योग विज्ञान पीडीऍफ़ डाउनलोड PDF Yoga Vigyan Book PDF IN HINDI DOWNLOAD yoga science book pdf in hindi Hindi Book Yoga Vigyan I Baglamukhi Peeth Datia
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किताब से – योग के जन्मदाता – योग विज्ञान पीडीऍफ़ डाउनलोड PDF Yoga Vigyan Book PDF HINDI
योग विद्या का प्रादुर्भाव वेदों के पहले हुआ है और उसके जन्मदाता हिरण्यगर्भजी महाराज थे, जिनके सम्बन्ध में (ऋ. वेद १०/१२१/(१)) व श्रीमद्भागवत् (५/११/१३) में लिखा है कि यह हिरण्यगर्भ महाराज वहीं थे जिन्होंने कि वेद विद्या के पहले ही योग विद्या का प्रादुर्भाव किया था। वेदों के विकास के पहले ही योग विद्या तरुण हो चुकी थी बल्कि योग विद्या के गर्भ से ही वेद विद्या का जन्म हुआ है।
योग का जन्म
सृष्टि के आरम्भकाल में उक्त हिरण्यगर्भजी महाराज से अग्नि, वायु, आदित्य व अंगिरा आदि चार महर्षियों ने इसे पढ़ा और उक्त चारों ऋषियों से महर्षि पतंजलि ने सीखकर ‘योग दर्शन’ नामक ग्रन्थ के रूप में प्रकट किया जो कि इस सम्बन्ध में सभी ग्रन्थों में प्रधान व मान्य माना जाता है।
योग के अर्थ
योग शब्द का एक अर्थ है जोड़ना और दूसरा अर्थ है उपाय, अर्थात् महर्षि पतंजलि के मतानुसार चित्त की वृत्तियों को रोक देना ही योग है। माया के कारण जीवात्मा और परमात्मा भिन्न भिन्न मालूम होते हैं। अद्वैत सिद्धांत के अनुसार जिस ज्ञान व क्रिया से जीवात्मा को परमात्मा स्वरूप का ज्ञान हो उसी को योग कहते हैं।
माया बढ़कर संसार में कोई दूसरा बन्धन नहीं है अतएव उसी बन्धन को काटने वाला साधन ही योग कहलाता है। यही महाराज पतंजलि की योग के सम्बन्ध में व्याख्या है।
योग विज्ञान पीडीऍफ़ इन हिंदी
पीडीऍफ़ योग का महत्त्व
- योगशिखोपनिषद् में योग मार्ग का बहुत ही सुन्दर स्पष्टीकरण किया गया है।.
- आरम्भ काल में हिरण्यगर्भ ने श्री महेश्वर से प्रश्न किया कि है शंकर!
- इस दुःखमय संसार में सब जीव पड़े हैं और अपने-अपने कम का फल भोग रहे हैं
- इनकी मुक्ति किस प्रकार से हो सकती है,
- कृपया इसका कोई सरल उपाय बतलाइए।
- शंकरजी ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि
- कर्मबन्धन से मुक्त होने के उपाय को ही कोई ज्ञान और कोई योग कहते हैं;
- परन्तु मेरा मत तो यह है कि योगहीन ज्ञान और ज्ञानहीन योग कभी भी मोक्षप्रद नहीं हो सकता
- अतएव मुमुक्षु को दृढ़ता के साथ दोनों का ही अभ्यास करना चाहिए।
- योगाभ्यास के द्वारा चित्त की एकाग्रता प्राप्त होने पर ज्ञान उत्पन्न होता है व उसी ज्ञान से जीवात्मा की मुक्ति होती है।