हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ Hisnul Muslim Hindi PDF

हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ Hisnul Muslim Hindi PDF Download in Hindi इस्लामिक किताब पीडीऍफ़ में डाउनलोड करें हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ Hisnul Muslim Hindi in Hindi PDF

अल्लाह रब्बुल इज्जत से अपने दिल की बात कहने और उसे पूरा करने के लिए अलग अलग दुआए है उन दुआओं का जखीरा आपको इस किताब हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ में पढ़ने को मिलगा

हिस्नुल मुस्लिम

इस्लामिक किताब हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ को डाउनलोड करने के लिए सबसे आखिर में पीडीऍफ़ डाउनलोड बटन दिया गया है क्लिक से डाउनलोड करें आगे कुछ सरांश पुस्तक से लिखा हुआ पढ़े

تعَبدُهُ وَ نُصَى عَلى رَسُولِهِ الكَرِيم وَبَعْد

अल्लाह तआला की तअरीफ़ और रसूले करीम पर दरूद और सलाम के बाद।

रसूलुल्लाह ने फ़रमाया दुआ इबादत है (तिर्मिज़ी):अल्लाह तआला ने आदम को पैदा करने के बाद सब से पहली इबादत जो उन को सिखाई वह दुआ ही थी। “ऐ हमारे रब हम ने अपने आप पर जुल्म किया है अगर तू ने हमें मआफ़ न किया और हम पर रहम न किया तो हम नुक्सान उठाने वालों में से हो जाएंगे।

सूरए आराफ

दुआ ऐसी इबादत है जिस के लिए कोई दिन या वक़्त तय नहीं बल्कि हर लम्हा हर घड़ी हर जंगह मांगने की इजाज़त है। रसूल्लाह की मुबारक ज़िन्दगी का कोई लम्हा और घड़ी ऐसी नहीं जो दुआ से खाली हो।

अल्लाह तआला बड़ा महरबान है। अपने हर नेक और बुरे बन्दे की दुआ को सुनता है। यह ख्याल ग़लत है कि

अल्लाह तआला गुनहगारों की दुआ को नहीं सुनता, अल्लाह का फ़रमान है: लोगो ! तुम्हारा रब कहता है कि तुम सब मुझ से दुआ करो मैं तुम्हारी दुआ कुबूल करूँगा जो लोग मेरी इबादत (दुआ) से घमंड करते हैं वह जलील हो कर जहन्नम में दाखिल होंगे। (मोमिन :60) और रसूलुल्लाह ने फ़रमाया: जो शख़्स अल्लाह से दुआ नहीं करता अल्लाह उस से नाराज़ होता है।

– तिर्मिज़ी

हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ

इस्लामिक दुआ की किताब हिस्नुल मुस्लिम हिंदी पीडीएफ (Hisnul Muslim Hindi PDF) से कुछ अंश पढ़े –

  • इन्सान कभी कभी ऐसे हालात में घिर जाता है कि
  • सारे सहारे टूट जाते हैं उम्मीद की कोई किरन दिखाई नहीं देती
  • सारे रास्ते बन्द हो जाते हैं। रिश्तेदारों और दोस्तों पर से भी भरोसा उठ जाता है
  • यहाँ तक कि भाई भाई से, शौहर बीवी से और औलाद माँ बाप से खुल कर बात नहीं कर सकते
  • मतलब यह कि सब कुछ होते हुए भी इन्सान अकेला, बेबस और मजबूर हो जाता है।
  • तब उस के अन्दर से एक आवाज़ उठती है कि एक सहारा अब भी मौजूद है
  • एक दरवाज़ा अब भी खुला है जहाँ इन्सान अपने दुख सुख
  • और अपनी तकलीफ़ों की दास्तान हर वक्त बयां कर सकता है

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