औलाद के हुकूक पीडीऍफ़ फ्री Aulad Ke Huqooq PDF IN HINDI

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Aulad Ke Huqooq – इस्लाम में भी औलाद (बच्चों) के हक़ूक़ काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस्लाम धर्म में, बच्चों को सम्मान और प्यार की प्राथमिकता दी जाती है और उन्हें उच्चतम स्तर के न्याय और सुरक्षा के हक़ूक़ प्रदान करने का आदेश दिया जाता है।

इस्लाम में, माता-पिता को अपने बच्चों की परवरिश और पोषण करने का महत्वपूर्ण कर्तव्य माना जाता है। पिता को बच्चों के शारीरिक, आत्मिक, नैतिक और मानसिक विकास का ध्यान रखना चाहिए और माता को उनकी परवरिश, स्वास्थ्य और शिक्षा की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए।

Islam में बच्चों का अधिकार है कि उन्हें उच्चतम स्तर की शिक्षा और तालीम प्राप्त होनी चाहिए। उन्हें ईमानदारी, ईमान, सच्चाई और न्याय के मूल्यों को सिखाया जाना चाहिए। इस्लाम में बच्चों को समाज में अच्छा बर्ताव करना सिखाया जाता है और उन्हें बातचीत, समझौता और सहानुभूति की महत्वपूर्णता समझाई जाती है।

  • इस्लाम धर्म में, बच्चों को संरक्षण, स्वास्थ्य सुरक्षा, पोषण,
  • प्यार और आदर का अधिकार है। उन्हें किसी भी रूप में शारीरिक य
  • मानसिक हिंसा से बचाना चाहिए। इस्लाम में बच्चों को बाल विवाह,
  • बाल मजदूरी और उनके अधिकारों का उल्लंघन से बचाने का भी विशेष महत्व दिया जाता है।
  • सम्मानित अधिकारों के साथ, इस्लाम में बच्चों को उचित आपूर्ति,
  • प्रेम, न्याय, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा का अधिकार है।
  • उन्हें अच्छा व्यक्तित्व विकसित करने का मौका मिलना चाहिए ताकि वे
  • अपनी समाज और देश के लिए सकारात्मक योगदान दे सकें।

औलाद के हुकूक Aulad Ke Huqooq

औलाद के हुकूक पीडीऍफ़ फ्री Aulad Ke Huqooq PDF IN HINDI –

  • सब से पहला हक वुजूदे औलाद (औलाद की पैदाइश) से भी पहले येह है कि
  • आदमी अपना निकाह किसी रज़ील कम क़ौम (नीच जात) से करे कि बुरी रग (बुरी नस्ल) ज़रूर रंग लाती है।
  • दीनदार लोगों में शादी करे कि बच्चे पर नाना व मामूं की आदात व अफ़आल का भी असर पड़ता है।
  • जंगियों हब्शियों (काले रंग वाले शीदी लोगों) में कुरावत न करे कि मां का सियाह रंग बच्चे को बदनुमा न कर दे।
  • जिमान की इब्तिदा से करे वरना बच्चे में शैतान शरीक होजाता है।
  • (उस वक्त शर्मगाहे जून (औरत के मख़्सूस मक़ाम) पर नज़र न करे कि बच्चे के अन्धे होने का अन्देशा है।
  • ज़ियादा बातें न करे कि गूंगे या तोतले होने का खतरा है
  • मर्द व जन कपड़ा ओढ़ लें जानवरों की तरह बरना न हों कि बच्चे के बे हुया होने का खुदशा है।
  • जब बच्चा पैदा हो फौरन सीधे कान में अजान बाएं में तक्वीर कहे कि
  • ख-लले शैतान (शैतानी वस्वसे) व “उम्मुस्सिब्यान” से बचे।
  • छुहारा वगैरा कोई मीठी चीज़ चबा कर उस के मुंह में डाले कि हलावत,
  • अख़लाक़ की फाले हसन है (यानी मिठास, अख्लाक के अच्छे होने में नेक शगुन है)।
  • सातवें और न हो सके तो चौदहवें वरना इक्कीसवें दिन अकीका “करे,
  • दुख़्तर (बेटी) के लिये एक, पिसर (बेटे) के लिये दो कि इस में बच्चे का गोया रहन (गिरवी) से छुड़ाना है ।

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