सुन्नते निकाह पीडीएफ डाउनलोड Sunnat e Nikah PDF in
Hindi Nikah ke masail Dawateislami pdf nikah karne ka sunnat tarika निकाह की
किताब
सुन्नते निकाह पीडीएफ डाउनलोड Sunnat e Nikah PDF in Hindi Nikah ke masail Dawateislami pdf nikah karne ka sunnat tarika निकाह की किताब
Sunnat e Nikah : सुन्नते निकाह, जिसे भी इस्लामिक निकाह के रूप में जाना जाता है, एक मुस्लिम शादी का आदर्श तरीका है जो प्रोफ़ेट मोहम्मद (सल्लाहु अलैहि व सल्लम) द्वारा स्थापित किया गया था. सुन्नते निकाह में अपने आप को शोहर और बीवी के रूप में बंधने की प्रक्रिया होती है.
सुन्नते निकाह Sunnat e Nikah
सुन्नते निकाह Sunnat e Nikah : इस निकाह में कुछ महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जैसे:
- इजाब ओ कबूल (आपत्ति और स्वीकृति):
- विवाह में, दोनों पक्षों के बीच मुतुअल सम्मति और स्वीकृति होनी चाहिए।
- शोहर को निकाह पढ़ना होता है और बीवी को स्वीकार करना होता है।
- महर (विवाहिता के लिए उपहार):
- विवाहिता को महर के रूप में धनराशि दी जाती है,
- जो उसके अधिकार और सुरक्षा को प्रतिष्ठित करती है।
- महर एक लड़की(दुल्हन) को विवाहित करने के बाद दिया जाता है
- और यह कोई आवश्यकता नहीं है कि यह तुरंत चुकाया जाए।
- गवाह (साक्षी):
- निकाह में, कम से कम दो साक्षी होने चाहिए जो निकाह की प्रक्रिया को साक्ष्य के रूप में पुष्टि करते हैं।
- सुन्नते निकाह एक महत्वपूर्ण आयोजन है जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी शादी के लिए अनुसरण करते हैं।
- यह विवाह की प्रक्रिया और विवाहिता के अधिकारों को स्पष्ट करने का एक तरीका है
- जो उन्हें धार्मिक और सामाजिक मान्यता देता है।
सुन्नते निकाह इन हिंदी
nikah karne ka sunnat tarika – निकाह करना कब सुन्नत है ?
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अगर महर, नान व नक्का देने और अज़्दवाजी हुकूक पूरे करने पर कादिर हो और शहवत का बहुत ज़ियादा गु-लबा न हो तो निकाह करना सुन्नते मुअक्कदा है। ऐसी हालत में निकाह न करने पर अड़े रहना गुनाह है। अगर हराम से बचना… या इत्तिबाए सुन्नत…या औलाद का हुसूल पेशे नज़र हो तो सवाब भी पाएगा और अगर महूज़ हुसूले लज्ज़त या कज़ाए शह्वत मक्सूद हो तो सवाब नहीं मिलेगा, निकाह बहर हाल हो जाएगा।
(माखूज अज बहारे शरीअत, किताबुन्निकाह हिस्सा : 7, स. 559)
निकाह करना फर्ज़ भी है और हराम भी !
निकाह कभी फ़र्ज़, कभी वाजिब, कभी मक्रूह और बाज़ अवकात तो हराम भी होता है। चुनान्चे अगर येह यकीन हो कि निकाह न करने की सूरत में जिना में मुब्तला हो जाएगा तो निकाह करना फ़र्ज़ है। ऐसी सूरत में निकाह न करने पर गुनाहगार होगा। अगर महर व नफ्का देने पर कुदरत हो और गु-ल-बए शह्वत के सबब जिना या बद निगाही या मुश्त जुनी में मुब्तला होने का अन्देशा हो तो इस सूरत में निकाह वाजिब है. अगर नहीं करेगा तो गुनाहगार होगा।
अगर येह अन्देशा हो कि निकाह करने की सूरत में नान व नफ्का या दीगर ज़रूरी बातों को पूरा न कर सकेगा तो अब निकाह करना मक्रूह है। अगर येह यकीन हो कि निकाह करने की सूरत में नान व नक्का या दीगर ज़रूरी बातों को पूरा न कर सकेगा तो अब निकाह करना हराम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है (ऐसी सूरत में शहवत तोड़ने के लिये रोजे रखने की तरकीब बनाए ।
(माखूज़ अज् बहारे शरीभृत, किताबुन्निकाह, हिस्सा : 7, स. 559)
निकाह की निय्यतें Nikah Ki Niyat
निकाह की निय्यतें Nikah Ki Niyat : नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर, दो जहां के ताजवर, सुल्ताने बहुरो बर का फरमाने आलीशान है ३० यानी मुसल्मान की निय्यत उस के अमल से बेहतर है। जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।
शैखे तरीकत अमीरे अहले सुन्नत बानिये दावते इस्लामी हज़रते अल्लामा मौलाना मुहम्मद इल्यास अत्तार कादिरी र जुवी फ़रमाते हैं : निकाह करने वाले को चाहिये कि अच्छी अच्छी निय्यतें कर ले ताकि दीगर फ्वाइद के साथ साथ वोह सवाब का भी मुस्तहिक हो सके।
“निकाह सुन्नत है” के नव हुरूफ़ की निस्बत से 9 निय्यतें पेशे ख़िदमत हैं :
- सुन्नते रसूल की अदाएगी करूंगा
- नेक औरत से निकाह करूंगा
- अच्छी कौम में निकाह करूंगा
- इस के ज़ीए ईमान की हिफाजत करूंगा
- इस के जरीए शर्मगाह की हिफाज़त करूंगा
- खुद को बद निगाही से बचाऊंगा
- महज लज्ज़त या क़ज़ाए शहह्वत के लिये नहीं हुसूले औलाद के लिये तख़िलया करूंगा
- मिलाप से पहले “बिस्मिल्लाह” और मस्नून दुआ पढूंगा
- सरकार की उम्मत में इजाफे का जरीआ बनूंगा।
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