फजाइल ए रमजान पीडीऍफ़ Fazail e Ramzan Hindi PDF

फजाइल ए रमजान पीडीऍफ़ Fazail e Ramzan Hindi PDF ramzan ki fazilat in hindi pdf fazail e ramzan hadees in hindi PDF FREE DOWNLOAD

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दुरूद शरीफ़ की फ़ज़ीलत : अल्लाह के महबूब, दानाए गुयूब, मुनज्जहुन अनिल उयूब का फरमाने तब निशान है : बेशक बरोज़े क़ियामत लोगों में से मेरे क़रीब तर वोह होगा जो मुझ पर सब से ज़ियादा दुरूद भेजे।

صَلُّوا عَلَى الْحَبِيب ! صَلَّى اللهُ تَعَالَى عَلَى مُحَمَّد

मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! खुदाए रहमान के करोड़हा करोड़ एहसान कि उस ने हमें माहे रमज़ान जैसी अज़ीमुश्शान ने मत से सरफ़राज़ फ़रमाया। माहे रमज़ान के फैज़ान के क्या कहने! इस की तो हर घड़ी रहमत भरी है, र-मज़ानुल मुबारक में हर नेकी का सवाब 70 गुना या इस से भी ज़ियादा है।

मिरआत, जि. 3, स. 137

नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब 70 गुना कर दिया जाता है, अर्श उठाने वाले फ़िरिश्ते रोज़ादारों की दुआ पर आमीन कहते हैं और फ़रमाने मुस्तफा के मुताबिक़ : “रमज़ान के रोज़ादार के लिये मछलियां इफ्तार तक दुआए मग्फ़िरत करती रहती हैं।” (TEvills was jill) ssage judaj का फ़रमाने आलीशान है : “रोज़ा इबादत का दरवाज़ा है।” (rtledges (the phali gul) जन्नतुल (الجامع الصغير

कुरान नाजिल कब हुआ – फजाइल ए रमजान पीडीऍफ़

कुरान नाजिल कब हुआ – फजाइल ए रमजान : इस माहे मुबारक की एक खुसूसिय्यत येह भी है कि अल्लाह J ने इस में कुरआने पाक नाज़िल फ़रमाया है। चुनान्चे पारह 2 सूरतुल ब-क़रह आयत 185 में मुक़द्दस कुरआन में खुदाए रहमान का फरमाने आलीशान है :

شَهْرُ رَمَضَانَ الَّذِي أُنْزِلَ فِيهِ الْقُرْآنُ هُدًى لِلنَّاسِ وَبَيِّنَتٍ مِنَ الْهُدَى وَالْفُرْقَانِ فَمَنْ شَهِدَ مِنْكُمُ الشَّهْرَ فَلْيَصُمْهُ وَمَنْ على مَا هَل بِكُمْ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ

तर-ज-मए कन्जुल ईमान : रमजान का महीना, जिस में कुरआन उतरा, लोगों के लिये हिदायत और रहनुमाई और फ़ैसले की रोशन बातें, तो तुम में जो कोई 33 येह महीना पाए ज़रूर इस के रोज़े रखे और जो बीमार या सफ़र में हो, तो उतने रोज़े और दिनों में । अल्लाह (Jhjis) तुम पर आसानी चाहता है और तुम पर दुश्वारी नहीं चाहता और इस लिये कि तुम गिनती पूरी करो और अल्लाह (Jbjs) की बड़ाई बोलो इस पर कि उस ने तुम्हें हिदायत की और कहीं तुम हक गुजार हो।

रमजान नाम की वजह क्या है – Fazail e Ramzan

महीनों के नाम की वजह : र-मज़ान, येह “रम्जुन” से बना जिस के माना हैं : “गरमी से जलना।” क्यूं कि जब महीनों के नाम क़दीम अ-रबों की जुबान से नक्ल किये गए तो उस वक्त जिस किस्म का मौसिम था उस के मुताबिक महीनों के नाम रख दिये गए इत्तिफाक से उस वक्त रमजान सख्त गर्मियों में आया था इसी लिये येह नाम रख दिया गया।

  • हज़रते मुफ्ती अहमद यार खान फ़रमाते हैं:
  • बाज मुफस्सिरीन ने फ़रमाया कि जब महीनों के नाम रखे गए तो
  • जिस मौसिम में जो महीना था उसी से उस का नाम हुवा।
  • जो महीना गरमी में था उसे रमज़ान कह दिया गया औ
  • जो मौसिमे बहार में था उसे रबीउल अव्वल और जो सर्दी में था
  • जब पानी जम रहा था उसे जुमादल ऊला कहा गया।

तपसीरे नईमी, दि. 2. स. 205

माहे रमजान मुबारक” के तेरह हुरूफ़ की निस्बत से 13 मदनी फूल

येह तमाम मदनी फूल तफ्सीरे नईमी जिल्द 2 से लिये गए हैं – फजाइल ए रमजान पीडीऍफ़ Fazail e Ramzan Hindi PDF

  • का ‘बए मुअज्जमा मुसलमानों को बुला कर देता है और येह आ कर रहमतें बांटता है।
  • गोया वोह (यानी काबा) कूंवां है और येह (या’नी र-मज़ान शरीफ) दरिया,
  • या वोह (या’नी का’बा) दरिया है और येह (या’नी र-मज़ान) बारिश ।
  • हर महीने में खास तारीखें और तारीखों में भी खास वक्त में इबादत होती है
  • मसलन बकर ईद की चन्द (मख़्सूस) तारीखों में हज, मुहर्रम की दसवीं तारीख अफ्ज़ल
  • मगर माहे र-मज़ान में हर दिन और हर वक्त इबादत होती है। रोजा इबादत, इफ्तार इबादत,
  • इफ्तार के बाद तरावीह का इन्तिज़ार इबादत, तरावीह पढ़ कर स-हरी के इन्तिज़ार में सोना इबादत,
  • फिर स-हरी खाना भी इबादत, अल गरज़ हर आन में ख़ुदा () की शान नज़र आती है।
  • र-मज़ान एक भट्टी है जैसे कि भट्टी गन्दे लोहे को साफ़ और
  • साफ़ लोहे को मशीन का पुर्जा बना कर कीमती कर देती है और
  • सोने को ज़ेवर बना कर इस्तिमाल के लाइक कर देती है,
  • ऐसे ही माहेर-मज़ान गुनहगारों को पाक करता और नेक लोगों के द-रजे बढ़ाता है।
  • रमज़ान में नफ़्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब 70 गुना मिलता है।
  • बा’ज उ-लमा फ़रमाते हैं कि जो र-मज़ान में मर जाए उस से सुवालाते कब्र भी नहीं होते।

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