मुरादाबाद के गैर मुस्लिम शायर पीडीऍफ़ डाउनलोड FREE – Moradabad Ke Ghair Muslim Shayar PDF BOOK FREE DOWNLOAD IN HINDI मुरादाबादी की गजलें शायरी हिंदी पीडीऍफ़
‘असर’ छब्बा लाल
मुरादाबाद में मिर्ज़ा दाग देहलवी के कई शार्गिद थे। उनमें एक नाम मुंशी छब्बा लाल का भी शामिल है जिनका तखल्लुस ‘असर’ था। शाय बरेलवी ने गुलदस्ता ‘नशोनुमा’ सितम्बर 1904 ई. के हवाले से ये दो शेर लिखे हैं।
देखेंगे गर इधर को ग़ज़ब की अदा से आप
ले लेंगे मेरी जान को पहले कज़ा से आप
मरने में शक मरीज़े-जुदाई के था न कुछ
अच्छा हुआ कि आ गये पहले क़ज़ा से आप
(तकिरा-ए-शोअरा-ए-रुहेलखण्ड-4, पृ. 3252)
मुरादाबाद के गैर मुस्लिम शायर
किताब मुरादाबाद के मुस्लिम शायर पीडीऍफ़ डाउनलोड FREE करें आगे कुछ अंश इस पुस्तक से पढ़े – ग़ज़ल
- बुलबुल हो नालाकश न मेरे दिल के सामने
- शर्मिंदा होगी मद्दे-मुकाबिल के सामने
- कुछ इस अदा से तेग संभाले हुए थे वो
- गर्दन ब-शौक झुक गई कातिल के सामने
- दीवानगी में अक्ल भी आंखें चुरा गई
- मुझको तलाशे राह है मंजिल के सामने
- चल दूर हो नज़र से मेरी बेवफ़ा नज़र
- बदनाम कर दिया मुझे महफ़िल के सामने
- मायूसियां न पूछिए उस बदनसीब की
- तूफ़ां में फंस गया हो जो साहिल के सामने
- पासे विकार गर हो ‘प्रवासी’ तुझे
- ज़रा कहना न बात अक्ल की जाहिल के सामने
- जमाले यार की रंगीनियों में
- निगाहे शौक डूबी जा रही है
- ख़िज़ा का ख़ौफ़ कैसा देश पर कुर्बान हो जाओ
- कोई इंसां नहीं आया है दुनिया में अमर होकर
- नहीं सानी तुम्हारा आज तक पैदा हुआ कोई
- दिखाई राह दुनिया को तुम्हीं ने राहवर होकर
- ये कू-ए-इश्क है नादां संभलकर हर कदम रखना
- कहीं ऐसा न हो आगाज़ ही अंजाम हो जाए
- माना तुम्हारी यादें जीने न देंगी मुझको
- तड़पाएगी तुम्हें भी लेकिन मेरी जुदाई
- इश्क़ के याद हैं न मानी तक भूल बैठा हूं वो कहानी तक
- राह में उसकी हज़ारों लोग सजदे में झुके
- दर्द में जिसके जहां का दर्द शामिल हो गया