कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर पीडीएफ Kalyan Gita Press Gorakhpur

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।। श्रीगणेशाय नमः ॥ – कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर

  • घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयंकरि ।
  • भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम् ।। १ ।।
  • ॐ सुरासुरार्चित देवि सिद्धगन्धर्वसेविते ।
  • जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ २ ॥
  • जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि ।
  • हतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ ३ ॥
  • सौम्यक्रोधधरे रूपे चण्डरूपे नमोऽस्तु ते ।
  • सृष्टिरूपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम् ॥ ४ ॥
  • जडानां जड़तां हन्ति भक्तानां भक्तवत्सला । ५ ॥
  • मूढता हर मे देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥५॥
  • वं हुं हुं कामये देवि बलिहोमप्रिये नमः ।
  • उग्रतारे नमो नित्यं त्राहि मां शरणागतम् ।। ६ ।
  • बुद्धिं देहि यशो देहि कवित्वं देहि देहि मे ।
  • मूढत्वं च हरेद् देवि त्राहि मां शरणागतम् ॥ ७ ॥
  • इन्द्रादिविलसद्वन्द्ववन्दिते करुणामयि ।
  • तारे ताराधिनाथास्ये त्राहि मां शरणागतम् ॥। ८ ।।
  • अष्टम्यां च चतुर्दश्यां नवम्यां यः पठेन्नरः ।
  • मोक्षार्थी लभते मोक्षं धनार्थी लभते धनम् ।
  • विद्यार्थी लभते विद्यां तर्कव्याकरणादिकम् ॥ १० ॥
  • इदं स्तोत्रं पठेद्यस्तु सततं श्रद्धयाऽन्वितः ।
  • षण्मासैःसिद्धिमाप्नोति नात्र कार्याविचारणा ।। ९ ।।
  • तस्य शत्रुः क्षयं याति महाप्रज्ञा प्रजायते ।। ११ ।
  • पीडायां वापि संग्रामे जाइये दाने तथा भये ।
  • य. इदं पठति स्तोत्रं शुभं तस्य न संशयः ॥ १२ ॥
  • इति प्रणम्य स्तुत्वा च योनिमुद्रां प्रदर्शयेत् ।। १३ ॥

कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर

कल्याण गीता प्रेस गोरखपुर पीडीएफ (Kalyan Gita Press Gorakhpur PDF) से कुछ अंश –

आदर्श बालक – श्रीगौरीशंकरजी गुप्त) किसने कहा देश-भक्तोंसे करना तुम सर्वत्व प्रदान ?

किसने कहा दानवीरोंसे दान करो तो होगा मान ? किसने कहा संत तुलसीसे करो रामका तुम गुण-गान ? कौन कभी कहता मातासे समझो शिशुको अपना प्राण ? किसने कहा कभी बादलसे-शान्त करो धरतीकी प्यास ? किसके कहनेसे पुष्पोंसे निकला करती मधुर सुवास ? कौन प्रेरणा रविको देता स्वर्ण-किरणका दे वह दान ? कौन चन्द्रमासे कहता है, छवि छिटकाओ सुधा-समान ? किसके कहनेसे दीपकसे अश्वकारका होता नाश ? कौन कभी जलसे कहता है, शीतलता दो सुधा-सम्मान ? कोई कभी न कहता इनसे, ऐसे अनुपम काम करो ! कोई कभी न कहता इनसे, यो सेवा निष्काम करो ॥ ये सजन हैं और सज्जनोंको निशि-दिन यह चिन्ता एक

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