इस्लाम और कुरआन के स्तम्भ पीडीऍफ़ डाउनलोड FREE PDF DOWNLOAD ISLAM AUR QURAN KE STAMBH PDF BOOK FREE DOWNLOAD IN HINDI
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इस्लाम और कुरआन के स्तम्भ पीडीऍफ़
इस्लामिक बुक्स इस्लाम और कुरआन के स्तम्भ डाउनलोड करने से पहले कुछ अंश हिंदी में लिखा हुआ पढ़े – इस्लाम के अरकान
जिस तरह किसी भी इमारत को कायम रखने के लिए बुनियादों और स्तम्भों की आवश्यकता होती है, ऐसे ही इस्लाम के कुछ स्तम्भ और बुनियादें हैं जिस पर इस्लाम की इमारत कायम है, इन को इस्लाम के अरकान का नाम दिया जाता है।
अल्लाह के रसूल ने फरमाया : इस्लाम की बुनियाद पाँच चीजों पर है।
” شَهَادَةِ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللَّهُ وَأَنْ مُحَمَّداً رَسُولُ الله وَإِقَامِ الصَّلاةِ وَإِيتَاءِ الزَّكَاةِ وَحَجِّ الْبَيْتِ وَصَوْمِ رَمَضَان.
- गवाही देना कि : अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं
- और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं जिनकी अल्लाह के दीन में पैरवी करना जरूरी है ।
- नमाज़ क़ायम करना – यानी उसे सभी अरकन और वाजिबात के साथ खुशूञ् व खुजूञ् (तन्मयता) से अदा करना ।
- जकात देना : जो उस समय फर्ज होती है जब कोई ८७ ग्राम सोना
- या उसके मूल्य की किसी चीज का या नकदी का मालिक हो जाये
- इस में से साल पूरा होने के बाद २.५ प्रतिशत निकालना जरूरी है
- और नकदी के अलावा हर चीज में उसकी मात्रा तय है।
- अल्लाह के घर का हज करना : उस व्यक्ति के लिए जो सेहत और आर्थिक दृष्टि से वहाँ तक पहुँचने का सामर्थ्य (ताकत) रखता हो ।
- रमजान के रोज़े रखना : रोजे की नीयत से खाने पीने और हर चीज से जो रोज़ा तोड़ने वाली हो
- फज्र से लेकर सूरज के डूबने तक तक बचे रहना । (बुखारी, मुस्लिम)
इस्लाम और कुरआन के स्तम्भ PDF
ईमान के अरकान – इस्लाम और कुरआन के स्तम्भ पीडीऍफ़ डाउनलोड FREE PDF DOWNLOAD करने से पहले पढ़े
जिन चीजों पर प्रत्येक मुसलमान के लिए ईमान लाना फर्ज और जरूरी है, उन्हें ईमान के अरकान के नाम से जाना जाता है, जो निम्न हैं।
- अल्लाह तआला पर ईमान लाना यानी अल्लाह के बजूद (अस्तित्व)
- और सिफात (विशेषतायें) और इबादत में उस की वहदानियत (अकेला) होने पर ईमान लाना |
- फरिश्तों पर ईमान लाना जो कि नूरी मखलूक हैं
- और अल्लाह के आदेशों को लागू करने के लिए पैदा किये गये हैं।
- अल्लाह की किताबों पर ईमान लाना जिन में तौरात, इंजील, जबूर
- और कुरआन करीम जो सब से बेहतर (श्रेष्ठ) है।
- उस के रसूलों पर ईमान लाना : जिन में सब से पहले नूह और सब से अन्तिम मुहम्मद हैं।
- आखिरत के दिन पर ईमान लाना : जो हिसाब का दिन है
- और उसी दिन लोगों के अमलों (कर्मों) की पूछ-गछ होगी ।
- प्रत्येक अच्छे या बुरे भाग्य पर ईमान रखना : यानी जायेज स्रोत से हर इंसान को अच्छे या बुरे
- भाग्य (तकदीर) पर राजी रहना चाहिये, क्योंकि सभी अल्लाह की ओर से तय किये हुए हैं
- जैसाकि सही मुस्लिम की हदीस में इस बात को स्पष्ट (वाजेह) किया गया है।