मृत्यु जाने एक महायोगी से mrityu jane ek mahayogi se pdf

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इस संसार का सच मृत्यु है जिससे कोई भी जीवित या सजीव पीछा नहीं छुड़ा सकता है ऐसे में एक पुस्तक मृत्यु जाने एक महायोगी से (mrityu jane ek mahayogi se pdf) लेकर हाजिर है

मृत्यु जाने एक महायोगी से पीडीऍफ़

हिंदी पुस्तक पीडीऍफ़ मृत्यु जाने एक महायोगी से कुछ अंश शेयर कर रहे है साथ ही डाउनलोड लिंक भी जो लेख के अंत में दिया जा रहा है

जब मैंने अपनी सुध-बुध खो दी

  • तब मैं एक इंसान था
  • मैं एक पहाड़ी पर चढ़ा
  • क्योंकि मेरे पास गँवाने के लिए समय था
  • पर मैंने सब गँवा दिया
  • वो सब जो मैं और मेरा था
  • मैं और मेरा के जाने से
  • मेरा सारा संकल्प और कौशल जाता रहा
  • अब मैं हूँ, एक खाली घड़े समान
  • अधीन हूँ ईश्वरीय इच्छा
  • और अनंत कौशल के।

मृत्यु जाने एक महायोगी से mrityu jane ek mahayogi se pdf

मृत्यु जाने एक महायोगी से mrityu jane ek mahayogi se pdf के कुछ अंश पढ़े जो हिंदी में लिखा हुआ है –

मै सूर शहर में एक चलन है। अगर आपके पास करने के लिए कुछ है, तो चामुंडी पहाड़ी पर जाइए और अगर करने के लिए कुछ नहीं है, तो भी चामुंडी पहाड़ी पर जाइए। अगर आप किसी से प्यार करते हैं, तो चामुंडी पहाड़ी पर जाइए। और अगर प्यार में आपका दिल टूट गया है, फिर तो चामुंडी पहाड़ी पर जाना ही है।

एक दोपहर मेरे पास करने को कुछ नहीं था और हाल में ही मेरा दिल भी टूटा था, इसलिए मैं चामुंडी पहाड़ी पर चला गया।

  • मृत्यु जाने एक महायोगी से mrityu jane ek mahayogi se pdf
  • एक स्थान पर मैंने अपनी मोटर साइकिल खड़ी की
  • और करीब दो-तिहाई पहाड़ी चढ़ने के बाद एक चट्टान पर बैठ गया।
  • वह मेरी ‘ध्यान-शिला थी। वह वहाँ काफी समय से थी।
  • उस चट्टान पर बैंगनी बेर व बरगद के नाटे पेड़ ने अपनी मजबूत जड़ें जमाई हुई थीं।
  • वहाँ से शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता था।

उस क्षण तक मेरा जो अनुभव था, उसके अनुसार मेरा शरीर और मन दोनों “मैं” थे और शेष विश्व “बाहरी । लेकिन अचानक मुझे भान नहीं रहा था कि मैं क्या था और क्या नहीं। मेरी आँखें अभी भी खुली थीं। लेकिन मैं जिस हवा में साँस ले रहा था आगे का भाग पढ़ने के लिए पुस्तक को डाउनलोड करें – मृत्यु जाने एक महायोगी से mrityu jane ek mahayogi se pdf

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