तब्लीगी वसूल पीडीऍफ़ इन हिंदी Dawat e Tabligh Books in Hindi

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तबलीग़ वाले यह वाकिआ बयान करते हैं

एक शख़्स ने हज़रत अबूबक्र सिद्दीक रजि० को बुरा भला कहा, आप रजि० खामोश सुनते रहे जब वह चुप हुआ तो आप रज़ि० ने इन्तिकाम के तौर पर कुछ कहने का इरादा किया अहज़रत स० को यह जवाबी कारवाई पसन्द नहीं आई और उठकर चल दिये हज़रत अबूबक्र रज़ि० ने अर्ज़ किया कि या रसूलुल्लाह सo! जब वह शख़्स मुझे बुरा कह रहा था आप खामोश थे और जब मैंने कुछ कहना चाहा तो आप खड़े हुए आपने इरशाद फ़रमाया :

(۳۰۸) لأن الملك كان يُجيب عنك فلما تكلمت ذهب الملك

وجاء الشيطان فلم اكن لأجلِسَ في مجلس فيه الشيطان. ( بخاری اول و جانی ، ابو داؤد، احیاء العلوم جلد سوم )

इसलिये कि फ़रिश्ता तुम्हारी तरफ से जवाब दे रहा था जब तुमने बोलना शुरू किया फ़रिश्ता चला गया और शैतान आ गया मैं ऐसी मजलिस में नहीं बैठ सकता जिसमें शैतान मौजूद हो (यानी जहां पर शैतान हो मुझको वहां रहना पसन्द नहीं है और आपकी यह शान है)

तबलीग़ वाले यह वाकिआ बयान करते हैं और यह वाकिआ बुखारी व अबूदाऊद और ‘अहयाउल उलूम जिल्द सोम में मौजूद है। बुरा भला कहने वाले का जवाब देना कैसा है? यह जो हुक्म हुजूर अकरम स० ने फरमाया, कि बिल्कुल ही जवाब न दिया जाये यह अफज़ल तरीका है अगर जितना बुरा भला वह कह रहा है आप भी इतना ही कहें तो यह भी दुरुस्त है जैसे कि जवाज की हदीस पहले गुज़र चुकी है और अगर आप उससे ज़्यादा बुरा भला कहो तो यह जाइज़ नहीं क्योंकि यह ज़्यादती है और ज्यादती जाइज़ नहीं है।

तबलीग़ वाले कहते हैं कि जो दोजख से आखिर में निकलेगा

उसके लिये भी दुनिया से दस गुना बड़ी जन्नत होगी (۳۰۹) قال رسول الله صلى الله عليه وسلم من يخرج من النار خرج من النـ يعطى مثل الدنيا كلها عشرة اصناف (بخاری ومسلم)

हुजूर अकरम स० ने फरमाया जो शख़्स सबके बाद दोज़ख से बाहर निकलेगा उसे दुनिया से दस गुना से मिस्ल जन्नत मिलेगी यानी दुनिया से दस गुना बड़ी जन्नत उस अदना और आखरी शख़्स को मयस्सर होगी और जो ज़्यादा नेक होंगे उनकी मकबूलियते अअमाल के हिसाब से जन्नत में दर्जात अता होंगे। तबलीग वाले कहते हैं कि जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी ईमान होगा वह दोज़ख से निकलेगा

अलामते क़ियामत की तशरीह

  • (1) हुजूर अकरम स० ने फरमाया अगर मैं मौजूद हुआ
  • और दज्जाल निकले तो में उससे मुकाबला करूंगा दलाइल से
  • और ताकत से और गालिब आ जाऊंगा (यानी कत्ल कर दूंगा)
  • (2) और अगर मैं न हुआ तो हर मुसलमान पर ज़रूरी है कि
  • वह उससे मंगलूब न हो बल्कि उसको मगलूब कर दे और तुम ईमानी दलाइल से
  • उसका मुकाबला करना यानी उसको ख़ुदा न मानना और उसके अज़ाब से न डरना
  • क्योंकि दरअसल उसका अजाब जन्नत है और उसकी जन्नत दोजख है।
  • (3) हुज़ूर अकरम स० ने फ़रमाया मेरे बाद मेरी जानिब से वकील व
  • खलीफा हर मुसलमान के लिये अल्लाह तआला ही हैं
  • इस हकीकत की तरफ इशारा है कि मेरे बाद अल्लाह तआला हर मोमिन व मुसलमान का हाफ़िज़
  • व नासिर होगा और दज्जाल के फिले से बचने में मदद देगा पस यह इस बात की दलील है कि
  • कामिल यकीन रखने वाला मोमिन हमेशा मदद व नुसरत पाता है
  • अगरचे उनके दर्मियान नबी व इमाम मौजूद न हो, इस ऐतिबार से जो हुजूर अकरम स० ने फ़रमाया ।
  • (4) हुज़ूर अकरम स० ने फरमाया उसके सामने सूरे कहफ की इब्तिदाई आयतें पढ़ें, इन आयतों से मुराद शुरू से
  • إِنْ يَقُولُونَ إِلَّا كَذِبًا तक की आयते हैं,
  • इन आयतों को दज्जाल के सामने पढ़ने का हुक्म इसलिये दिया गया है

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