टीवी और कब्र का अजाब पीडीऍफ़ डाउनलोड TV Aur Qabar Ka Azab PDF FREE Download ISLAMIC BOOK IN HINDI PDF FREE DOWNLOAD टीवी और कब्र का अजाब
TV और क़ब्र का अज़ाब بسم الله الرحمن الرحیم
الحمد لله نحمدُهُ وَنَسْتَعِينُهُ وَنَسْتَغْفِرُه و مِن بِهِ وَتَوَ كُل عَلَيْهِ – وَل رافيا وَمِنْ سَاتِ أَعْمَالِنَا مَن تَهْدِه الله فَلا مُضِل لَهُ: وَمَنْ يُضلِله فَلَا هَادِى لَهُ وَأَشْهَدُ ان اله إلا الله وحده لاشريك له وأشهد أن سَدَنَا وَمَوْلانا ونبينا مُحَمَّداً عَبْدَةً وَرَسُولَهُ. صلى الله تعالى عَلَيْهِ وَعَلَى الهِ وَأَصْحَابِهِ وَبَارَكَ وسلم تسليمًا كثيرًا كثيرا
أما بعد فاعوذ بالله مِنَ الشَّيْطَان الرحيم
نبُوا كَبَائِرَ
مَا تُنهون عنه نكفر عنكم سياتكم
وند خِلَكُمْ مُدْخَلا كَرِيماً . (سورة النساء آیت نمبر ۳۱)
صَدَقَ اللهُ الْعَظِيمُ
टीवी और कब्र का अजाब
कब्रिस्तान में अपनी मौत को याद कर – टीवी और कब्र का अजाब पीडीऍफ़ TV Aur Qabar Ka Azab PDF
एक और अदब इस हदीस में हमारे लिए यह है कि. कब्रिस्तान में जाकर हमें अपनी मौत को याद करना चाहिए, अपनी कब्र को सोचना चाहिए, आज कल इस अदब से हमारे अन्दर बड़ी गफलत पाई जा रही है।
जब हम कृब्रिस्तान की तरफ़ जाते हैं तो भी दुनिया की बातें करते हैं, और कब्रिस्तान में पहुंच कर भी दुनिया ही की बातें करते हैं।
वहां की कब्रों को देखकर हमें अपनी कब्र और मौत याद नहीं आती। जबकि क़ब्रिस्तान जाने का अस्ल अदब यही है कि वहां जाकर अपनी मौत को याद करें। अपने मरने को सोचें, और मरने के बाद अपने कदर के हालात को सोचें। और यह सोचें कि आज ये लोग जो कुत्तों में दफन है,
- एक वक्त वह था जब ये भी हमारी तरह दुनिया में खाते पीते थे, रहते सहते थे
- लेकिन आज अपनी कब्रों के अन्दर अज़ाब में हैं या सवाब में हैं. कुछ पता नहीं।
- हमें भी एक दिन यहां पहुंचना है
- जिस तरह मैं एक जनाज़े को लेकर यहां आया हूं
- इसी तरह एक दिन मुझे भी जनाज़े की सूरत में यहां लाया जाएगा।
- एक दिन मौत आजाएगी, उस वक्त न बीवी साथ आयेगी
- और न माल साथ आयेगा, ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे कब तक आ जायेंगे ।
जिन्दगी भर की मुहब्बत का सिला
हज़रत डाक्टर अब्दुल हई साहब (रहमतुल्लाहि अलैह ) अल्लाह तज्ञाला उन के दरजात बुलन्द फ़रमाए (आमीन) एक बार पापोश नगर (कराची) के कब्रिस्तान में हज़रत मौलाना ज़फ़र अहमद उस्मानी रह० को दफनाने के मौके पर तशरीफ ले गए, वहां हज़रत वाला ने यह शेर सुनाया ।