मुस्लिम शरीफ पीडीऍफ़ डाउनलोड Muslim Sharif PDF Download

मुस्लिम शरीफ पीडीऍफ़ डाउनलोड Muslim Sharif PDF Download कुरान हदीस की बातें मुस्लिम शरीफ हदीस हिंदी में muslim 1000 hadees PDF in hindi FREE DOWNLOAD

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हदीस की परिभाषा-

  1. कौली हदीस- रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान।
  2. फेली हदीस- रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अमल।
  3. तकरीरी हदीस- रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की इजाज़त।
  4. (तक्ररीरी हदीस उसे कहते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मौजूदगी में कोई काम किया गया हो
  5. या कोई बात कही गयी हो और आप उस पर खामोश रहे हों या मना न किया हो।)
  6. आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सिफात (हुलिया, अखलाक, किरदार) ‘सिफ्ती हदीस’ कहलाती हैं।

हदीस की किस्में (संक्षिप्तता के साथ)

  1. सही- जिसके तमाम रावी (रिवायत करने वाले) मोतबर, परहेज़गार और
  2. काबिले एतिबार याददाश्त के मालिक हों और सनद मुत्तसिल हो (मुत्तसिल के मायने ‘लगातार’ के हैं,
  3. यानी सनद शुरू से आखिर तक मिली हुई हो, बीच से कोई रावी गायब न हो)।
  4. हसन- जिसके रावी सही हदीस के रावियों के मुकाबले में हाफिजे (याद्दाश्त) में तो कम हों,
  5. बाकी शर्तें (मोतबर, परहेज़गार और सनद मुत्तसिल होने में) सही हदीस वाली मौजूद हों।
  6. मरफूअ- जिस हदीस में किसी सहाबी ने रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि
  7. व सल्लम का नाम लेकर हदीस बयान की हो वह मरफ़ूज़ हदीस कहलाती है।
  8. मौकूफ- जिस हदीस में किसी सहाबी ने रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि
  9. व सल्लम का नाम लिये बगैर हदीस बयान की हो या अपने ख्याल का इज़हार किया हो वह मौक्रूफ हदीस कहलाती है।

मुस्लिम शरीफ – नमाज़ का बयान

(ईमान के बाद तमाम इवादतों में नमाज़ मुकद्दम (आगे) है और तहारत नमाज़ की शर्त है, तहारत के बगैर नमाज़ दुरुस्त नहीं होती, इसलिये तहारत के बाद नमाज़ के अहकाम लिखे गये हैं।

क़ियामत में सबसे पहले नमाज़ के बारे में मालूम किया जायेगा, जिसकी नमाज दुरुस्त साबित होगी उसके दूसरे आमाल का हिसाब आसानी से लिया जायेगा और जिसकी नमाज़ ही दुरुस्त न होगी उसके दूसरे आमाल की कोई कद्र व कीमत न होगी, इसलिये हर मुसलमान पर लाज़िम है कि वह नमाज़ का खास ख्याल रखे,

हर नमाज़ मुकुरा वक्त पर दिल लगाकर अदा करे। दुनिया में भी नमाज के बेशुमार फ़ायदे हैं और आखिरत में भी नमाज़ से बेइन्तिहा सवाब मिलेगा जिसका तज़किरा हदीसों में मौजूद है।)

हदीस 105. – हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि हज़रत बिलाल को अज़ान के अलफाज़ दो-दो मर्तबा और तकबीर के एक-एक मर्तबा कहने का हुक्म दिया गया।

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