जुल्म का अंजाम पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड Zulm Ka Anjam PDF FREE DOWNLOAD zulm ka anjam pdf book in hindi जुल्म का अंजाम पीडीऍफ़ किताब PDF IN HINDI
जो बुराई करे उस पर भी ज़ुल्म न करो
“तिरमिज़ी शरीफ़” की रिवायत में है कि सरकारे मदीना, करारे कल्वो सीना का फरमाने बा करीना है : “तुम लोग नक्काल न बनो कि कहो अगर लोग भलाई करेंगे तो हम भी भलाई करेंगे और अगर लोग जुल्म करेंगे तो हम भी जुल्म करेंगे, लेकिन अपने नफ्स को कुरार दो कि लोग भलाई करें तो तुम भी भलाई करो और लोग बुराई करें तो तुम जुल्म न करो।”
जुल्म का अंजाम
बागृ या जहन्नम का गढ़ा – जुल्म का अंजाम पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड Zulm Ka Anjam PDF FREE
अल्लाह !अल्लाह ! हमारे बुजुर्गाने दीन कितनी अज़ीम म-दनी सोच के मालिक होते थे। हम तो ऐसा सोच भी नहीं सकते औलियाए किराम हर वक्त ख़ौफे खुदा से लरजां व तरसां रहा करते हैं, हर दम मौत उन के पेशे नज़र रहती, कृब्रो हश्र के मुआमलात से कभी गाफिल नहीं होते ।
आह ! कुछ का मुआ-मला वे इन्तिहा तशवीश नाक है! हाए हमारा क्या बनेगा । हम तो अपनी कुन को यक्सर भूले हुए हैं “एहयाउल उलूम ” में है: हज़रते सय्यिदुना सुफ्यान सौरी फ़रमाते हैं: “जो शख्स कब को अक्सर याद करता है वोह मरने के बाद अपनी कुन को जन्नत के बाग़ों में से एक बाग़ पाएगा और जो कृब को भुला देगा वोह अपनी कृब्र को जहन्नम के गढ़ों में से एक गढ़ा पाएगा।”
पाउल उलूम, जि. 4., स. 238)
गोरे नेकां बाग होगी खुल्द का
मुजरिमों की कुछ दोज़ख का गढ़ा
जुल्म का अंजाम पीडीऍफ़ फ्री
- चोर का गम – जुल्म का अंजाम पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड
- एक बुजुर्ग का वाकिआ है कि उन की रकम किसी ने निकाल ली थी
- और वोह रो रहे थे लोगों ने हमदर्दी का इज़हार किया तो फरमाने लगे
- मैं अपनी रकम के गम में नहीं बल्कि चोर के गम में रो रहा हूं कि
- कल कियामत में बेचारा बतौर मुजरिम पेश किया जाएगा उस वक्त उस के पास कोई उङ्ग नहीं होगा।
- आह ! उस वक्त उस की कितनी रुस्वाई होगी