कर्मयोग स्वामी विवेकानंद pdf karmyog swami vivekananda pdf karmyog by swami vivekananda in hindi pdf कर्मयोग स्वामी विवेकानंद हिंदी सारांश
हिंदी में लिखी स्वामी विविकानंद की पुस्तक कर्मयोग स्वामी विवेकानंद अगर पीडीऍफ़ डाउनलोड करना चाहते है तो इस लेख के अंत में पीडीऍफ़ डाउनलोड लिंक शेयर किया गया है
- हम जो कुछ हैं ?
- उसके लिए हम उत्तरदायी हैं ।
- हम जो कुछ भी होना चाहें, यह हो सकने की शक्ति
- हममें है । यदि हमारा वर्तमान रूप हमारे पूर्व कार्यों
- का परिणाम है तो | निश्चय ही अपने आज के कर्मों
- द्वारा हम अपना अभीप्सित भावी रूप भी बना
- सकते हैं, इसलिए हमें कर्म करना सीखना चाहिए ।
— स्वामी विवेकानन्द
कर्मयोग स्वामी विवेकानंद pdf
जो पुस्तक शेयर कर कर रहे है कर्मयोग स्वामी विवेकानंद पीडीऍफ़ उसका कुछ सारांश कुछ इस प्रकार है –
कर्म शब्द संस्कृत की “क= करना” धातु से बना है। जो कुछ भी किया जाता है, कर्म है। कर्मों का फल भी इसका प्रयुक्त अर्थ होता है। दर्शन-शास्त्र में इसका अर्थ कमी-कभी उस परिणाम से होता है जिसके कि हमारे पूर्वकर्म कारण हैं। परंतु कर्म योग में हमें उसी कर्म से वास्ता है जिसका अर्थ काम है । सत्य का ज्ञान मनुष्य जाति का उचित ध्येय है, इसी आदर्श को प्राच्य दर्शन हमारे सामने रखते हैं। मनुष्य का ध्येय सुख नहीं, ज्ञान है ।
सांसारिक सुख और आनन्द का अंत हो जाता है। मनुष्य की यह भूल है जो वह समझता है कि ध्येय सुख है ; संसार की सभी विपत्तियों की जड़ यह अंध-विश्वास है कि सुख ही वह आदर्श है जिसे पाने के लिये प्रयत्नपर रहना चाहिये ! कालान्तर में मनुष्य जानता है कि वह सुख की ओर नहीं, ज्ञान की ओर बढ़ रहा है ; सुख और दुख दोनों शिक्षक हैं और वह उनसे शिक्षा लेना सीखता है। सुख और दुख उसकी आत्मा के सामने से जरते हुए उसपर अपनी छाया छोड़ जाते हैं।