डॉ. अम्बेडकर और इस्लाम DR B R Ambedkar & Islam dr b r
ambedkar and islamic books pdf in hindi डॉ भीमराव आंबेडकर की
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डॉ. अम्बेडकर और इस्लाम DR B R Ambedkar & Islam dr b r ambedkar and islamic books pdf in hindi डॉ भीमराव आंबेडकर की बुक्स इन हिंदी पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड
मूल रूप से पशु और मनुष्य में यही विशेष अन्तर है कि पशु अपने विकास की बात नहीं सोच सकता, मनुष्य सोच सकता है और अपना विकास कर सकता है।
बाबा साहब डा0 अम्बेडकर और इस्लाम
हिन्दू धर्म ने दलित वर्ग को पशुओं से भी बदतर स्थिति में पहुंचा दिया है, यही कारण है कि वह अपनी स्थिति परिवर्तन के लिए पूरी तरह कोशिश नहीं कर पा रहा है, रूपं पशुओं की तरह ही वह अच्छे चारे की खोज में तो लगा है लेकिन अपनी मानसिक गुलामी दूर करने के अपने महान उद्देश्य को गम्भीरता से नहीं ले रहा है।
दलितों की वास्तविक समस्या क्या है?
परम्परागत उच्च वर्ग द्वारा दलितों पर बेकसूरी एवं बेरहमी से किए जा रहे अत्याचारों को कैसे रोका जाए, यही दलितों की मूल समस्या है।
हजारों वर्षों से दलित वर्ग पर अत्याचार होते आए हैं, आज भी बराबर हो रहे हैं। यह अत्याचारों का सिलसिला कैसे शुरू हुआ और आज तक भी ये अत्याचार क्यों नहीं रुके हैं? यह एक अहम सवाल है।
इतिहास साक्षी है कि इस देश के मूल निवासी द्रविड़ जाति के लोग थे जो बहुत ही सभ्य और शांति प्रिय थे। आज से लगभग पांच या 6 हज़ार वर्ष पूर्व आर्य लोग भारत आये और यहां के मूल निवासी द्रविड़ों पर हमले किए। फलस्वरूप आर्य और द्रविड़ दो संस्कृतियों में भीषण युद्ध हुआ। आर्य लोग बहुत चालाक थे। अतः छल से, कपट से और फूट की नीति से द्रविड़ों को हराकर इस देश के मालिक बन बैठे।
इस युद्ध में द्रविडों द्वारा निभाई गई भूमिका की दृष्टि से द्रविड़ों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है। प्रथम श्रेणी में वे आते हैं जिन्होंने इस युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए अन्त तक आर्यों के दाँत खट्टे किये। उनसे आर्य लोग बहुत घबराते थे। दूसरी श्रेणी वे द्रविड़ आते हैं जो इस युद्ध में आरम्भ से ही तटस्थ रहे या युद्ध में भाग लेने के बेड़े बाद ही गैर-जानिवदार हो गए अर्थात् लड़े नहीं।
डॉ. अम्बेडकर और इस्लाम DR B R Ambedkar & Islam
क्या हिन्दू धर्म हमारे पूर्वजों का धर्म था?
- हिन्दू धर्म हमारे पूर्वजों का धर्म नहीं हो सकता है,
- बल्कि उन पर ज़बरदस्ती लादी गई एक गुलामी, दासता थी।
- हमारे पूर्वजों को इस धर्म में ही रखना यह एक क्रूर खूनी पंजा था जो हमारे पूर्वजों के खून का प्यासा था।
- इस गुलामी से अपनी मुक्ति पाने की क्षमता और साधन उपलब्ध नहीं थे, इसलिए उन्हें इस गुलामी में रहना पड़ा।
- इसके लिए उन्हें हम दोषी नहीं ठहरायेंगे, कोई भी उन पर रहम ही करेगा।
- किन्तु आज की पीढ़ी पर उस तरह की जबरदस्ती करना किसी के लिए भी सम्भव नहीं है।
- हमें हर तरह की स्वतंत्रता है।
- इस आज़ादी का सही-सही उपयोग कर यदि इस पीढ़ी ने अपनी मुक्ति का तरस्ता नहीं खोजा
- यह जो हजारों साल से ब्राह्मणी अर्थात हिन्दू धर्म को गुलामी है
- उसको नही तोड़ा तो मैं यही समझंगा कि उनके जैसे, नीच, उनके जैसे हरामी
- और उनके जैसे कायर भी “स्वाभिमान बेचकर पशु से भी गई गुजरी ज़िन्दगी बसर करते हैं अन्य कोई नहीं होंगे।
- यह बात मुझे बड़े दुख और बड़ी बेरहमी से कहनी पड़ेगी। पृष्ठ ३८.२६
धर्म, उद्देश्य पूर्ति का साधन है, अतः धर्म परिवर्तन करो
- यदि आपको इंसानियत से मुहब्बत हो तो धर्मान्तर करो।
- हिन्दू धर्म का त्याग करो। तमाम दलित अछूतों की सदियों से गुलाम रखे गए
- वर्ग की मुक्ति के लिए एकता, संगठन करना हो तो धर्मान्तर करो। समता प्राप्त करनी हो तो धर्मान्तर करें।
- आजादी प्राप्त करना हो तो धर्मान्तर करो। मानवी सुख चाहते हो तो धर्मान्तर करो।
- हिन्दू धर्म को त्यागने में ही तमाम दलित, पददलित, अछूत, शोषित पीड़ित वर्ग का वास्तविक हित है
- यह मेरा स्पष्ट मत बन चुका है।
डॉ. अम्बेडकर और इस्लाम DR B R Ambedkar & Islam