हजरत उस्मान बुक पीडीऍफ़ डाउनलोड हिंदी Hazrat Usman Ghani Book PDF hazrat usman ghani ki halat zindagi islamic book hindi internet archive
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जन्म, बचपन और जवानी – हजरत उस्मान –
अगर हजरत उमर रजियल्लाहु अन्हु को अपना उत्तराधिकारी चुनने में ज़्यादा मोहलत मिलती, तो निश्चित रूप से दूसरे कार्यों की तरह इस कार्य को भी सुचारू रूप से पूरा करते। फिर भी वह बड़े साहसी और दूरदर्शी व्यक्ति थे, उनकी निगाहें ताड़ चुकी थीं कि बसरा और कूफ़ा के लोगों का जोड़-तोड़ कोई अच्छा रंग पैदा करने वाला नहीं है
वह यह भी महसूस कर रहे थे कि क़ुरैश वंश का आपसी द्वेष सुखद प्रभाव न डाल पाएगा। वह यह भी समझते थे कि अब्दुर्रहमान के अलावा कोई प्रभावी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो शासन की बागडोर संभालने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर डाल सके।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का उदाहरण उनके सामने था कि प्रत्यक्ष में उन्होंने अपना उत्तराधिकारी किसी को नहीं बनाया, यह अलग बात है, संकेत यही मिल रहे थे कि हजरत अबूबक सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ही को उनका उत्तराधिकारी होना चाहिए, लेकिन ख़लीफ़ा चुनने की जिम्मेदारी तो लोगों पर ही छोड़ दी थी।
हजरत उस्मान – Hazrat Usman PDF
ऐसे में अगर अबू उबैदा रज़ियल्लाहु अन्हु जिंदा रहते तो हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु निश्चित रूप से उन्हें अपना उत्तराधिकरी बना देते। विचार किजिए कि हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु घायल हैं, तड़प रहे हैं, कमजोरी बढ़ती जा रही है, फिर भी उन्हें राष्ट्र-समुदाय का गम खाए जा रहा है, सोच रहे हैं, सोचते जा रहे हैं, न वह हज़रत जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हु के नाम पर सन्तुष्ट थे, न हज़रत साद रज़ियल्लाहु अन्हु पर।
हजरत अली रज़ियल्लाहु अन्हु उम्र में इन सबसे छोटे थे, हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु भी उनकी नजर में थे। वह दो बार अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दामाद रह चुके थे, बड़े नरम हृदयी थे, यद्यपि उनकी उम्र सत्तर के आस-पास थी, फिर भी हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु की नजर उन पर पड़ी। बहुत सोच-विचार के बाद हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने पांच आदमी ऐसे चुने जो मिलकर उनके उत्तराधिकारी का चयन करते।
अलबत्ता उनकी इच्छा थी कि हो तो चयन इसी तरह, लेकिन यह सब कुछ उनके मरने के बाद हो और मरने के बाद तीन दिन के भीतर हो तो बेहतर है।
देहान्त के बाद हजरत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा के कमरे में हर अब्दुर्रहमान इन चारों के साथ जमा हुए विचार-विमर्श हुआ और हजरत अब्दुर्रहमान ने घोषणा कर दी कि मैं अपना नाम वापस लेता हूँ।
अब अपना नाम वापस लेने का सिलसिला शुरू हुआ तो दो और ने नाम वापस ले लिए।
फिर हजरत अब्दुर्रहमान ने हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु को बुला कर बात की और कहा,
क्या आप वायदा करते हैं कि प्यारे नबी की नीतियों और परम्पराओं को यथावत बाक़ी रखेंगे,
कुरआन और हदीस को बुनियाद बनाएंगे और अल्लाह के रसूल के अब तक के उत्तराधिकारियों के पद-विहों पर चलेंगे।
हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु ने फरमाया, हां क्यों नहीं, ऐसा करने की कोशिश करूंगा।
हजरत उस्मान बुक पीडीऍफ़
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अब हजरत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु को बुलाया गया, वही प्रश्न पूछे गये। उन्होंने बड़े निर्भीक भाव से, साहस दिखाते हुए कहा, ‘मैं निश्चित रूप से ऐसा करूंगा।
हजरत अब्दुर्रहान रजियल्लाहु अन्हु ने अपना सर आसमान की तरफ उठाया और दुआ की, “ऐ मेरे मालिक और पालनहार, मेरी दुआ स्वीकार कर से और वह बोझ जो क्रीम ने खलीफा चुनने के लिए मेरे कंधों पर डाला है, मैं यह बोझ उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु के कंधों पर डालता हूं।
हजरत अब्दुर्रहमान का इतना कहना था कि सबके चेहरे खुशी से खिल उठे और हजरत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु के हाथ पर बैअत शुरू हो गई। बैअत करने वालों में हज़रत अली रजियल्लाहु अन्हु भी थे। इस तरह आप इस्लाम के तीसरे ख़लीफ़ा मुकर्रर हुए।
हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु इस्लाम के तीसरे खलीफा थे। इस्लाम लाने से पहले आप अबू अम्र के नाम से मशहूर थे। आपके पिता का नाम अनफान था। आप पांचवी पीढ़ी में हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के वंश से जा मिलते हैं। वह क़बीला बनी उमैया से ताल्लुक रखते थे, जो कबीला कुरैश का एक प्रतिष्ठित क़बीला था।
Hazrat Usman Ghani Book PDF – हजरत उस्मान बुक पीडीऍफ़
हजरत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु अल्लाह के रसूल
सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से उम्र में छः साल छोटे थे।
बचपन ही से आप नरम हृदयी, ईमानदार और लोकप्रिय थे।
बचपन में लिखना पढ़ना सीखने के बजाए बड़े होकर सीखा
बड़े होने के बाद आपने व्यापार का काम शुरू किया।
आप बड़े सप व्यापारी थे। हजरत अबूक रजिया से आपकी बड़ी गहरी दोस्ती थी.
यहां तक कि एक दूसरे से अपने दिल की बात भी कह देने में कोई संकोच न करते थे।
जब प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने रसूल होने का एलान किया
उस समय हजरत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु 34 वर्ष के थे।
हजुर सल्ला अलैहि व सल्लम का सन्देश अबू बक सिटीक रजियल्लाहु अन्हु ही लेकर हजरत उस्मान के पास पहुंचे थे।
हजरत उस्मान का बयान – हजरत उस्मान बुक पीडीऍफ़
एक दिन तलहा जिन उबैदुल्लाह और हजरत उस्मान प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सेवा में उपस्थित हुए। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इन दोनों को एक अल्लाह के होने, मरने के बाद दोबारा उठाए जाने और अपने रसूल बनाए जाने का उल्लेख किया, तो इन दोनों ने बिना संकोच के इस्लाम अपना लिया। हजरत उस्मान उन दिनों शाम के सफ़र से वापस आए थे। आपने बातों-बातों में कहा कि मैं वहा से जब वापस आ रहा था, तो रास्ते में दिन ढलते ही मैं एक दिन सो गया। मुझे किसी ने आवाज दी, ‘उठो, मुहम्मद मक्का में आ पहुंचे हैं।
फिर आपने इस्लाम स्वीकार कर लिया।
उनका मुसलमान क्या होना था कि
हजरत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु के चचा हाकिम ने
जो हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का घोर विरोधी था,
उसने हज़रत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु के हाथ-पांव रस्सी से बांध दिए
आपको बहुत मारा और कहा, इस्लाम से फिर जाओ।
लेकिन आपने साफ़ इंकार कर दिया और कहा कि अगर मेरी जान भी निकल जाए,
तो भी इससे फिरने वाला नहीं।
हजरत उस्मान का जीवन परिचय
हजरत उस्मान का जीवन परिचय-
जब अबू लहब ने हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रति थोर द्वेष, घृणा और
बुरे भाव रखने की वजह से, अपने बेटे उत्चा से कहकर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व
सल्लम की बेटी हजरत रुकैया को तलाक दिलवा दी, तो यह हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु ही थे,
जिन्होंने हजरत रुक्रेया रजियल्लाहु अन्हा से विवाह कर लिया।
विरोधियों और शत्रुओं ने जब मुसलमानों पर दमन-चक चलाया
और मुसलमानों का जीना दूभर कर दिया, तो हज़रत उस्मान जैसे
प्रभावी और साहसी पुरुष को अपनी पत्नी रुकैया के साथ मक्का शहर छोड़ना पड़ा.
इस तरह हजरत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु उन शुरू के लोगों में से हैं,
जिन्हें जुल्म व सितम की ज़्यादती सहन न कर पाने के कारण मक्का त्याग करना पड़ा और हिजरत कर ली।
फिर आप कई साल तक अबी सीना में ठहरे रहे और जब वापस आए तो
दूसरे सहाबियों (साथियों) के साथ मदीना तशरीफ ले गए।
फिर एक सामान्य मुसलमान की तरह जीवन के दिन बिताने लगे।
हजरत अबूबक रजियल्लाहु अन्हु और हजरत उमर रजियल्लाहु अन्हु के खिलाफत-काल में
आप ख़लीफ़ा के मुशीर (जिनसे मंत्रणा की जाए) भी रहे, महत्वपूर्ण मामलों में आपसे मुश्विरे भी लिए जाते।
हजरत उमर रजियल्लाहु अन्हु के शहीद कर दिए जाने के बाद
हज़रत उस्मान रजियल्लाहु अन्हु पर सबकी निगाहें जमी हुई थी,
अन्ततः वह खलीफा चुनने वाली कमेटी के ज़रिए ख़लीफ़ा मनोनीत कर दिए गए।
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