माहे मुहर्रम और वाकिया कर्बला पीडीएफ Dastane Karbala Book in Hindi Mahe Muharram aur Waqia-e-Karbala dastane karbala book in hindi pdf
इस्लाम के इतिहास में कर्बला की जंग को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है ऐसे में हम आपके लिए माहे मुहर्रम और वाकिया कर्बला पीडीएफ बुक हिंदी में शेयर कर रहे है
माहे मुहर्रम और वाकिया कर्बला
इस्लाम में मुहर्रम का महीना बहुत ही ख़ास महीना है इस महीने में ही हजरत इमाम हुसैन रजी. की शहादत हुई थी ऐसे में हम आपके लिए माहे मुहर्रम और वाकिया कर्बला किताब से कुछ सारांश शेयर कर रहे है
मक़ाम व मर्तबा ए शहादत
इस्लामी नया साल अपने साथ जो यादें लाता है। उन्हीं में से तारीखे इस्लाम का एक इन्तिहाई दर्दनाक वाया शाहद हुसैन रज भी है। इसी मुनासिब से हर मालूम होता है कि इस्लाम में शहादत के मकान व मर्तबा की वजाहज कुरआन व सुत की रोशनी में कर दी जाएं। चुनान्चे कुरआन करीम के एक दो नहीं बक्सर कामात पर जिहादी स की फजीलत व अज़मत और मकाम व मर्तबा ए शहादत की बुलंदी व मलित बयान हुई है
आप तर्जुमा कुरआन पाक उठाएँ और ज्यादा नहीं तो कमअज कम सूरह कर की आयत 154, 190,218, सूरह आले इमरान की आयत 157, 169 ता 177. सुरह निसा की आयत 74 ता 95, अनफाल की आयत 74 सूरह तौबा की आयत 20, 41, 111 और सूरज की आयत 58 की तिलावत करें और उनका तर्जुमा देखें।
- कहीं फरमाया है “फीसची तिला शहादत पाने वालों को मुरदा न कहो
- बल्कि वह जिन्दा है मगर तुम्हें उस जिन्दगी का शकर नहीं
- कहीं उन्हें रहनते इलाही के उम्मीदवार फरमाया |
- और कहीं रहमत व बखशिश को उनका मुकदर बताया है
- और कह फरमाया कि उन्हें अलाह की तरफ से रिज़क दिया जाता है
- वह माह के फजल व एहसान और जव करम पर खुश होंगे।
माहे मुहर्रम और वाकिया कर्बला पीडीएफ
उन्हें कोई गम या खौफ नहीं होगा। उनके लिए अजे अजीम और बुलंद दरजात है। उन्हें हमेशा के लिए रिजाए इलाही और दाईमी जन्नत की नेअमत हासिल होगी। इन कुरआनी आयात के अलावा बेशुमार हदीसों में भी जिहाद व मुजाहिदीन और शहादत व शहीद की फजीलत बयान की गई है।
- अयू जर्र गफ्फारी रजि ने पूछा:
- يا رسول الله أي العمل أفضل (۲)
- ऐ अन्नाह के रसूल (सल्ललाहु अलैहि वसल्लम) सब से अफजल अमल कौनसा है?”
- तो सलाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया
- ور الایمان بالله و الجهاد في سبيله
- अमाह पर बगैर शक व शुबह के ईमान लाना, और उसकी राह में 2618, मुस्लिम मा नौबी 1/2/73)
- जिहाद करना (बुवारी अबू हुरैरा रजि. से मरवी है :- وان في الجنة مائة درجة أعدها الله للمجاهدين في سبيل الله ))
- जन्नत में एक सौ बुलंद दरात ऐसे हैं जो अाह तआला ने फीसबीहि जिहाद करने वालों के लिए तैयार कर रखे हैं।”
बुखारी मअ अलफतह (2790)6/14)