क़ज़ा नमाज़ का तरीका इन हिंदी Qaza Namaz Ka Tarika PDF

क़ज़ा नमाज़ का तरीका इन हिंदी Qaza Namaz Ka Tarika PDF क़ज़ा नमाज़ कब पढ़ना चाहिए qaza namaz kab nahi padhna chahiye ISLAMIC BOOK IN HINDI

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क़ज़ा नमाज़ या नफ़ल नमाज़ वह नमाज़ है जो उस समय पढ़ी जाती है जब किसी वजह से कोई फ़र्ज़ नमाज़ छूट जाती है या बाद में पढ़ी जाती है। यह नमाज़ एक नफ़ल नमाज़ होती है और इसे ख़ास तौर पर छूटने वाली नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है।

इसे पढ़ने के लिए आप फ़र्ज़ नमाज़ के तरीक़े का अनुसरण करेंगे, लेकिन इसमें कुछ विशेषताएँ हो सकती हैं। आपको अपने मन में यह जानना चाहिए कि आपको कौन सी फ़र्ज़ नमाज़ छूट गई है और इसके बाद आपको क़ज़ा नमाज़ पढ़नी होगी।

क़ज़ा नमाज़ क्या है Qaza Namaz

क़ज़ा नमाज़ (Qaza Namaz) एक इस्लामी शब्द है जिसका अर्थ होता है “अधूरी नमाज़” या “पेंडिंग नमाज़”. इस्लाम में, मुसलमानों को प्रतिदिन पाँच वक्त की नमाज़ पढ़नी होती है – फज़र, जुहर, असर, मग़रिब और ईशा. अगर किसी कारणवश या ग़लती से कोई नमाज़ छूट जाए, तो उसे क़ज़ा नमाज़ कहा जाता है.

Qaza Namaz Ka Tarika – क़ज़ा नमाज़ अधूरी या छूट गई नमाज़ को पढ़कर पूरा करने का तरीक़ा है. जब एक नमाज़ छूट जाती है, तो उसे बाद में पढ़ना चाहिए ताकि सब नमाज़ पढ़ी जा सके और कोई नमाज़ छूट न जाए. क़ज़ा नमाज़ के लिए वक्त का ख़्याल रखना आवश्यक होता है और उसे छूट गई नमाज़ की संख्या और प्रकार के अनुसार पढ़ा जाना चाहिए.

  • क़ज़ा नमाज़ को पढ़ने के लिए उसी तरह का तैयारी करनी चाहिए
  • जैसे आपने किसी नयी नमाज़ के लिए करते हैं। यह मतलब है कि
  • आपको उनीत और पवित्र स्थान में जाना चाहिए और वज़ू करनी चाहिए।
  • इसके बाद, आप बाकी नमाज़ों की तरह अपनी क़ज़ा नमाज़ की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं।
  • इसके लिए, आपको अपनी छूट गई नमाज़ की रकातों को याद करना चाहिए
  • और उन्हें उसी क्रम में पढ़ना चाहिए। इस प्रक्रिया के बाद,
  • आप अपनी छूटी हुई नमाज़ को पूरा कर सकते हैं और अपने आप को संपूर्ण
  • मानसिक और शारीरिक तौर पर नमाज़ में लीन कर सकते हैं।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि क़ज़ा नमाज़ को छोड़कर
  • नमाज़ों की छूट को रोज़ाना बढ़ाना नहीं चाहिए। धर्मग्रंथों या आपके स्थानीय मौलवी या
  • इमाम से परामर्श लेना उचित होगा जिससे आपको सही मार्गदर्शन मिल सके।

जल्द से जल्द क़ज़ा पढ़ लीजिये

जिस के जिम्मे क़ज़ा नमाज़ें हों उन का जल्द से जल्द पढ़ना वाजिब है मगर बाल बच्चों की परवरिश और अपनी जरूरिय्यात की फ़राहमी के सबब ताख़ीर जाइज़ है। लिहाज़ा कारोबार भी करता रहे और फुरसत का जो वक्त मिले उस में क़ज़ा पढ़ता रहे यहाँ तक कि पूरी हो जाएं।

छुप कर क़ज़ा पढ़िये

  • क़ज़ा नमाजें छुप कर पढ़िये लोगों पर (या घर वालों बल्कि करीबी दोस्त पर भी)
  • इस का इज़हार न कीजिये (म-सलन येह मत कहा कीजिये कि
  • मेरी आज की फज्र क़ज़ा हो गई या मैं कजाए उम्री पढ़ रहा हूं वगैरा) कि
  • गुनाह का इज़हार भी मक्रूहे तहरीमी व गुनाह है।
  • लिहाज़ा अगर लोगों की मौजूदगी में वित्र क़ज़ा पढ़ें तो तक्बीरे कुनूत के लिये हाथ न उठाएं।

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