अग्नि पुराण गीता प्रेस पीडीऍफ़ Agni Purana Gita Press PDF NEW

अग्नि पुराण गीता प्रेस पीडीऍफ़ Agni Purana Gita Press PDF: 18 पुराणों में अग्नि पुराण का भी एक विशेष महत्व है इस पुराण में अग्निदेव ने ईशान कल्प का वर्णन महर्षि वशिष्ठ से किया है अगर आप अग्नि पुराण गीता प्रेस पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते है ऐसे में इस लेख के अंत में PDF DOWNLOAD लिंक शेयर किया है

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अग्नि पुराण में क्या लिखा है

  • इस पुराण के मुख्य देवता अग्निदेव है
  • इसलिए इस पुराण को अग्नि देव के नाम से जाना जाता है
  • इस पुस्तक के लेख महर्षि वेदव्यास जी है
  • इस पुराण में ब्रह्मा/विष्णु/महेश और भगवान सूर्य की पूजा अर्चना के बारें में लिखा है
  • साथ ही उनसे जुड़ी कथाओं के बारे में बताया गया है।
  • अग्नि पुराण के अध्यायों में भगवान के विभिन्न अवतारों के बारे में वर्णन किया गया है
  • जिनमें राम और कृष्ण भगवान् भी शामिल है
  • हिंदू संस्कृति,पूजा-पाठ और अग्नि देव के द्वारा कही गई हर विद्या इस अग्नि पुराण में लिखा हुआ है

अग्नि पुराण का पहला अध्याय

अग्नि पुराण का पहला अध्याय कुछ यूँ है की –

  • मङ्गलाचरण तथा अग्नि और वसिष्ठके संवाद-रूपसे अग्निपुराण का पहला अध्याय आरम्भ
  • श्रियं सरस्वतीं गौरीं गणेशं स्कन्दमीश्वरम् ।
  • ब्रह्माणं वह्निमिन्द्रादीन् वासुदेवं नमाम्यहम् ॥
  • लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, महादेवजी, ब्रह्मा, अग्नि, इन्द्र आदि देवताओं तथा
  • भगवान् वासुदेवको मैं नमस्कार करता हूँ’ ॥ १ ॥
  • नैमिषारण्यकी बात है। शौनक आदि ऋषि यज्ञोंद्वारा भगवान् विष्णुका यजन कर रहे थे।
  • उस समय वहाँ तीर्थयात्राके प्रसङ्गसे सूतजी पधारे। महर्षियोंने उनका स्वागत-सत्कार करके कहा ॥ २ ॥
  • ऋषि बोले- सूतजी ! आप हमारी पूजा स्वीकार करके हमें वह सारसे भी सारभूत तत्त्व बतलानेकी कृपा करें,
  • जिसके जान लेनेमात्रसे सर्वज्ञता प्राप्त होती है ॥ ३ ॥
  • सूतजीने कहा – ऋषियो ! भगवान् विष्णु ही सारसे भी सारतत्त्व हैं।
  • वे सृष्टि और पालन आदिके कर्ता और सर्वत्र व्यापक हैं। ‘वह विष्णुस्वरूप ब्रह्म मैं ही हूँ’-इस प्रकार उन्हें जान लेनेपर सर्वज्ञता प्राप्त हो जाती है।
  • ब्रह्मके दो स्वरूप जाननेके योग्य हैं-शब्दब्रह्म और परब्रह्म।
  • दो विद्याएँ भी जाननेके योग्य हैं-अपरा विद्या और परा विद्या। यह अथर्ववेदकी श्रुतिका कथन है।
  • एक समयकी बात है, मैं, शुकदेवजी तथा पैल आदि ऋषि बदरिकाश्रमको गये और वहाँ व्यासजीको नमस्कार करके हमने प्रश्न किया। तब उन्होंने हमें सारतत्त्वका उपदेश देना आरम्भ किया ॥ ४-६ ॥

अग्नि पुराण का पहला अध्याय –

इस लेख में अग्नि पुराण पहला अध्याय का कुछ भाग ही लिखा गया है पूरा अध्याय पढने के लिए इस अग्नि पुराण गीता प्रेस पीडीऍफ़ डाउनलोड करें जिसका लिंक निचे दिया गया है

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