नाम कैसे रखे जाए पीडीऍफ़ डाउनलोड Naam Kaise Rakhe Dawateislami – Naam Rakhne Ke Ahkam dawateislami PDF Free Download In HIndi Book
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नाम कैसे रखे जाए
दावत ए इस्लामी बुक्स नाम कैसे रखे जाए पीडीऍफ़ डाउनलोड से पहले कुछ अंश किताब के यहाँ पढ़े –
वालिदैन को चाहिए कि वोह अपने बच्चे का अच्छा नाम रखें कि यह उन की तरफ से अपने बच्चे के लिये सब से पहला और बुन्यादी तोहफा है जिसे बच्चा उम्र भर अपने सीने से लगाए रखता है यहां तक कि क्रियामत के दिन उसी नाम से पुकारा जाएगा चुनान्चे खल्क के रहबर, शाफेए
महशर का फरमाने बख़्त वर है: आदमी सब से पहला तोहफा अपने बच्चे को नाम का देता है इस लिये चाहिये कि वोह उस का अच्छा नाम रखे।’ एक और हदीसे पाक में इर्शाद फ़रमाया : बेशक क़ियामत के दिन तुम अपने और अपने आवा के नामों से पुकारे जाओगे लिहाजा अपने अच्छे नाम रखा करो
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! इन अहादीसे मुबारका से उन लोगों को इव्रत हासिल करनी चाहिये जो अपने बच्चे का नाम किसी फ़िल्मी अदाकार या कुफ़्फ़ार के नाम पर रख देते हैं, इस से बड़ी ज़िल्लत और क्या होगी कि कल मैदाने महशर में मुसल्मान की औलाद को कुफ्फार के नामों से पुकारा जाए।
बच्चे का अच्छा नाम रखना वालिदैन की अव्वल तरीन ज़िम्मादारी है और येह वालिदैन की तरफ से बच्चे के लिये पहला तोहफा होता है मगर बद किस्मती से आज हमारे मुआ-शरे में वालिदैन खुद अपने बच्चों के नाम रखने के बजाए दूसरे रिश्तेदारों पर यह ज़िम्मादारी आइद कर देते है
नाम कैसे रखे जाए किताब
कुछ अंश पढ़े नाम कैसे रखे जाए पीडीऍफ़ डाउनलोड (Naam Kaise Rakhe Dawateislami ) – “मुहम्मद और अहमद” नाम रखने के फ़ज़ाइल
अर्ज : इस्लामी भाई आप से अपने नौ मौलूद बच्चों के नाम रखवाते हैं तो आप बच्चे का नाम “मुहम्मद या अहमद” रखते हैं इस में क्या हिक्मत है ?
- इर्शाद : “मुहम्मद” और “अहमद” हमारे प्यारे आका, मक्की मदनी मुस्तफा के
- जाती अस्मार मुबारका हैं, अहादीसे मुबारका में इन के बड़े फजाइलो ब-रंकात बयान हुए हैं,
- चुनान्चे इन अस्माए मुबा-रका के 4 हुरूफ़ की निस्बत से चार अहादीसे मुबारका मुला-हजा फरमाइये :
- नविय्ये रहमत, शफ़ीए उम्मत, मालिके कौसरो जन्नत का फ़रमाने जन्नत निशान है
- जिस के हां लड़का पैदा हो पस वोह मेरी महब्बत
- और मेरे नाम से ब-र-कत हासिल करने के लिये उस का नाम “मुहम्मद” रखे
- वोह और उस का लड़का दोनों जन्नत में जाएं।
- महबूबे रब्बुल इज्जत, पैकरे जूदो सखावत, कासिमे ने मत का फरमाने ब-र-कत निशान है
- जिस ने मेरे नाम से ब-र-कत की उम्मीद करते हुए मेरे नाम पर नाम रखा
- कियामत तक सुबहो शाम इस पर बरकत नाजिल होती रहेगी