल्लाह..
मर कर मिट्टी में मिल गए
- अहले हदीस कहलाने वालों के इमाम और वहाबियों,
- देवबन्दियों के पेशवा मौलवी इस्माईल दहलवी लिखते हैं कि-
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम मर कर मिट्टी में मिल गए। (तकवीयतुल ईमान, स. 133)
- नबी मर गया वह भी कभी जिन्दा था और ब शरीयत की क़ैद में गिरफ्तार। (तकवीयतुल ईमान, स. 132 )
- अहले हदीस कहलाने वालों के पेशवा मौलवी सनाउल्लाह अमृतसरी लिखते हैं कि-
- हमारा अक़ीदा है कि औं हज़रत सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम दूसरे इन्सानों की तरह वफ़ात पा गए।
अखबार अहले हदीस अमृतसर, 25 अप्रैल 1941