हदाइक़े बख़्शिश पीडीएफ डाउनलोड Hadaiq e Bakhshish PDF Hindi hadaiq e bakhshish pdf dawateislami Hadaiq e Bakhshish Hindi book
Hadaiq e Bakhshish – हदाइक़े बख़्शिश एक उर्दू शब्द है जिसका मतलब होता है “सीमा बख्शिश” या “सीमा की छूट”. यह शब्द आम तौर पर किसी के प्रति उम्मीद और धन्यवाद की भावना को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
हदाइक़े बख्शिश का उपयोग अक्सर शेर, ग़ज़ल और उर्दू कविताओं में होता है, जहां इसे प्रेम या प्रेमी के प्रति भावुकता को व्यक्त करने के लिए शायरी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह शब्द उर्दू संस्कृति में उपयोग होने वाले शब्दों की एक बहुत ही सुंदर और प्रभावशाली व्याख्या है।
हदाइक़े बख़्शिश
Hadaiq e Bakhshish PDF Hindi –
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान के उर्दू और दीगर जबानों में तहरीर कर्दा कलामों का मजमूआ है। जिसे मजलिसे अल मदीनतुल इल्मिय्या ने पेश किया है। मजलिसे तराजिम (दावते इस्लामी) ने इस किताब को हिन्दी रस्मुल ख़त में तरतीब दे कर पेश किया है और मक-त-बतुल मदीना से शाएअ करवाया है।
दर्जे इस किताब को हिन्दी रस्मुल ख़त में तरतीब देते हुए मुआ-मलात पेशे नज़र रखने की कोशिश की गई है :
हदाइक़े बख़्शिश Hadaiq e Bakhshish
ISLAMIC BOOK PDF IN HINDI – हदाइक़े बख़्शिश पीडीएफ डाउनलोड Hadaiq e Bakhshish PDF Hindi से पहले कुछ अंश पढ़े – गजल कत्अ बन्द
- अम्बिया को भी अजल आनी है
- मगर ऐसी कि फक्त आनी है।
- फिर उसी आन के बाद उन की हयात
- मिस्ले साबिक वोही जिस्मानी है।
- रूह तो सब की है ज़िन्दा उन का
- जिस्मे पुरनूर भी रूहानी है
- औरों की रूह हो कितनी ही लतीफ
- उन के अज्साम की कब सानी है।
- पाउं जिस खाक पे रख दें वोह भी
- रूह है पाक है नूरानी है
- उस की अज़्वाज को जाइज़ है निकाह
- उस का तर्का बटे जो फ़ानी है
- येह हैं हुय्ये अ-बदी उन को रज़ा
- सिके वादा की क़ज़ा मानी है