नज़ीर अकबराबादी की शायरी nazeer akbarabadi in hindi pdf download kulliyat e nazeer akbarabadi pdf nazeer akbarabadi ki nazm in urdu
उर्दू शायरी के शौक़ीन के लिए नज़ीर अकबराबादी की शायरी पुस्तक बहुत उपयोगी है ऐसे में आपके साथ नज़ीर अकबराबादी की शायरी (nazeer akbarabadi in hindi pdf) पीडीऍफ़ बुक इन हिंदी में शेयर कर रहे है
नज़ीर अकबराबादी की शायरी
बचपन नज़ीर अकबराबादी की शायरी –
- क्या दिन थे यारों वह भी थे जब वि भोले भाले
- निकले थी दाइ लेकर फिरती कभी दिदा से
- चोटी कोई रखाते बढी कोइ पिन्हा ले
- हमली गले मे डाले, मिन्नत कोई वढा से
- मोटे हो या कि दुबले गोरे हो या वि काले
- क्या ऐश लूटते है मासूम भोले भाले
- दिल मे किसी के हरगिज ने राम ने हमा है।
- धागा भी खुल रहा है पीछा भी खुल रहा है।
- पहने फिरे तो क्या है नगे फिरे तो क्या है
- या यू भी वाहवा है और दू भी वाहवा है
- कुछ खाले इस तरह से कुछ उस तरह से खाले
- क्या ऐया लूटते हैं मासूम भोले भाले
- मर जाये कोई तो भी कुछ उनका गम न करना
- ने जाने कुछ बिगडना में जाने कुछ सवरना
- उनकी बला से घर में हो कंद या कि घिरना
- जिस बात पर ये मचले फिर वह हो कर गुजरना
नज़ीर अकबराबादी की शायरी nazeer akbarabadi in hindi
उनकी योग्यता के बारे मे मिर्जा फरहतुल्ला बेग लिखते हैं – इल्मी काबलियत यह थी कि आठ जवान-धरबी, फारसी,
उर्दू, पंजाबी, भाषा, मारवाडी, पूरबी और हिंदी जानते थे।”
श्री सलीम जाफर का कहना है कि ‘नजीर’ का कद ठिगना, रंग सावला, दाढी नदारद, और अरबी नही जानते थे और जानते भी थे तो बहुत कम। उनका कहना है कि प्रो० शहबाज द्वारा सम्पादित ‘नजीर’ के दीवानो और ‘नजीर का ‘देस-प्रेम’ मे जो तस्वीर दी गयी है उसमे दाढी नही है। अपने वचन की पुष्टि में वे स्वयं ‘नजीर’ के निम्नलिखित शे’र देते –
- कहते है जिसको ‘नजीर’ सुनिए टुक उसका बया
- था वो मुमल्लम’ गरीब बुजदिल-प्रो तरसदा जा
- फजल ने अल्लाह के उसको दिया उम्र भर
- इज्जतो हुरमत के साथ पारचा श्रो धावो ना
- फहम न था इल्म से अरबी के कुछ भी उसे
- फारसी में हा मगर जाने या कुछ ईव आ