चित्रगुप्त चालीसा पीडीऍफ़ Chitragupta Chalisa PDF IN HINDI chitragupta chalisa lyrics चित्रगुप्त चालीसा पीडीऍफ़ डाउनलोड इन हिंदी
Chitragupta Chalisa PDF : चित्रगुप्त चालीसा एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक चालीसा है जो चित्रगुप्त जी को समर्पित है। चित्रगुप्त धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं, जो सन्तान धर्मशास्त्र में उनके स्वर्गीय कार्यों के लिए प्रमुख रूप से जाने जाते हैं। इस चालीसा को पढ़ने से चित्रगुप्त जी की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
चित्रगुप्त चालीसा
यहां चित्रगुप्त चालीसा के एक माध्यमिक रूप है:
जय चित्रगुप्त महाराज, मंगल मूर्ति रूप।
कर्म विपाक स्वरूप तू, कर्म फल का धारक।॥
कर्मदेव विद्या के रक्षक, भक्तों के दाता।
तुम नेता हो सन्तान धर्म के, त्रेता, द्वापर आता॥
पूर्वजन्म में तपस्या से, बने थे तुम महाराज।
अब पुराने और नए कर्म, तुम संभालो विचार॥
तुम्हीं हो वह जो लिखते हैं, हमारे पाप और पुण्य।
तुम देखते हो सबका लेख, जीवन के बंदिश संज्ञ॥
चित्र लिखो तुम हर कर्म का, नगरी को ब्रह्मांड।
तुम्हीं हो वह जो आत्मा को, देते हैं मोक्ष प्राप्त॥
तुम रक्षा करो सदा हमारी, ग्रंथों का ज्ञान रखो।
चित्रगुप्त महाराज तुम्हें, नमन करते हैं भक्तों को॥
इस चालीसा को नियमित रूप से पढ़ने से चित्रगुप्त जी आपके पापों को माफ करते हैं, आपके द्वारा किए गए पुण्य को स्वीकार करते हैं, और आपके कर्मों का संकल्प लेते हैं। यह चालीसा आपकी आध्यात्मिकता और उद्धार के प्रयासों को बढ़ावा देती है।
चित्रगुप्त चालीसा लिरिक्स
श्रृष्टि सृजनहित अजमन जांचा। चित्रगुप्त चालीसा॥
जय चित्रगुप्त महाराज, मंगल मूर्ति रूप।
कर्म विपाक स्वरूप तू, कर्म फल का धारक॥
कर्मदेव विद्या के रक्षक, भक्तों के दाता।
तुम नेता हो सन्तान धर्म के, त्रेता, द्वापर आता॥
पूर्वजन्म में तपस्या से, बने थे तुम महाराज।
अब पुराने और नए कर्म, तुम संभालो विचार॥
तुम्हीं हो वह जो लिखते हैं, हमारे पाप और पुण्य।
तुम देखते हो सबका लेख, जीवन के बंदिश संज्ञ॥
चित्र लिखो तुम हर कर्म का, नगरी को ब्रह्मांड।
तुम्हीं हो वह जो मिटा देते, दुःख की भारी बंध॥
धर्मराज यमराज के, साक्षी बने तुम रे।
जीवों की विधानसभा में, आत्मा का प्रश्न ले॥
जय चित्रगुप्त महाराज, भवबंधन के विधाता।
तुम्हीं हो वह जो मुक्ति देते, भक्तों को प्रभुवता॥
सत्य धर्म का पुजारी, धर्मराज के आदे।
तुम वकील हो हर जीव के, मुक्ति के उपादे॥
चित्रगुप्त महाराज की, चालीसा पढ़ कर।
मन और बुद्धि सुधारो, अच्छे कर्म बिखर॥
जय चित्रगुप्त महाराज, मंगल मूर्ति रूप।
कर्म विपाक स्वरूप तू, कर्म फल का धारक॥