गोदान उपन्यास PDF in Hindi – Godan Upanyas in Hindi PDF

गोदान उपन्यास PDF in Hindi – Godan Upanyas in Hindi PDF – गोदान उपन्यास pdf free download मुंशी प्रेमचंद की गोदान कहानी पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड करें

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मुंशी प्रेमचंद की गोदान कहानी पीडीऍफ़ इन हिंदी में डाउनलोड करने के लिए सबसे आखिर में डाउनलोड लिंक शेयर किया गया है आगे पढ़े मुंशी प्रेमचंद की गोदान कहानी से सारांश लिखा हुआ

गोदान उपन्यास

मुंशी प्रेमचंद की लेखनी का यह चमत्कार था कि समाज में इर्द-गिर्द घटता आप बीता-सा लगे। इसी तादात्म्य साधना ने उन्हें उपन्यास जगत में वह स्थान दिया, जो किसी और को प्राप्त नहीं है।

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में जहां समाज में व्याप्त कुरीतियों को आड़े हाथों लिया, उन पर करारा प्रहार किया, वहीं भारतीय जन-जीवन की अस्मिता को भी खोजा।

मुंशी जी की रचनाएं भारतीय जन-जीवन का आईना हैं। हिंदी-साहित्य की अमूल्य निधि ये रचनाएं ऐसे आदर्शों की बात करती हैं, जो जमीन से जुड़े हैं, यथार्थ हैं।

‘गोदान’ को पढ़ते समय आपको ऐसा लगेगा मानो यह आपकी ही, आपके आसपास की ही कहानी हो। शायद यही कारण रहा कि विश्व की लगभग प्रत्येक भाषा में ही इसका अनुवाद हुआ। हमें विश्वास है कि ‘गोदान’ का अत्यंत प्रामाणिक संस्करण आपको अवश्य पसंद आएगा

गोदान उपन्यास PDF in Hindi

किताब गोदान उपन्यास PDF in Hindi – Godan Upanyas in Hindi PDF से कुछ अंश पढ़े हिंदी में लिखा हुआ –

  • होरीराम ने दोनों बैलों को सानी-पानी देकर अपनी स्त्री धनिया से कहा-
  • गोवर को ऊख गोड़ने भेज देना। मैं न जाने कब लौटूं। जरा मेरी लाठी दे दे।
  • धनिया के दोनों हाथ गोवर से भरे थे। उपले पाथकर आयी थी।
  • बोली-अरे, कुछ रस पानी तो कर लो। ऐसी जल्दी क्या है?
  • होरी ने अपने झुर्रियों से भरे हुए माथे को सिकोड़कर कहा-
  • तुझे रस पानी की पड़ी है, मुझे यह चिन्ता है कि अवेर हो गयी,
  • तो मालिक से भेंट न होगी। स्नान-पूजा करने लगेंगे, तो घण्टों बैठे बीत जायेगा ।
  • इसी से तो कहती हूं, कुछ जलपान कर लो।
  • और आज न जाओगे, तो कौन हरज होगा। अभी तो परसों गये थे।’
  • तू जो बात नहीं समझती, उसमें टांग क्यों अड़ाती है भाई?
  • मेरी लाठी दे दे और अपना कान देख। यह इसी मिलते-जुलते रहने का परसाद है कि
  • अब तक जान बची हुई है, नहीं कहीं पता न लगता कि किधर गये।
  • गांव में इतने आदमी तो हैं, किस पर वेदखली नहीं आयी, किस पर कुड़की नहीं आयी।
  • जब दूसरे के पांवों-तले अपनी गर्दन दवी हुई है, तो उन पांवों को सहलाने में ही कुशल है।
  • आगे की कहानी – किताब गोदान उपन्यास PDF in Hindi डाउनलोड करने के बाद पढ़े

किताब गोदान उपन्यास PDF DOWNLOAD

PDF NAMEGodan Upanyas
LANGAUGEHINDI
PDF SIZE16.8 MB
PAGE290
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CATEGORYOTHER PDF
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