परलोक के खुलते रहस्य पीडीऍफ़ Parlok Ke Khulte Rahasya PDF New

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इस ‘परलोक के खुलते रहस्य’ पुस्तक में शामिल हैं परामनोविज्ञान, मनोविज्ञान और योगविज्ञान पर आधारित एक मौलिक आध्यात्मिक कृति इत्यादि इस पुस्तक को डाउनलोड करने के लिए सबसे आखिर में डाउनलोड लिंक शेयर किया गया है

परलोक के खुलते रहस्य

इस पुस्तक परलोक के खुलते रहस्य पीडीऍफ़ डाउनलोड करने से पहले कुछ अंश पढ़े हिंदी में लिखा हुआ – विषय सूची

  • प्रकाशकीय
  • अपनी बात
  • संस्मरण
  • पुस्तक के सम्बन्ध में
  • प्रथम अध्याय
  • मस्तिष्कीय कोशिकाएँ और चेतना
  • विश्व ब्रह्माण्ड-मण्डल और लोक-लोकान्तर
  • मानव के प्रति आकर्षण
  • अविस्मरणीय घटना
  • अद्भुत बालयोगी
  • आत्मतत्य
  • व.- क्या मरणोपरान्त जीवन सम्भव है?.
  • परमानसिक जगत
  • प्रेतात्माओं का रहस्य
  • ब्रह्म और माया
  • पुनर्जन्म
  • प्राण का रहस्य
  • प्राण शक्ति का महामंत्र गायत्री
  • प्राणों का रहस्यमय संचालन

परलोक के खुलते रहस्य पीडीऍफ़ – और अब अन्त में

परलोक के खुलते रहस्य में मैंने आत्मा सम्बन्धित विषयों पर भारतीय और पाश्चात्य शोधों का प्रमाण लेते हुए एवं अपने सत्तर साल के अनुभवों का भी सहारा लेते हुए पूर्ण करने की कोशिश की है। लेकिन किसी भी अनुभव का और किसी भी शोध का अन्त नहीं है। जब तक जगत है और हैड और मेरे जैसा कोई मनस्वी फिर अरुण कुमार शर्मा बनकर अभौतिक जगत की खोज में अपना जीवन समर्पित कर देगा।

मेरा सारा जीवन उस रहस्य को जानने और उसे आत्मसात करने में लेकिन उस रहस्य की जितनी भी गहरायी में जाता वह और भी अन्तहीन आकाश की सरह दिखने लगता। धीरे-धीरे मेरा जीवन संसार समाज परिवार में सिर मेरे साधना और शोध में रह गया। मैं धीरे-धीरे समाज से, परिवार से तथा सभी चीजों से निरपेक्ष हो गया। जिस तरह में संसार से कट गया उसी कभी मुझसे कट गया। मुझे अच्छा लगा। यह संखर थाल रहा है और चलता रहेने हूँ यह

“लेकिन मुझे जो आत्म उपलब्धि और अनुभव हुए यही एकमात्र मेरी सम्पत्ति है और जन्म-जन्मान्तर तक रहेगी। इसे मुझसे कोई अलग नहीं कर सकता है। आज मैं इस भौतिक शरीर और भौतिक जीवन के आखिरी पड़ाव पर हूँ जहां से यह संसार छूट जायेगा। खैर, त्रैलोक्य मीमांसा और उस दिव्य आत्मा का सहयोग मेरे जीवन में अतुलनीय है। बहुत सारे प्राकृतिक रहस्यों को खोलने की इच्छा है लेकिन मैं उसे संर के सामने उजागार नहीं कर सकता। वहीं पर मेरे कलम की गति म गयी है। चूंकि स्थानाभाव के कारण कुछ अंश साधना तत्व नामक शीर्षक में ‘कुण्डिलिनी योग’ में प्रसंग यस लिख चुका हूँ आप अवश्य पड़े।

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