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सूरतों के फजाइल व खास – 26 सूरते बुक पीडीऍफ़ फ्री
हज़रत अनस रज़ि. से रिवायत है के रसूलुल्लाह स. ने फरमाया के जब तूने अपने बिस्तर पर पहलू रखा और सूरे फातिहा और सूरे इखलास पढी तो मौत के अलावा हर चीज़ मे बेखौफ हो गया।
और आयतल कुर्सी भी पढ़ें। इस के पढने वाले के लिए अल्लाह तआला की जानिब से रात भर एक मुहाफिज फरिश्ता मुकर्रर रहेगा और कोई उसके पास न आएगा।
हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसूद रज़ि से रिवायत है के रसूलुल्लाह स. ने फरमाया के सूरे बकरा की आखरी दो आयतें ‘आमनरसूलु’ से खत्मे सूरत तक जो शख्स रात को पढ़ लेगा तो ये दोनों आयतें उसके लिए काफी होंगी यानी वो हर शर और मकर से महफूज़ रहेगा।
26 सूरते बुक पीडीऍफ़ फ्री 26 Surah Book PDF
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एक हदीस में है के सूरे बकरा की आखरी दो आयतें ‘आमनरसूल’ से आखिर तक जिस घर में पढी जाएं तीन दिन तक शैतान उस घर के करीब नहीं आता। (हसन हुसैन)
- हज़रत उस्मान रज़ि फरमाते हैं के
- जो शख्स सूरे आले इमरान की आखरी ग्यारह आयतें ‘इन्न फी खलकिस्समावाति’ से
- आखिर तक किसी रात पढ ले तो उसे रात भर नमाज़ पढने का सवाब मिलेगा। (मोनथर)
- सूरे कहफ का जुमा के दिन पढना ज़मीन व आसमान तक नूर पैदा करता है,
- आठ दिन तक नूर बराबर कायम रहता है।
- फिर उसके पढ़ने वाले को ये सारा नूर कब्र में और कब्र के बाद कयामत में दिया जाएगा।
26 सूरते बुक पीडीऍफ़ इन हिंदी
उस ने लैलतुल कद्र में कयाम किया। एक रिवायत में है के जिस ने इन दोनों सूरतों को पढ़ा उस के लिए सत्तर नेकियाँ लिखी जाती हैं और सत्तर बुराईयाँ दूर की जाती हैं।
फजाइले कुरआन
- एक रिवायत में है के जो शख्स सूरे यासीन को सिर्फ अल्लाह की रजा के वास्ते पढे
- उस के पहले सब गुनाह मआफ हो जाते हैं।फज़ाइले कुरआन
- जिस शख्स ने शबे जुमा को सूरे दुखान पढी उसके लिए सत्तर हज़ार फरिश्ते अस्तगफार करते हैं
- और उसके तमाम गुनाह मऑफ कर दिए जाते हैं और अल्लाह उसके लिए जन्नत में घर बनाएगा।
- एक रिवायत में है के जो शख्स सूरे हदीद, सूरे वाकिया और सूरे रहमान पढता है
- वो जन्नतुल फिरदौस में रहने वालों में पुकारा जाता है। फजाइल कुरआन)
- सूरे जुमा शत्रू जुमा में पढनी चाहिए।
- एक हदीस में है के सूरे तबारकल्लज़ी का हर रात को पढ़ते रहना अज़ाये
- कब्र से निजात का सबब है और अजाबे जहन्नम से भी। (फज़ाइले आमाल)
- सूरे मुजम्मिल का एक मर्तबा रोजाना इशा की नमाज़ के बाद पढ़ना फाके से बफज़ले तआला महफूज़ रखता है।
- बेरमो) + सुरे अन्नबा का असर की नमाज़ के बाद पढना दिन में यकीन और नूरे इमान पैदा करता है
- और इन्शा अल्लाह खातमा बिलखैर होने का सबब होता है। (मोनबर)