कब्र की पहली रात पीडीऍफ़ Qabar Ki Pehli Raat PDF Hindi qabar ki pehli raat book pdf in Hindi URDU qabar ki pehli raat hadees ISLAMIC BOOK IN HINDI
Qabar Ki Pehli Raat – कब्र की पहली रात के बारे में इस्लाम में कुछ मान्यताएं हैं। इस्लाम में माना जाता है कि जब कोई मुसलमान मर जाता है और उसका शव कब्र में दफनाया जाता है, तो उसकी आत्मा को पहली रात कब्र में रहनी पड़ती है।
इस मान्यता के अनुसार, कब्र की पहली रात को अलम-ए-बरजख या बरजख कहा जाता है। यह रात बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और मान्यता के अनुसार यह एक आत्मा के लिए एक अलग और विशेष दौर होता है।
इस रात में मान्यता है कि मरे हुए व्यक्ति की आत्मा उसके द्वारा बिताई गई दुनियावी जिंदगी की यादें और उसके कर्मों का मुल्यांकन करती है। यह आत्मा अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक में भेजी जा सकती है, जहां उसे उसके कर्मों के अनुसार पुरस्कार या सजा मिलती है।
इस्लाम में मान्यता है कि दिन और रात के दौरान दूसरे आत्माओं का दर्शन करना असंभव है, लेकिन कब्र की पहली रात में आत्मा को इजाज़त दी जाती है कि वह अपने परिवार के पास आए
और उनकी दुआओं को सुने। इसलिए, कुछ मुसलमान अपने मरे हुए प्रियजनों के लिए दुआ करने और उनके लिए खाना-पीना रखते हैं ताकि उनकी आत्मा को सुख और आराम मिल सके।
यह एक मान्यता है और इस्लामिक धर्म के अनुसार अपने मरे हुए प्रियजनों के प्रति सम्मान और भक्ति का अभिव्यक्ति का तरीका है। यहां यह महत्वपूर्ण है कि धर्मसंबंधी मान्यताओं में विश्वास रखने वाले व्यक्ति इसे अपने अपने विश्वास प्रणाली के अनुसार समझे और अनुष्ठान करें।
कब्र की पहली रात
कोई गुल बाकी रहेगा न चमन रह जाएगा
पर रसूलुल्लाह का दीने हसन रह जाएगा
हम सफीरो बाग में है कोई दम का चहचहा
बुलबुलें उड़ जाएंगी सूना चमन रह जाएगा
अत्लसो कम ख़्वाब की पृशाक पर नाजां न हो
इस तने बे जान पर खाकी कफ़न रह जाएगा
कब्र की पहली रात पीडीऍफ़ Qabar Ki Pehli Raat PDF Hindi –
आंखें रो रो के सुजाने वाले
जाने वाले नहीं आने वाले
कोई दिन में येह सरा ऊजड़ है
अरे ओ छाउनी छाने वाले
नफ़्स ! मैं ख़ाक हुवा तू न मिटा
है ! मेरी जान के खाने वाले
साथ ले लो मुझे मैं मुजरिम हूं
राह में पड़ते हैं थाने वाले
हो गया धक से कलेजा मेरा
हाए रुख़्सत की सुनाने वाले