नमाज की शिक्षा पीडीऍफ़ हिंदी Namaz ki Shiksha Hindi PDF BOOK FREE DOWNLOAD नमाज का हिंदी में अर्थ किताब से पीडीऍफ़ डाउनलोड नमाज की परिभाषा पीडीऍफ़ फ्री
इस्लाम में नमाज का महत्व
उपरोक्त बयान से इस्लाम में नमाज का महत्व और उसकी प्रधानता का ज्ञान होता है और यह कि वह इस्लाम का दूसरा स्तम्भ है जिसको स्थापित किये बिना इन्सान का इस्लाम ही सही नहीं हो सकता, उसको अदा करने में – आलस्य करना या गफलत करना मुनाफिको- (द्वयवादियों) की निशानियों में से है,
और इसको छोड़ देना कुफ पथभ्रष्टता और इस्लाम की सीमा से बाहर हो जाना है. इसलिए कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है: البين الرجل وبين الكفر والشرك ترك الصَّلاةِ » इसान और कुफ तथा विर्क के बीच अंतर केवल नमाज का छोड़ देना है एक दूसरी हमें है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया
الْعَهْدُ الذي بيننا وبينهم الصلاة ، فمن تركها فقد كفر)
जमाअत के साथ नमाज – नमाज की शिक्षा पीडीऍफ़
जमाअत के साथ नमाज पढ़ना अकेले नमाज पढ़ने से सत्ताईस गुणा श्रेष्ठ है जैसाकि सहीह बुखारी में हदीस है जिसको अब्दुल्लाह बिन उमर रजि अल्लाहु अन्हुमा ने नवी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत किया है।
और एक अन्य हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बयान फरमाया –
لَقَدْ هَمَمْتُ أن أمر بالصلاة فتقام ثم أخلف إلى قَوْمٍ فِي مَنَازِلِهِمْ لا يَشْهَدُونَ الصَّلاة جَمَاعَةٍ فَأَخَرْقُهَا عَلَيْهِمْ))
किया है त “मैंने संकल्प किया है। | जमाअत खड़ी करने का आदेश दे दूँ फिर उन लोगों के पास जाऊं जो अपने घरों में रह जाते हैं और नमाज (जमाअत) में उपस्थित नहीं होते और उनके घरों को जला दू/- (बुखारी एवं मुस्लिम)
इसलिए यदि जमाअत से नमाज पढ़ने को छोड़ देना महापाप न होता तो नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उनके घरों को जला देने की धमकी न देते। अल्लाह तआला बयान फरमाते हैं
(وَأَقِيمُوا الصَّلاةَ وَآتُوا الزَّكَةَ وَارْكَعُوا مَعَ الرَّاكِعِينَ)
“और नमाज स्थापित करो, एवं जकात दो और स्कूअ करने वालों के साथ रुकूल करो (झुक जाओ) /* (अल-बकर:-४३)
इस आयत करीमा से ज्ञात हुआ कि मुसलमानों के साथ जमाअत से नमाज पढ़ना अनिवार्य है।
नमाज की शिक्षा – परिभाषा
परिभाषा – सहीह हदीस द्वारा सिद्ध है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया – इस्लाम की आधारशिला पाँच चीजों पर रखी गई है
- इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सच्चा पूज्य नहीं और मुहम्मद अल्लाह के (अंतिम) रसूल (संदेष्टा) है।
- नमाज स्थापित करना ।
- जकात (अनिवार्य दान) देना ।
- रमजान के रोजे (व्रत) रखना ।
- अल्लाह के घर (काअना) का हज्ज करना, उन लोगों के लिए जो उसका सामर्थ्य और शक्ति रखते है।
उपरोक्त हदीस इस्लाम के पांचों स्तम्भ के बयान को सम्मिलित है ।
प्रथम स्तम्भ : ISLAM
- ला इलाहा इल्लल्लाह एवं मुहम्मदु-रसूलुल्लाह की गवाही देना:
- ला इलाहा इल्लल्लाह की गवाही का अर्थ यह है कि
- अकेले अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं,
- इसलिए शब्द “ला इलाहा अल्लाह के अतिरिक्त जिन चीजों की भी पूजा की जाती है
- उन सभी को नकारता है और शब्द “इल्लल्लाह इबादत (उपासना) को
- केवल एक अल्लाह के लिए जिसका कोई साझी नहीं, सिद्ध करता है।
अल्लाह तआला) फरमाते हैं:
شهد الله أنه لا إله إلا هُوَ وَالْمَلائِكَةُ وَأُولُوا الْعِلْمِ قَائِمًا بِالْقِسْطِ لا إله إلا هُوَ الْعَزِيز
“अल्लाह उसके फरिश्तों तथा ज्ञानियों ने न्याय पर स्थिर रहकर गवाही दी है कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं, वही सर्वशक्तिमान निर्णय करता है।
आले इमरान : १८)
और ला इलाहा इल्लल्लाह की गवाही तीन बातों के इकरार का तकाजा करती है।