इस्लाम में औरतों के अधिकार PDF islam mein auraton Ke Adhikar Free Download islam mein aurton ke huqooq PDF BOOK IN FREE DOWNLOAD
PDF: इस्लाम में औरतों यानी महिलाओं को क्या अधिकार है क्या आप जानते है अगर नहीं तो इस्लाम में औरतों के अधिकार PDF बुक्स डाउनलोड करें
इस्लाम में औरतों के अधिकार
इस्लामिक किताब इस्लाम में औरतों के अधिकार PDF (islam mein auraton Ke Adhikar) से कुछ अंश हिंदी में लिखा हुआ पढ़े – इस्लाम में औरत के समाजी अधिकार
इस अध्याय में हम समाजी हवालो से औरत को दिये गए हुकूक का जायजा लेंगे। इन हुकूक को तकसीम इस तरह भी की जा सकती है।
- इस्लाम में औरत के हुकूक बहैसियत बेटी
- इस्लाम में औरत के हुकूक बहैसियत बीवी
- iii इस्लाम में औरत के हुकूक बहैसियत मां
- ४ इस्लाम में औरत के हुकूक बहैसियत बहन
सब से पहले हम दीन इस्लाम में बेटी को दिए गए समाजी हुकूक का जिक्र करते हैं सब से पहली बात तो यह है कि इस्लाम ने बेटी को जान की हिफाजत दी है और बेटियों को कत्ल करने की बुरी रस्म की खत्म किया। इस्लाम वह हिफाज़त बेटे और बेटी दोनों के लिए देता है और औलाद के कत्ल को हराम करार देता है।
सूर: अल्लकवीर में अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“और जब जिन्दा गाढ़ी हुई लड़की से पूछा जाएगा कि वह किस कुसूर में मारी गई।
इस्लाम में औरतों के अधिकार PDF
इस्लामिक पुस्तक इस्लाम में औरतों के अधिकार PDF (islam mein auraton Ke Adhikar) से कुछ अंश – इस्लाम में औरत के शिक्षा के अधिकार
अब हम उन हुकूक का करेंगे जो ने तालीम के हवाले से औरतों को दिये हैं। कुरआन तय की ज में पहली सूरः अलक की पहली पांच पहली पांच आयात इन पवित्र आयात में अल्लाह तआला फरमाता
طراً باسم ربك الذي خلق خلق الانسان من علي اقرا وَرَبُّكَ الذي علم بالقلم علم الإنسان عالَم يَعْلَمُ (۵۲)
- (ऐ नबी स.अ.व.) अपने रब के नाम के साथ जिस ने पैदा किया।
- जमे हुए खून के लोथड़े से इंसान की लोक (पैदा करना) की पढ़ तुम्हारा र बड़ा करीम है।
- जिस ने कलम के जरिये से इल्म सिखाया। इंसान को वह इल्म दिया जिसे वह न जानता था।”
- और यह बात जहन में रखिए कि बात आज से 1400 साल पहले की हो रही है
- जब औरतों को किसी भी किस्म के हुकूक हासिल नहीं थे।
- इनकी हैसियत जाती जायदाद में बढ़कर न थी।
- इस्लाम ने उस वक्त औरतों की तालीम पर जोर दिया
- जिस वक्त दुनिया में औरतों की तालीम का कोई तसव्वुर ही मौजूद नहीं था
- जैसा कि पहले कहा गया सहावा (२.त.अ.) अजमाईन में हमें कई आलम औरतों की मिसाले नजर आती हैं।
- सब से रहम मिसाल ड हजरत आयशा सिटीका (रत.अ.) की है।