फैजान ए आमिर मुआविया पीडीऍफ़ Faizan e Ameer e Muawiya PDF amir muawiya history in hindi hazrat ameer muawiya book pdf IN HINDI FREE DOWNLOAD
हज़रत अमीर मविया (Hazrat Amir Muawiya) हज़रत मविया इब्न अबु सुफ्यान उमवी (Muawiya ibn Abi Sufyan Umawi) के नाम से भी जाने जाते हैं। वे इस्लाम के पहले खलीफ़ा अबू बकर सिद्दीक़ के बाद दूसरे खलीफ़ा थे। मविया इब्न अबु सुफ्यान का जन्म 602 में मक्का में हुआ था। उन्होंने खलीफ़ात के दौरान व्यापार, सेना, और संगठन की विशेष बुद्धि दिखाई और वे अपनी सक्रिय राजनीतिक और सामरिक रणनीतियों के लिए मशहूर रहे।
मविया इस्लामी इतिहास में मशहूर हुए अपनी लम्बी और सफल संघर्षों के लिए भी जाने जाते हैं, जिनमें बसरा के जंग, सिफ़ीन की लड़ाई, और यमामा के युद्ध शामिल हैं। उन्होंने खलीफ़ात की अवधि में स्थापित किया और मज़बूत किया, और उनके प्रशासनिक और सामरिक प्रयासों के बावजूद, उन्होंने मविया का वशीभूत साम्राज्य नहीं स्थापित किया।
फैजान ए आमिर मुआविया
हज़रत अमीर मुवाविया (Hazrat Amir Muawiya) इस्लाम के प्राचीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। वे उमवी खलीफा थे और इस्लामी तारीख के अनुसार इस्लामी सच्चाई की दूसरी जनशक्ति थीं। हज़रत अमीर मुवाविया का जन्म 602 ईस्वी में हुआ था और उनका निधन 680 ईस्वी में हुआ।
मुवाविया इस्लामी इतिहास में अहले सुन्नत वाले नगर के पहले नगरधिपति थे। वे हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के समय से उनके साथ थे और उनकी बहादुरी और विश्वास प्रतिष्ठा के कारण मशहूर थे। मुवाविया ने खलीफा उथमान बिन अफ़्राद का समर्थन किया और उनकी हत्या के बाद खुद खलीफा बनने का दावा किया।
हज़रत अमीर मुवाविया के खलीफापन के दौरान वे अपनी सेना को मजबूत करने, व्यापार और विपणन को प्रोत्साहित करने, न्यायपालिका को सुधारने और अरब सागर में नौसेना की स्थापना करने जैसे कई सुधार कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया।
यौमे आशूरा का रोजा – फैजान ए आमिर मुआविया
- हज़रते सथ्यिदुना हमीद बिन अब्दुर्रहमान फ़रमाते हैं कि
- जिस साल हजुरते सच्यिदुना अमीरे मुआविया ने हज किया
- उसी साल मदीनए मुनव्वरा हाज़िर हुवे तो यौमे आशूरा में खुतबे के दौरान फ़रमाया :
- ऐ अहले मदीना : तुम्हारे उलमा कहां हैं? मैं ने नविय्ये करीम को इस दिन के मुतअल्लिक फरमाते सुना है:
- “यह आशूरा का दिन है अल्लाह ने इस दिन का रोज़ा फर्ज नहीं किया,
- मैं रोज़े से हूं तुम में से जो चाहे रोज़ा रखे और जो चाहे छोड़ दे।”(1)
- हज़रते सय्यदुना तुलहा बिन यया अपने चचा से रिवायत करते हैं कि
- हज़रते सविदुना अमीरे मुआविया फ़रमाते हैं :
- मैं ने रसूलुल्लाह को वेह फरमाते हुवे सुना कि क़ियामत के दिन मुअज्जिन ऊंची गर्दनों वाले होंगे।