संस्कृतं वदतु संस्कृत बोलिये पीडीऍफ़ डाउनलोड sanskrit Vadatu PDF sanskrit vadatu book pdf download samskritam vadatu pdf DOWNLOAD FREE IN HINDI – संस्कृत क्यों?
- संस्कृत ज्ञान-विज्ञान की भाषा है।
- संस्कृत में बोलना आधुनिकता की पहचान है।
- कला, विज्ञान आदि विषयों की ग्रहणक्षमता के विकास के लिए।
- स्वास्थ्य की रक्षा एवं व्यक्तित्व के विकास के लिए।
- संस्कृत भारत की सांस्कृतिक भाषा है।
- प्रभावी भाषण एवं संभाषण कला के लिए।
- भारत के अमूल्य ज्ञान भण्डार को जानने के लिए।
- आध्यात्म एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए।
- भारत को फिर से विश्व का ज्ञानगुरु बनाने के लिए।
- विश्व कल्याण के लिए।
संस्कृतं वदतु संस्कृत बोलिये
कुछ अंश – संस्कृतं वदतु संस्कृत बोलिये पीडीऍफ़ sanskrit Vadatu PDF
- नमस्ते / नमस्कारः । – नमस्ते / नमस्कार । – Hello!
- प्रणाम। – Good day! – प्रणामः ।
- धन्यवादः । – धन्यवाद । – Thank You!
- स्वागतम् । – स्वागत । – Welcome
- क्षम्यताम् । – Exuse me/Pardon me. -क्षमा कीजिए।
- कोई बात नहीं/जाने दो। -चिन्ता मास्तु । – Don’t worry
- कृपया । – Please -कृपया ।
- पुनः मिलामः । – See you Later. -अस्तु ।
- All right. – फिर मिलेंगे -ठीक है। जी हाँ जी ।
- श्रीमान् / मान्यवर ।
- श्रीमती जी। – श्रीमन्/ मान्यवर । – Sir!
- मान्ये । -Madam ! – उत्तमम् / शोभनम् ।
- बहु उत्तमम् । – भवतः नाम किम् ? – अच्छा।
- Very good! – बहुत अच्छा।
- Excellent!
- ‘आपका नाम क्या है? (पु० ) – What is your name?
संस्कृतं वदतु संस्कृत बोलिये पीडीऍफ़
सूर्यवन्दना
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः ।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तुते ।।
भगवान सूर्य नक्षत्रों, ग्रहों, तारों के अधिपति और सम्पूर्ण विश्व की वृद्धि के कारणभूत हैं तथा तेजों को भी तेज देने वाले हैं। ऐसे ही द्वादश रूपों वाले भगवान् सूर्य आपको नमस्कार है।
तुलसीवन्दना –
मनस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे । नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत् प्रदायिके ।।.
हे विष्णुप्रिये कल्याणकारिणि तुलसि ! हे मोक्ष और सम्पत्ति देने वाली तुलसि देवि! आपको नमस्कार है।
मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे।
अग्रतो रुद्ररूपाय वृक्षराजाय ते नमः ।।
हे वृक्षराज पीपल! आप मूल में ब्रह्मा के स्वरूप हो, मध्य में विष्णु के स्वरूप और शिखर भाग में रुद्ररूप हो, आपको हमारा नमस्कार है।