विशुद्ध मनुस्मृति PDF Download Vishudh Manusmriti PDF in Hindi विशुद्ध मनुस्मृति क्या है इन हिंदी किताब पीडीऍफ़ डाउनलोड मनुस्मृति किताब कहां से खरीदें जाने
Vishudh Manusmriti : विशुद्ध मनुस्मृति क्या है
विशुद्ध मनुस्मृति और मनुस्मृति पर बहुत से अनुसंधान करने के बाद डॉ. सुरेन्द्र कुमार जी ने दो संस्करण प्रकाशित किया हुआ है जिनके नाम निम्नवत है – विशुद्ध मनुस्मृति और मनुस्मृति – दोनों संस्करणों में प्रक्षिप्त श्लोकों पर विचार प्रस्तुत किया है और प्रयास किया गया है कि पाठकों के समक्ष मनुस्मृति के वास्तविक सिद्धान्त दृष्टिगोचर हो।
विशुद्ध मनुस्मृति में श्लोकों की व्यवस्था, इस प्रकार की गई है कि पाठकों को मनु के उपदेशों को अविरलरूप से पढ़ने का आनन्द प्राप्त हो। – मनुस्मृति में श्लोकों को इस प्रकार रखा गया है कि पाठक प्रक्षिप्त और मौलिक श्लोकों में भेद कर तुलनात्मक अध्ययन करने में सक्षम होवें।
मनुस्मृति किताब कहां से खरीदें
अगर आप मनुस्मृति किताब या फिर विशुद्ध मनुस्मृति किताब खरीदना चाहते है ऐसे में आप ऑनलाइन अमेजन या फ्लिप्कार्ट जैसी ई कॉमर्स वेबसाइट से निम्नवत तरीके से खरीदें –
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विशुद्ध मनुस्मृति PDF Vishudh Manusmriti PDF IN HINDI
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मन्त्रज्ञ और ब्राह्मण का विशेष अभिप्राय-
- इस श्लोक में ‘मन्त्र’ से अभिप्राय मुकद्दमों में उस उस विषय के सलाहकारों से है।
- ‘मन्त्रिभिः’ से अभिप्राय उस उस विभाग के प्रमुख मन्त्रियों से या प्रमात्यों से है
- जो राजा द्वारा न्याय के लिए अधिकृत विद्वान् के रूप में नियुक्त किये जाते हैं
- ‘ब्राह्मण’ शब्द से यहां अभिप्राय वेदविद्यायों के न्यायाधीश श्रोत्रिय विद्वानों से है,
- जिनका वर्णन ब्रह्मसभा प्रर्थात् न्यायाधीश विद्वानों की सभा के रूप में ८।११ में श्राया है।
- ब्राह्मण से यहां यह भ्रान्ति नहीं होनी चाहिए कि वह ब्राह्मण वर्ण का व्यक्ति ही होना चाहिए।
- वेदों के प्रत्येक विद्वान् के लिए ब्राह्मण, विप्र प्रादि शब्दों का प्रयोग आता है
- ब्राह्मण शब्द का प्रयोग यहां विशेवाभिप्राय से है ।
- वह अभिप्राय यह है कि न्यायाधीश ब्रह्म अर्थात् वेदों के विशेष वेत्ता और धार्मिक गुणवान विद्वान् प्रवश्य होने चाहिएँ, इसीलिए ८।११ में ‘वेदविदः’ का प्रयोग किया है।