शिव पुराण गीता प्रेस गोरखपुर PDF DOWNLOAD Shiv Puran NEW

शिव पुराण गीता प्रेस गोरखपुर PDF DOWNLOAD Shiv Puran: किसी भी धार्मिक किताब को पढ़ने के कुछ नियम है इसलिए आपको सबसे पहले शिव पुराण पढ़ने के नियम की जानकारी पहले लेना चाहिए

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शिव पुराण क्या है

धार्मिक किताब में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली का नाम शिव पुराण है इस पुराण में भगवान् शिव जी की विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन मिलता है जो शिव भक्त है उनके लिए यह पुस्तक सबसे लोकप्रिय है ऐसे में हम शिव पुराण गीता प्रेस गोरखपुर के कुछ अंश यहाँ कॉपी कर रहे है

शिव महापुराण का दूसरा अध्याय

इस पुराण में यानी शिव महापुराण का दूसरा अध्याय में देवराज ब्राह्मण की कथा का सार मिलता है जो निम्नवत है –

देवराज ब्राह्मण की कथा

  • बहुत पहले की बात है-किरातों के नगर में देवराज नाम का एक ब्राह्मण रहता था।
  • वह ज्ञान में दुर्बल, गरीब, रस बेचने वाला तथा वैदिक धर्म से विमुख था। वह
  • स्नान-संध्या नहीं करता था तथा उसमें वैश्य वृत्ति बढ़ती ही जा रही थी।
  • वह भक्तों को ठगता था।
  • उसने अनेक मनुष्यों को मारकर उन सबका धन हड़प लिया था।
  • उस पापी ने थोड़ा-सा भी धन धर्म के काम में नहीं लगाया था। वह वेश्यागामी तथा आचार भ्रष्ट था।
  • एक दिन वह घूमता हुआ दैवयोग से प्रतिष्ठानपुर (झूसी-प्रयाग) जा पहुंचा।
  • वहां उसने एक शिवालय देखा, जहां बहुत से साधु-महात्मा एकत्र हुए थे।
  • देवराज वहीं ठहर गया। वहां रात में उसे ज्वर आ गया और उसे बड़ी पीड़ा होने लगी।
  • वहीं पर एक ब्राह्मण देवता शिव पुराण की कथा सुना रहे थे।
  • ज्वर में पड़ा देवराज भी ब्राह्मण के मुख से शिवकथा को निरंतर सुनता रहता था।
  • एक मास बाद देवराज ज्वर से पीड़ित अवस्था में चल बसा।
  • यमराज के दूत उसे बांधकर यमपुरी ले गए।

आगे देवराज ब्राह्मण की कथा

  • तभी वहां शिवलोक से भगवान शिव के पार्षदगण आ गए। वे कर्पूर के समान उज्ज्वल थे।
  • उनके हाथ में त्रिशूल, संपूर्ण शरीर पर भस्म और गले में रुद्राक्ष की माला उनके शरीर की शोभा बढ़ा रही थी।
  • उन्होंने यमराज के दूतों को मार-पीटकर देवराज को यमदूतों के चंगुल से छुड़ा लिया
  • और वे उसे अपने अद्भुत विमान में बिठाकर जब कैलाश पर्वत पर ले जाने लगे तो
  • यमपुरी में कोलाहल मच गया, जिसे सुनकर यमराज अपने भवन से बाहर आए।
  • साक्षात रुद्रों के समान प्रतीत होने वाले इन दूतों का धर्मराज ने विधिपूर्वक पूजन कर ज्ञान दृष्टि से सारा मामला जान लिया। उन्होंने भय के कारण भगवान शिव के दूतों से कोई बात नहीं पूछी।
  • तत्पश्चात शिवदूत देवराज को लेकर कैलाश चले गए।
  • और वहां पहुंचकर उन्होंने ब्राह्मण को करुणावतार भगवान शिव के हाथों में सौंप दिया।
  • शौनक जी ने कहा-महाभाग सूत जी ! आप सर्वज्ञ हैं। आपके कृपाप्रसाद से मैं कृतार्थ हुआ।
  • इस इतिहास को सुनकर मेरा मन आनंदित हो गया है।
  • अतः भगवान शिव में प्रेम बढ़ाने वाली दूसरी कथा भी कहिए।

शिव पुराण गीता प्रेस गोरखपुर PDF DOWNLOAD

PDF NAMESHIV PURAN
LANGUAGEHINDI
PDF SIZE117MB
PAGE756
CATEGORYHINDUISM BOOK
DOWNLOADYES LINK✅
CREDITGITA PRESS GORAKHPUR

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