बिखेर मोती पीडीऍफ़ Bikhre Moti Maulana Yunus Palanpuri PDF

बिखेर मोती पीडीऍफ़ डाउनलोड Bikhre Moti Maulana Yunus Palanpuri PDF bikhre moti islamic book in hindi pdf बिखेर मोती भाग Volume 1 2 3 4 5 6 7 8 9 IN HINDI

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“बिखरे मोती” किताब एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली इस्लामी किताब है, जिसे मौलाना मोहम्मद यूनुस पालनपुरी ने लिखा है। यह किताब उर्दू भाषा में लिखी गई है और इसमें इस्लामी तत्वों, इबादत, आदर्श जीवन और मोरलिटी के विषयों पर विचारों का संग्रह है।

“बिखरे मोती” का पहला हिस्सा या “Bikhre Moti Volume 1” मौलाना मोहम्मद यूनुस पालनपुरी द्वारा लिखा गया है। इसमें आपको इस्लामी इतिहास, अहमद शहीद, नबी करीम सल्लाल्लाहु अलैहि वसल्लम, दुआ, तब्लीग़, ईमान और अन्य अहम मुद्दों पर मौलाना पालनपुरी के विचार मिलेंगे।

यह किताब उर्दू भाषा में है, इसलिए इसे उर्दू भाषा के पाठकों के लिए विशेष रूप से लिखा गया है। यदि आप उर्दू जानते हैं और इस किताब को पढ़ना चाहते हैं, तो आप इसे आपकी पसंदीदा किताब की दुकानों या ऑनलाइन पुस्तकालयों पर खोज सकते हैं।

  • “बिखरे मोती” के कई खंड हैं, और प्रत्येक खंड में
  • विभिन्न विषयों पर उपयोगी बातें और वचनावली शामिल हैं।
  • इस किताब के माध्यम से पाठकों को आदर्श जीवन और सच्ची मानसिकता के प्रति प्रेरणा मिलती है।

बिखेर मोती Bikhre Moti

बिखेर मोती पीडीऍफ़ Bikhre Moti Maulana Yunus Palanpuri PDF : islamic book बिखेर मोती पीडीऍफ़ डाउनलोड करने से पहले कुछ अंश लिखा हुआ पढ़े

अल्लाह के रास्ते में निकलये, सूरज गुरूब होते ही आपके गुनाह माफ़

روى عن سهل بن سعد رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عَلَيْهِ وَسَلَّمَ مَارَاحَ مُسْلِمٌ فِى سَبِيلِ اللَّهِ مُجَاهِدًا أَوْحَاجًا مُهلًا أَوْ مُلَهَا (الترغيب والترهيب، جلد ۲ صفحه (۲۶۹ غَرَبَتِ الشَّمْسُ بِذُنُوبِهِ

सहल बिन साउद रज़ि० से मरवी है कि हुज़ूर सल्ल० ने इरशाद फ़रमाया कि जो मुसलमान भी अल्लाह के रास्ते में शाम करता है, इस हाल में कि वह जिहाद कर रहा हो या हज करते हुए तहलील (ला इला-ह इल्लाह) पढ़ रहा हो या तल्बिया (लब्बैक अल्लाहुम-म लब्बैक…) पढ़ रहा हो तो सूरज उस मुसलमान के गुनाहों को लेकर डूबता है।

(अतर्गीय वत्तहींब, जिल्द 2, पेज 269)

नमाज़ी की नमाज़ का असर सारे जहान पर पड़ता है

जिस तरह बच्चे के रोने का असर पूरे घर के माहौल पर पड़ता है इसी तरह नमाज़ी की नमाज़ का असर सारे जहान पर पड़ता है। बारिश न होने की सूरत में नमाज़े इस्तसका पढ़ना, सूरज ग्रहण के वक़्त नमाज़े कसूफ़ पढ़ना और चांद ग्रहण के वक़्त नमाज़े ख़सूफ़ पढ़ना इसकी वाजेह दलील है।

Bikhre Moti Maulana Yunus Palanpuri

इंसानी ज़िंदगी के मुख्तलिफ़ मराहिल का औकाते-नमाज़ के साथ खुसूसी मुनासिबत है। जैसे :

  • नमाज़े फ़ज़ को बपचन के साथ मुनासिबत है। (दिन की इब्तिदा होती है।)
  • नमाज़ जुहूर को जवानी के साथ मुनासिबत है। (सूरज अपने उरूज पर होता है।)
  • नमाज़े अस्र को बुढ़ापे के साथ मुनासिबत है। (दिन ढल जाता है।)
  • नमाज मगरिब को मौत के साथ मुनासिवत है। (जिंदगी का सूरज डूब जाता है।)
  • नमाज़े इशा को अदम के साथ मुनासिबत है। (इंसान का दुनिया से नाम व निशान मिट जाता है।)
  • इसलिए नमाज़े इशा को सलस-लैल तक पढ़ना मुस्तहब है।
  • चूंकि रौशनी का नाम व निशान मिट जाता है, और रात के बाद फिर दिन होता है,
  • इसी लिए क्रियामत के दिन का तल्किरा है।
  • यीमुद्दीन और यौमुल क्रियामह के अल्फ़ाज़ इस्तेमाल किए गए हैं।
  • लैलुल-क्रियामह नहीं कहा गया।

(नमाज़ के असरार व रमूज़, पेज 83)

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