खुतबाते मुहर्रम पीडीऍफ़ डाउनलोड Khutbat e Muharram PDF Download khutbat e muharram hindi pdf download khutbat e imam (R.A.} hussain pdf HINDI
इस्लामिक किताब हिंदी में लिखा हुआ खुतबाते मुहर्रम पीडीऍफ़ डाउनलोड करें सबसे आखिर में डाउनलोड लिंक शेयर किया गया है आगे Khutbat e Muharram BOOK से कुछ अंश लिखा हुआ पढ़े
खुतबाते मुहर्रम
शर्फे इन्तिसाब – खुतबाते मुहर्रम पीडीऍफ़ डाउनलोड Khutbat e Muharram PDF
फर्जदे रसूल जिगर गोश-ए-अतुल शिशुदा हज़रते इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु और उन तमाम मुसलमानों के नाम: जिन्हों ने दीन की हिफाज़त के लिये खुलूस के साथ अपना खून या पसीना बहाया। और dhyरावरे गिरामी जनाय निजामुद्दीन अहमद मरहूम के नाम जो मेरी दस्तार बन्दी से आठ साल कव्त मुझे आलिमे दीन बनाने की तमन्ना लेकर दुनिया से सख्त हो गए। खुदायन्दे कुटूस उनकी कब्र को अनवार व तजल्लियात से मामूर फरमाए। आमीन
जतासुद्दीन अहमद अमजदी
खुतबाते मुहर्रम पीडीऍफ़
खुतबाते मुहर्रम पीडीऍफ़ डाउनलोड Khutbat e Muharram PDF Download IN – निगाहे अव्वलीं
मुहर्रम शरीफ की मजालिस का सिलसिला साल-बसला बढ़ता ही जा रहा है कि अब शहरों के अलावा देहातों में भी इस तरह के प्रोग्राम आम होते जा रहे हैं जिन में बारह रोज़ मुसलसल एक ही स्टेज पर बयान करने के लिए नए मुकर्ररीन को सख्त दुश्वारियां पेश आ रही हैं।
इस लिये अरसे से एक ऐसी किताब की शदीद जरूरत महसूस की जा रही थी जो मुस्तनद रिवायात पर मुश्तमिल होने के साथ बारह वज़ों का मज्जा हो ताकि मुकर्ररीन गैर मोजतवर रिवायात बयान करने से बचें और बारह रोज़ मुसलसल वञ्ज कहने पर आसानी के साथ कादिर हो सकें।
और साथ ही सरकारे अवदस सल्लल्लाहु ताला अलैहि व सल्लम, खुलफाए अरबा, हज़रत अमीर मुआविया, हज़रत इमाम हसन और सय्यिदुश-शुहदा हज़रत इमाम हसन रज़ियल्लाहु तआला अन्हतमईन पर बद-महबों की तरफ से किये गए
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- एतराज़ात के मुदल्लले बात भी हों ताकि अवाम और बाज़ ख़्वास भी
- जो इन हज़रात की जानिब से गलत फहमी में मुक्तता कर दिये गए हैं
- वह गुमराह होने से बचें और अपनी आकिबत को बरबाद होने से बचायें।
- इन ज़रूरतों के पेशे नज़र हम ने कलम उठाया
- दस-तदरीस और दीगर ज़रूरी कामों से वक्त निकाल कर थोड़ा-थोड़ा लिखा
- यहां तक कि अल्हम्दु लिल्लाह किताब मुकम्मल हो गई
- और किताबत वगैरा की बड़ी बड़ी परेशानियों से गुज़रने के बाद ज़ेवरे तथा से आरास्ता होकर आप के हाथों में पहुंची।
- अगरचे मैं इस तरह की किताब लिखने का अहल नहीं था
- इस लिये कि तकरीरी किताब लिखने के लिये मुसन्निफ को अदीब होना चाहिये
- और मुफ्ती उमूमन अदीव नहीं होते। फत्वा नवीसी में अदबी अल्फाज़ से एहतराज़ करते हैं
- इस तरह मा-फिज़्ज़मीर को मुख्तसर और जामेजू अल्फाज़ में अदा करने के आदी हो जाते हैं।