फैजान ए जकात पीडीऍफ़ डाउनलोड Faizan e Zakat PDF Download faizan e zakat hindi pdf जकात कितना निकलना चाहिए ज़कात कैलकुलेटर ज़कात निकलने का तरीका
Faizan e Zakat PDF Download: जकात (Zakat) एक इस्लामी आदेश है जो मुस्लिम धर्म के अनुयायों को अपनी धर्मिक दायित्वों के तहत आदेशित करता है। जकात एक प्रकार का चंदा है जो मुस्लिम उम्मत के धार्मिक नियमों के अनुसार प्रदान किया जाता है। इसे माली धन की एक प्रतिशत (साधारण रूप से 2.5%) के रूप में निर्धारित किया जाता है, जिसे धर्मिक उद्देश्यों के लिए खर्च किया जाता है।
जकात क्या होता है
Zakat: जकात का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंद लोगों की मदद करना है और समाज में इंसानी भावना और समानता को प्रमोट करना है। यह धार्मिक दान है जिसका मतलब होता है कि माली धन की एक निश्चित राशि का उपयोग गरीबों, यतीमों, विधवाओं, बेघर लोगों, बिमार लोगों और दूसरों की सहायता में किया जाना चाहिए। जकात एक मुस्लिम का धर्मिक दायित्व माना जाता है और यह संघर्ष करने वालों की मदद करने का एक तरीका है, साथ ही यह एक व्यक्ति की सामाजिक और आर्थिक गरिमा को भी बढ़ाता है।
जकात का एक महत्वपूर्ण संकेत यह है कि यह एक धर्मिक दान है और इसे आदेशित किया जाना चाहिए, न कि एक कर या टैक्स के रूप में। इसलिए, जकात का एक मुख्य तत्व यह है कि वह स्वेच्छापूर्वक और ईमानदारी से दिया जाना चाहिए।
Faizan e Zakat – फैजान ए जकात पीडीऍफ़
फैजान ए जकात पीडीऍफ़ डाउनलोड Faizan e Zakat PDF Download – ज़कात फर्ज है –
- जकात की फर्जिय्यत किताब व सुन्नत से साबित है।
- अल्लाह कुरआने पाक में इशद फरमाता है :
- तर-ज-मए कन्जुल ईमान और नम -इम रखो और ज़कात दो।
- सदरुल अफाजिल हज़रते मौलाना सय्यिद मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादआबादी इस आयत के तत तपसीरे खुलाइनुल इरफान में लिखते ‘इस आयत में नमाज़ व तहूत ज़कात की फज़िय्यत का बयान है।”
- तर-ज-मए कन्जुल ईमान ऐ महबूब उन के माल में से जंकात तहसील करो।
- जिस से तुम उन्हें सुथरा और पाकीज़ा कर दो।
ज़कात कब फ़र्ज़ हुई ?
- ज़कात 2 हिजरी में रोज़ों से कुल फर्ज हुई। ज़कात की फर्ज़िय्यत क
- इन्कार करना कैसा ? ज़कात का फ़र्ज़ होना कुरआन से साबित है,
- इस का इन्कार करनेवाला काफ़िर है।
- “गमे माल से बचा या इलाही” के सोलह हुरूफ़ की निस्बत से ज़कात अदा करने के 16 फ़ज़ाइल व फ्वाइद
(1) तक्मीले ईमान का ज़रीआ
जकात देना तक्मीले ईमान का जरीआ है जैसा कि हुजुरे पाक, साहिबे लौलाक, सय्याहे अपलाक ने इर्शाद फ़रमाया : “तुम्हारे इस्लाम का पूरा होना यह है कि तुम अपने मालों की ज़कात अदा करो।”