लंगड़ा खूनी बाबू नयरामदास द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक Langada Khooni PDF BOOK IN HINDI FREE DOWNLOAD upanyas pdf download in hindi
Langada Khooni upanyas PDF : किताब लंगड़ा खूनी उपन्यास से कुछ अंश लिखा हुआ शेयर कर रहे है साथ ही में सबसे आखिर में डाउनलोड लिंक भी पीडीऍफ़ शेयर किया गया है
जासूसी उपन्यास – पहिला भेद – जांच की तैय्यारी“
भोजन करके मैं अपनी प्यारी से अपने करनेलगंज (इलाहाबाद ) वाले मकान में घुल घुल कर बातें कर रहा था कि इतने में नौकर ने आकर मुझे एक चीठी बी वह मेरे मित्र अजयसिंह (जानुस ) की थी जिसमें निम्ट लिखित बातें लिखी थीं :
- “यदि तुमकुरे कुछ दिनर्क लिए फुरसत हो तो,
- तुम चीठी देखते चले आओ क्योंकि मुझे एक खून के मामिले की तहकीकात के लिए बनारस जाना है ।
- तुम्हारे साथ रहने से मुझे सब बातों का धाराम रहता है ।
- इसके अतिरिक्त तुम्हारे ऊपर मामले के सब भेद भी खुल जाते हैं,
- मैं यहां से डेरा सवा ग्यारह बजे कूच करूंगा । “
- जब मैं चीटी को पढ़ चुका तो मेरी प्यारी ने कहा- प्यारे, क्या तुम जाने को तैयार हो !”
लंगड़ा खूनी बाबू नयरामदास द्वारा हिंदी
लंगड़ा खूनी बाबू नयरामदास द्वारा हिंदी पीडीऍफ़ पुस्तक Langada Khooni : आगे का भाग पढने के ले लिए पुस्तक पीडीऍफ़ प्रारूप में डाउनलोड करें
मेरी स्त्री-” यद्यपि इस समय बहुत से काम हैं, पर इन्हें तुम रघुनन्दन (“मेरे नौकर का नाम था) पर छोड़ दो मेरी समझ में तुम्हारे लिए थावहवा का फेर बदल बहुत अच्छा होगा। क्योंकि आजकल तुम्हारे चेहरे की रंगत कुछ फीकी है। इसके अतिरिक्त अजयसिंहके मिलने से तुम्हें असीम प्रसन्नता प्राप्त होती है और तुम्हारा दिल भी बहल जाता है । “
- मैं- “ इसमें सन्देह ही क्या है ( तय्यारी का हाल कहते हुए ) अच्छा चलने की तैयारी करता हूं।
- “मैं झट से आवश्यकीय चीजों को बांध बंध कर फिटन पर सवार होके
- इलाहाबाद के इस्टेंशन पर या चमका मेरा परम हितैषी मित्र
- अजयसिंह प्लाट – फार्म पर, 1 मेरे इंतजार में टहल रहा था,
- अजयसिंह मुझे देखते कहने लगा,-“विजयसिंह ! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
- तुम्हीं एक ऐसे मेरे मित्र हो जिसपर में भरोसा रक् सकता हूं। अच्छा !
- तुम किसी खाली गाड़ी में जगह देखो तबसे मैं टिकट ले आऊँ ।”, ….आगे का भाग पीडीऍफ़ डाउनलोड करके पढ़े