वायु पुराण पीडीऍफ़ डाउनलोड Vayu Purana PDF IN Hindi NEW

वायु पुराण पीडीऍफ़ डाउनलोड Vayu Purana PDF IN Hindi: वायु पुराण 18 महापुराण में से एक है इस पुराण सबसे अधिक चर्चा शिव भगवान् की की मिलती है अगर आप वायु पुराण पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते है ऐसे में अंत में पीडीऍफ़ डाउनलोड लिंक शेयर किया गया है

- Advertisement -

Vayu Purana : वायु पुराण में क्या लिखा है

  • वायु पुराण में सबसे अधिक शिव उपासना के बारें में लिखा है
  • इसलिए वायु पुराण को शिव पुराण का दूसरा अंग भी कहा जाता है
  • इस पुराण में वैष्णव मत पर विस्तृत प्रतिपादन मिलता है।
  • इसमें खगोल/भूगोल/सृष्टिक्रम/युग/तीर्थ/पितर/श्राद्ध/राजवंश/ऋषिवंश/वेद शाखाएं/संगीत शास्त्र/शिवभक्ति आदि का सविस्तार निरूपण है।
  • वायु पुराण में इसमें 112 अध्याय एवं 11000 श्लोक हैं।
  • विद्वान लोग ‘वायु पुराण’ को स्वतन्त्र पुराण न मानकर ‘शिव पुराण’ और ‘ब्रह्माण्ड पुराण’ का ही अंग मानते हैं।
  • नारद पुराण’ में जिन अठारह पुराणों की सूची दी गई हैं, उनमें ‘वायु पुराण’ को स्वतन्त्र पुराण माना गया है।
  • इस पुराण में वायुदेव ने श्वेतकल्प के प्रसंगों में धर्मों का उपदेश किया है। इसलिये इसे वायु पुरण कहते है।

वायु पुराण अध्याय 98

  • वायु पुराण अध्याय 98 यू है कि-
  • एवमाराध्य देवेशमीशानं नीलोहितम् । ब्रह्मेति प्रणतस्तस्मै प्राञ्जलिर्वाक्यमब्रवीत्
  • काव्यस्य गात्रं संस्पृश्य हस्तेन प्रीतिमान्भवः । निकामं दर्शनं दत्त्वा तत्रैवान्तरधीयत
  • ततः सोऽन्तर्हिते तस्मिन्देवेशानुचरे तदा । तिष्ठन्तीं प्राञ्जलिर्भूत्वा जयन्तीमिदमब्रवीत्
  • कस्य त्वं सुभगे का वा दुःखिते मयि दुःखिता । महता तपसा युक्तं किमर्थं मां* जूगोपसि
  • अनया सततं भक्तघा प्रश्रयेण दमेन च । स्नेहेन चैव सुश्रोणि प्रीतोऽस्मि वरवर्णिनि
  • किमिच्छसि वरारोहे कस्ते कामः समृध्यताम् । तं ते संपूरयाम्यद्य यद्यपि स्यात्सुदुर्लभम्

वायु पुराण अध्याय 98 का अर्थ

सूत बोले ऋषिवृन्द ! शुक्राचार्य ने इस प्रकार नीललोहित देवेश भगवान् शङ्कर की आराधना कर पुनः प्रमाण किया और हाथ जोड़े हुए ब्रह्म का उच्चारण किया, प्रार्थना से परम प्रसन्न महादेव जी अपने हाथ से शुक्राचार्य के शरीर का स्पर्श कर एवं पर्याप्त दर्शन देकर वहीं अन्तहित हो गये ।

देवेश के अन्तर्धान हो जाने पर हाथ जोड़कर सामने उपस्थित जयन्ती से शुक्राचार्य बोले- ‘सुन्दरि ! तुम किसकी पुत्री हो, मेरे दुःख के समय दुःख उठाने वाली तुम कौन हो ? ऐसी महान तपस्या में निरत रहकर तुम किस लिए मेरी रक्षा में दत्तचित रही हो। हे सुन्दर अंगों वाली, सुश्रोणि! तुम्हारी इस सर्वदा एक रूप रहने वाली भक्ति, कष्टसहिष्णुता, प्रणय और स्नेह से में बहुत प्रसन्न हूँ । हे सुम्दरि ! तुम क्या चाहती हो, मैं तुम्हारी किस कामना की पूर्ति करूँ, तुम्हारी जो भी अभिलाषा होगी – चाहे वह अत्यन्त कठिन ही क्यों न होगी मैं आजज पूर्ण करना चाहूँगा’ ।

वायु पुराण पीडीऍफ़ डाउनलोड

PDF NAMEVayu Purana
LANGUAGEHINDI
PDF SIZE76 MB
PAGE1160
CATEGORYHINDUISM BOOK
DOWNLOADYES LINK ✅
CREDITGORAKHPUR HINDI
Vayu Purana PDF DOWNLOAD

PDF DOWNLOAD: वायु पुराण पीडीऍफ़ डाउनलोड

This book was brought from archive.org as under a Creative Commons license, or the author or publishing house agrees to publish the book. If you object to the publication of the book, please contact us.for remove book link or other reason. No book is uploaded on This website server. Only We given external Link

Related PDF

LATEST PDF