बेटी की परवरिश पीडीऍफ़ डाउनलोड Beti ki Parwarish PDF FREE

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Beti ki Parwarish – बेटी की परवरिश दवते इस्लामी में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस्लाम बेटी की इज्जत, तरबीयत और सम्मान को बहुत अहमियत देता है। इस्लाम बेटी के लिए महफूज़ और बेहतरीन माहौल का ताज़िरा करता है। दवते इस्लामी बेटी की परवरिश को संबोधित करते हुए इस्लाम के मौलिक सिद्धांतों का पालन करने की सलाह देती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं जो बेटी की परवरिश के संबंध में दवते इस्लामी द्वारा दिए गए हैं:

बेटी की परवरिश पीडीऍफ़

बेटी की परवरिश पीडीऍफ़ डाउनलोड Beti ki Parwarish PDF –

  1. इंसानी अधिकारों का पालन:

इस्लाम में सभी मानवों को इंसानी अधिकारों की सुरक्षा और सम्मान का हक़ दिया जाता है। बेटी को भी उनके अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और उन्हें सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रखना चाहिए।

  1. तरबीयत और शिक्षा:

बेटी की परवरिश में उच्च गुणवत्ता वाली तरबीयत और शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होना चाहिए। बेटी को इस्लामी मूल्यों, अदाब, नेकी और इल्म के महत्व के बारे में शिक्षा देनी चाहिए।

  1. सुरक्षा और हिफाज़त:

बेटी की सुरक्षा और हिफाज़त पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस्लाम उन्हें दादी आदि परिवार के आदमी के संरक्षण और सहायता का हक़ देता है। उन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा और आत्मरक्षा की जागरूकता देनी चाहिए।

  1. समाज में बेटी का सम्मान:
  • इस्लाम में बेटी का सम्मान करना और उन्हें समाज में समान अवसर देना चाहिए।
  • उन्हें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मंचों में उनकी भूमिका निभाने का मौक़ा देना चाहिए।
  • यह दवते इस्लामी द्वारा बेटी की परवरिश के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत हैं,
  • जो इस्लाम के मूल तत्वों और मानवीय मूल्यों के साथ मेल खाते हैं।
  • इन मूल्यों का पालन करके, एक माता-पिता बेटी की परवरिश में सफलता प्राप्त कर सकते हैं
  • और उन्हें एक समृद्ध और समान मानवीय विकास का अवसर प्रदान कर सकते हैं।

बेटी की परवरिश Beti ki Parwarish PDF

नसीहत व वक्ते रुख्सत – बेटी की परवरिश पीडीऍफ़ डाउनलोड Beti ki Parwarish PDF

हजुरते सव्यिदना अस्मा बिन्ते खारिनारी

ने अपनी बेटी को शादी के बाद घर से सख्त करते वक्त नसीहत आमोज़ मदनी फूलों का जो गुलदस्ता अता फरमाया ऐ काश ! हर मां येह मदनी फूल अपनी बेटी को सख्ती के वक्त याद करा दे। येह मदनी फूल कुछ यूं हैं :

  • बेटी तू जिस घर में पैदा हुई अब यहां से रुखसत हो कर एक ऐसी जगह
  • (यानी शोहर के घर जा रही है जिस से तू वाक़िफ़ नहीं और
  • एक ऐसे साथी (यानी शोहर के पास जा रही है
  • जिस से मानूस नहीं। उस के लिये ज़मीन बन जाना वोह तेरे लिये आस्मान होगा।
  • उस के लिये विछौना बन जाना वोह तेरे लिये सुतून होगा। उस के लिये कती बन जाना वोह तेरा गुलाम होगा।
  • उस से कम्बल की तरह चिमट न जाना कि वोह तुझे खुद से
  • दूर -I उस से इस कदर दूर भी न होना कि
  • वोह तुझे भुला ही दे। * अगर वोह करीब हो तो क़रीब हो जाना और अगर दूर हटे तो दूर हो जाना ।

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