कुमारतन्त्र पीडीऍफ़ डाउनलोड Kumara Tantra Book PDF कुमारतन्त्र बुक इन हिंदी पीडीएफ Kumar Tantra PDF in Hindi FREE DOWNLOAD
इस भरतखंडकी जैसी आयुर्वेदीय चिकित्सा उपयोगी है वैसी अन्यदेशीय नहीं. परंतु आजकल बहुतसे बालक अनेक रोगों मरते सुने और देखे जाते हैं; बालकों की यथार्थ चिकित्सा नहीं होती. इस प्रकारका भयंकर शब्द देशदेशांतरसे आया हुआ सुनके निवारणार्थ बहुत प्रयत्न से पुरातन ” रावणकृत- कुमारतन्त्र” अर्थात् बाल- चिकित्सा ग्रंथ संस्कृत से बेरीग्रामनिवासी रविदत्तशास्त्री राजवैद्यके द्वारा भाषाटीका रचना कराय स्वच्छतापूर्वक छापकर सज्जनोंके दृष्टिगोचर करते हैं। आशा है कि, सर्वजन बालकोंकी आरोग्यताके लिये इसकी एक २ प्रति अवश्य संग्रह करेंगे ।
कुमारतन्त्र पुस्तक
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भाषाटीकासमेतम् – कुमारतन्त्रम् ।
- प्रथमे दिवसे मासे वर्षे वा गृहाति नन्दना नाममा- तृका, तथा गृहीतमात्रेण प्रथमं भवति ज्वरः ।
- अशुभं शब्दं मुञ्चति, आत्कारं च करोति, स्तन्यं न गृह्णाति ।
- बलिं तस्य प्रवक्ष्यामि येन सम्पद्यते शुभम् ।
- नद्युभयतमृत्तिकां गृहीत्वा पुत्तलिकां कृत्वा शुलौ- दनं शुकुपुष्पं शुक्काः सप्त ध्वजाः सप्त प्रदीपाः सप्त स्वस्तिकाः सप्त वटकाः सप्त शष्कुलिकाः सप्तजंबूफलानि सप्त मुष्टिकाः गन्धाः पुष्पं ताम्बूलं मत्स्यमासं सुरा अय्यभक्तश्च पूर्वस्यां दिशि चतु- ष्पथे मध्याह्ने बलिर्देयः ।
- ततोऽश्वत्थपत्रं कुम्भे प्रक्षिप्य शान्त्युदकेन स्रापयेत् ।
- रसोनसिद्धार्थकमे- शृंगनिंबपत्र शिवनिर्माल्यैबालकं धूपयेत् ।
- ॐ नमो नारायणाय अमुकस्य व्याधिं हन हन मुञ्च मुञ्च ह्रीं फट् स्वाहा ॥
- एवं दिनत्रयं बलिं दत्त्वा चतुर्थदिवसे ब्राह्मणं भोजयेत् ।
- ततः संपद्यते शुभम्
- श्रीगणेशपदद्वन्द्वं प्रत्यूहव्यूहनाशनम् । नन्नमीमि नतिर्यस्य वितरत्युत्तमां मतिम् ॥ १ ॥
अर्थ कुमारतन्त्र
श्रीमद्गुरून्नमस्कृत्य रावणेन कृतस्य च । अस्य कुमारतंत्रस्य भाषाटीका विरच्यते ॥ २ ॥
- प्रथम इस रावणकृत कुमारतंत्र अर्थात् बालकचिकित्सा- प्रकाशनामक ग्रंथका
- टीकाकार रविदत्तशास्त्री राजवैद्य, अनेक तरहके विघ्नोंके नाशपूर्वक शिष्यशिक्षा के लिये
- नमस्कारात्मक मङ्गल करते हैं; मैं अल्पमति टीकाकार विघ्नोंके समूहको नाशने वाले
- श्रीयुत गणेशजी के दोनों चरणारविन्दोंको वारंवार प्रणाम कारता हूं
- जिन्होंके चरणारविन्दों- को किया प्रणाम उत्तम बुद्धिको विस्तृत करता है ॥ १ ॥
- और श्रीयुत गुरुजीको प्रणाम कर इ. रावणकृत कुमारतंत्र की भाषाटीका रचताहूं ॥२॥
- यह मूल ग्रंथ रावण बालकोंको सुख पहुँचाने के लिये संपूर्ण आयुर्वेदको विचार कर संस्कृतमें रचाथा वही है,
- इसको संपूर्ण मनुष्य अच्छीतरह जान बालकों की रक्षा के लिये चिकित्सा करें
- इस वास्ते इस ग्रंथकी भाषाटीका बनाने को रविदत्तशास्त्री उद्यत हुआ है ॥ २ ॥