गौरक्षा हमारा कर्तव्य पीडीएफ Gau Raksha Hamara Kartavya PDF

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गोरक्षा- हमारा परम कर्तव्य – गोरक्षाकी आवश्यकता

पशु, पक्षी, जड़ी बूटी, वृक्ष, लता आदि जितने भी जंगम-स्थावर प्राणी हैं, उन सभीमें दैवी और आसुरी सम्पत्तिवाले प्राणी होते हैं। मनुष्यको उन सबकी रक्षा करनी ही चाहिये; क्योंकि सबकी रक्षाके लिये, सबका प्रबन्ध करनेके लिये ही यह मनुष्य बनाया गया है। उनमें भी जो सात्त्विक पशु, पक्षी, जड़ी बूटी आदि हैं, उनकी तो विशेषतासे रक्षा करनी चाहिये; क्योंकि उनकी रक्षासे हमारेमें दैवी-सम्पत्ति बढ़ती है।

जैसे, गोमाता हमारी पूजनीया है तो हमें उसकी रक्षा और पालन करना चाहिये; क्योंकि गाय सम्पूर्ण सृष्टिका कारण है-‘गावो विश्वस्य मातरः’। गायके घीसे ही यज्ञ होता है; भैंस आदिके घीसे नहीं । यज्ञसे वर्षा होती है। वर्षासे अत्र और अन्नसे प्राणी पैदा होते हैं।

उन प्राणियोंमें खेतीके लिये बैलोंकी जरूरत होती है। वे बैल गायोंके होते हैं। बैलोंसे खेती होती है अर्थात् बैलोंसे हल आदि जोतकर तथा कुएँ आदिके जलसे सींचकर खेती की जाती है। खेती से अन्न, वस्त्र आदि निर्वाहकी चीजें पैदा होती हैं, जिनसे मनुष्य, पशु आदि सभीका जीवन- निर्वाह होता है।

निर्वाहमें भी गायके घी-दूध हमारे खाने-पीनेके काम आते हैं। उन घी-दूधसे हमारे शरीरमें बल और अन्तःकरणमें सात्त्विक भाव बढ़ते हैं। इसी तरहसे जितनी जड़ी-बूटियाँ हैं, उनमें से सात्त्विक जड़ी-बूटीसे कायाकल्प होता है, रोग दूर होता है और शरीर पुष्ट होता है। इसलिये हमलोगोंको सात्त्विक पशु, पक्षी, जड़ी-बूटी आदिकी विशेष रक्षा करनी चाहिये, जिससे हमारे इहलोक और परलोक दोनों सुधर जायँ ।

गौरक्षा हमारा कर्तव्य पीडीएफ

गायके दूधकी विशेषता – गौरक्षा हमारा कर्तव्य पीडीएफ –

  • गायका दूध जितना सात्त्विक होता है, उतना सात्त्विक दूध किसीका भी नहीं होता।
  • गायके दूधसे निकला घी ‘अमृत’ कहलाता है।
  • स्वर्गकी अप्सरा उर्वशी पुरूरवाके पास गयी तो उसने अमृतकी जगह गायका घी पीना ही स्वीकार किया-
  • घृतं मे वीर भक्ष्यं स्यात्’ (श्रीमद्भा० ९ । १४ । २२) ।
  • भैसके दूधमें घी ज्यादा होनेसे वह शरीरको मोटा तो करता है, पर यह दूध सात्त्विक नहीं होता।
  • गाड़ी चलानेवाले जानते हैं कि गाड़ीका हॉर्न सुनते ही गायें सड़कके किनारे हो जाती हैं,
  • जबकि भैंस सड़कमें ही खड़ी रहती है। इसलिये भैंसके दूधसे बुद्धि स्थूल होती है।
  • सैनिकोंके घोड़ोंको गायका दूध पिलाया जाता है, जिससे वे घोड़े बहुत तेज होते हैं।
  • एक बार सैनिकोंने परीक्षाके लिये कुछ घोड़ोंको भैंसका दूध पिलाया, जिससे घोड़े खूब मोटे हो गये।
  • परन्तु जब नदी पार करनेका काम पड़ा, तब वे घोड़े पानीमें बैठ गये!
  • भैंस भी पानीमें बैठा करती है, इसलिये वही स्वभाव घोड़ोंमें भी आ गया।

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