दस्ताने करबला बुक पीडीऍफ़ Dastane Karbala book Pdf Download

दस्ताने करबला बुक पीडीऍफ़ Dastane Karbala book in Hindi Pdf Free Download – कर्बला में क्या हुआ यह किसी से छुपा नहीं है अगर फिर भी इस वाकया से आप वाकिफ नहीं है ऐसे में दस्ताने करबला बुक पीडीऍफ़ डाउनलोड करे

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कर्बला का वाकया इमाम हुसैन

karbala ka waqia in hindi : दुनिया की तारीख में शायद ही किसी मुअज्जज खातून ने इंकलाबे रोज़गार के ऐसे खूनीन मनाजिर देखे हों। जिसने बरादर जादों, जिगर के टुकड़ों, मोहतरम सर परस्त भाई की खाक व खून में तड़पती हुई लाशें, कटे हुए सर, पामाल जिस्म सुबह से लेकर दोपहर तक देखे हों और दश्त गुरबत और दयारे बला में उसके खेमे लूटे गये हों, ख्वातीन के सरों से रिदाएं (चादरें छीनी गई हों और उन्हें बेहिजाब किया गया हो।

  • हुसैन ने इब्तिला व आजमाइश के आखिरी इम्तिहान में कामयाबी हासिल कर ली
  • मगर गम्जदा, हुज्न (गम) व दर्द की मारी बहन ज़ैनब के इम्तिहान सब व जब्त का सिलसिला हुनूज़ जारी है।
  • कल्ब व जिगर पाश-पाश हो चुके हैं। दसवीं मुहर्रम 61 हिजरी का आफताब उफुक पर खून की बारिश करता हुआ डूब गया.

दस्ताने करबला बुक पीडीऍफ़

हुसैनी कारवां ताराज हो चुका है 72 नुफूसे कुदसीया की लाशें दश्त नैनवा में बेगोर व कफन पड़ी हुई हैं, जैनब बिन्ते फातिमा मुकैयदः (कैद) हैं: रोते-रोते आंसू खुश्क हो चुके हैं, यह शाम कितनी इबरतनाक है। गुलशने रिसालत पामाल हो चुका है, ख्वातीने हरम यजीदी लश्कर के कैद में हैं। मुरब्बी (सरपरस्त) और सालारे कारवाँ शहीद हो चुका है।

  • अब हुसैनी काफिला की क्यादत जैनब के सर है।
  • मुहर्रम की ग्यारहवीं तारीख, करबला का मैदान, खानदाने रिसालत की मुअज्जज ख्वातीन
  • पा बजूला (पांव में जंजीर) यजीदी लश्कर के हिसार में, ऊंटों पर सवार कूफ़ा की जानिब रवाँ दवाँ हैं.
  • बेरहमी व शकावत के महूस पैकर लुटे हुए हुसैनी काफिला को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
  • मैदाने जंग से गुज़र हुआ, आवान व अंसार अहले बैत, ख़्वेश व अकारिब, भाई भतीजे
  • और बेटों की बेगोरो कफ़न लाशें देखते ही इफ्फत मआब दुख्तराने इस्लाम का पैमान-ए-सब लब्रेज हो गया,
  • जब्त व तहम्मुल का दामन हाथ से छूट गया, बेअख्तियार नौहा व मातम, नाला व फुगा का शोर उठा।
  • हजरत जैनब जब भाई के सर बरीदा पामाल, बरहना लाश के सामने आई तो दर्द भरे अंदाज से फरमाया :
  • वा मुहम्मदाह वा मुहम्मदाह! मलाइका आसामनी का दरूद व सलाम आप पर नाजिल हो
  • हुसैन मैदान में पड़े हुए हैं, खून में डूबे हुए हैं, तमाम आज़ा पारा-पारा हैं,
  • या मुहम्मदाह! आपकी बेटियाँ कैद कर ली गई है, आपकी जुर्रियत (औलाद) कत्ल की जा चुकी है,
  • उनकी लाशों पर हवा खाक डाल रही है।
  • दर्द व गम की मारी जैनब के मुँह से यह कलिमात कुछ इस तरह अदा हुए कि पत्थर के जिगर भी मोम हो गये.
  • और संगदिल जालिमों की आंखें अश्कबार हो गई।

सरे हुसैन दारुल-इमारते कूफा :

उबैदुल्लाह बिन ज़्याद शाने इमारत के साथ सद्र नशीं हाशिया नशीं, मुशीर और अमाइदीने शहर मौजूद । मुहर्रम 61 हिजरी की ग्यारह तारीख खौली बिन यज़ीद, हमीद बिन मुस्लिम यज़्दी ने सरे हुसैन को तश्त में रख कर इब्ने ज़्याद के सामने पेश किया

यज़ीदी हवा ख़्वाहों के लिए फत्हें व नुसरत की नवेद इब्ने ज़्याद ने गुरूर व तम्कुनत और झूठी फतह के नशा में चूर हो कर अपनी छड़ी से शफ्फाफ सिल्क गुहर दन्दाँ मुबारक को खटखटाया और बोसागाहे रिसालत मुकद्दस लबों को छेड़ा।

देर तक वह उस नाशाइस्ता हरकत में मस्रूफ रहा। बूढ़े सहाबी-ए-रसूल हज़रत जैद बिन अरकम से यह मंजर देखा न गया. इने ज़्याद को मुखातब करते हुए फरमाया :

तरजमा : इस छड़ी को इन मुबारक दाँतों से हटा। खुदाए वहदहू ला शरीक की कसम! मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को अपने हॉट उन दाँतों पर रख कर बोसा देते हुए देखा है। – तबरी जिल्द 4. स० 348

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PDF NAMEDastane Karbala
LANGUAGEHINDI
PDF SIZE22 MB
PAGE98
CATEGORYISLAMIC BOOK
DOWNLOADYES LINK ✅
CREDITNAAT HINDI
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