हजरत मुहम्मद और धार्मिक ग्रन्थ पीडीऍफ़ Free Download

हजरत मुहम्मद और धार्मिक ग्रन्थ पीडीऍफ़ hazrat muhammad aur dharmik granth PDF FREE DOWNLOAD IN HINDI वेदों में पैगंबर मुहम्मद वेदों में इस्लाम By डा 0 एम ए श्रीवास्तव

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हजरत मुहम्मद और धार्मिक ग्रन्थ

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मुहम्मद (सल्ल०) और वेद

वेदों में नराशंस या मुहम्मद के आने की भविष्यवाणी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है, बल्कि धार्मिक ग्रन्थों में ईशदूतों (पैग़म्बरों) के आगमन की पूर्व सूचना मिलती रही है। यह जरूर चमत्कारिक बात है कि हजरत मुहम्मद (सल्ल०) के आने की भविष्यवाणी जितनी अधिक धार्मिक बन्यों में की गई है

उतनी किसी अन्य पैग़म्बर के बारे में नहीं की गई। ईसाइयो, यहूदियों और बौद्धों के धार्मिक ग्रन्थों में हजरत मुहम्मद (सल्ल०) के अंतिम ईशदूत के रूप में आगमन की भविष्यवाणियों की गई है।

वेदों का नराशंस’ शब्द ‘नर’ और ‘आशंस’ दो शब्दों से मिलकर बना है। नर का अर्थ मनुष्य होता है और ‘आशंस’ का अर्थ ‘प्रशंसित’ सायण ने नराशंस’ का अर्थ ‘मनुष्यों द्वारा प्रशंसित’ बताया है।”

यह शब्द कर्मधारय समास है, जिसका विच्छेद नरश्वासी आशंस’ अर्थात प्रशंसित मनुष्य होगा। डा० बेट प्रकाश उपाध्याय कहते हैं कि “इसी लिए इस शब्द से किसी देवता को भी न समझना चाहिए।

नराशंस’ शब्द स्वत: ही इस बात को स्पष्ट कर देता है कि ‘प्रशंसित’ शब्द जिसका विशेषण है, वह मनुष्य है। यदि कोई “नर’ शब्द को देववाचक माने तो उसके समाधान में इतना स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि ‘नर’ शब्द न तो देवता का पर्यायवाची शब्द ही है और न तो देवयोनियों के अंतर्गत कोई विशेष जाति।

हजरत मुहम्मद और धार्मिक ग्रन्थ इन हिंदी

‘नर’ शब्द का अर्थ मनुष्य होता है, क्योंकि ‘नर’ शब्द मनुष्य के पर्यायवाची शब्दों में से एक है। नराशंस’ की तरह ‘मुहम्मद’ शब्द का अर्थ ‘प्रशंसित’ होता है।

‘मुहम्मद’ शब्द ‘हम्द’ धातु से बना है, जिसका अर्थ प्रशंसा करना होता है। ऋग्वेद में ‘कीरि’ नाम आया है, जिसका अर्थ है ईश्वर प्रशंसक । अहमद शब्द का भी यही अर्थ है अहमद, मुहम्मद साहब का एक नाम है।”

वेदों में वेद सबसे पुराना है। उसमें ‘नराशंस’ शब्द से शुरू होनेवाले आठ मंत्र है। करवेद के प्रथम मंडल, 13वें सूक्त, तीसरे मंत्र और 18वें सूक्त, नवें मंत्र तथा 106 वें सूक्त, नौथे मंत्र में ‘नराशंस’ का वर्णन आया है। ऋग्वेद के द्वितीय मंडल के तीसरे सूक्त, दूसरे मंत्र, वें मंडल के पाँचवें सूक्त, दूसरे मंत्र, सातवें मंडल के दूसरे सूक्त, दूसरे मंत्र 10वें, मंडल के 64वें सूक्त, तीसरे मंत्र और 142वें सूक्त, दूसरे मंत्र में भी ‘नराशंस’ विषयक वर्णन आए हैं।

सामवेद संहिता के 131 मंत्र में और वाजसनेयी संहिता के 28वें अध्याय के 7वें मंत्र में भी ‘नराशंस के बारे में ज़िक्र आया है। तैत्तिरीय आरण्यक और शतपथ ब्राह्मण ग्रन्थों के अलावा यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में भी ‘नराशंस’ का उल्लेख किया गया है।

‘नराशंस’ की चारित्रिक विशेषताओं की हज़रत मुहम्मद (सल्ल) से साम्यता

वेदों में ‘नराशस’ की स्तुति किए जाने का उल्लेख है। वैसे ऋग्वेद काल या कृतयुग में यज्ञों के दौरान ‘नराशंस’ का आह्वान किया जाता था। इसके लिए ‘प्रिय’ शब्द का इस्तेमाल होता था। ‘नराशंस’ की चारित्रिक विशेषताओं की हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) से तुलना इस प्रकार है—

वाणी की मधुरता

  • ऋग्वेद में ‘नराशंस को ‘मधुजिह’ कहा गया है
  • यानी उसमें वाणी की मधुरता होगी।
  • मधुर भाषिता उसके व्यक्तित्व की खास पहचान होगी
  • सभी जानते हैं कि मुहम्मद (सल्ल०) की वाणी में काफ़ी मिठास थी।

अप्रत्यक्ष ज्ञान रखनेवाला

  • नरास’ को अप्रत्यक्ष ज्ञान रखनेवाला बताया गया है।
  • इस ज्ञान को रखनेवाला कवि भी कहलाता है।
  • ऋग्वेद संहिता में ‘नराशंस’ को कवि बताया गया है।
  • मुहम्मद (सल्ल०) को अल्लाह ने कुछ अवसरों पर परोक्ष बातों को जानकारी प्रदान की थी
  • अत: पैग़म्बरे इस्लाम (सल्ल०) ने रोमियों और ईरानियों के युद्ध में रूमियों की हार
  • और नव वर्ष के अंदर ही रूमियों की होनेवाली विजय की पूर्व जानकारी दी थी।
  • नैनवा की लड़ाई में रूमियों की जीत 657 ई० में हुई थी।
  • पवित्र कुरआन की सूरा रूम इसी से सम्बन्धित है।
  • रूमियों की पराजय के पश्चात पुनः विजय प्राप्त कर लेने का उल्लेख आया है।
  • इसके साथ ही निकट भविष्य में इनकार करनेवालों पर मुसलमानों के विजयी होने की भविष्यवाणी की गई है।
  • वे ईश्वर को सबसे अधिक प्यारे और उसे जाननेवाले थे।
  • वे नबी थे 1 ‘नवी’ शब्द ‘नवा’ धातु से बना हुआ शब्द है, जिसका अर्थ सन्देश देनेवाला होता ।
  • आप (सल्ल०) ईश्वर के सन्देशवाहक थे।
  • आचार्य रजनीश के शब्दों में “आप ईश्वर तक पहुँचने की ‘बाँसुरी’ हैं जिसमें फूँक किसी और की है।

सुन्दर कान्ति के धनी

  • नराशंस को सुन्दर कान्तिवाला बताया गया है।
  • इस विशेषता का उल्लेख करते हुए ऋग्वेद में ‘स्वर्चि’ शब्द आया है।
  • ‘स्वर्चि’ शब्द का विच्छेद है ‘शोभना अर्थिर्यस्य सः’ यानी सुन्दर दीप्ति या कान्ति से युक्त ।
  • इस शब्द का तात्पर्य यह है कि इतने सुन्दर स्वरूप का व्यक्ति जिसके चेहरे से रौशनी-सी निकलती हो।
  • ऋग्वेद में ही बता दिया गया कि वह अपने महत्व से घर-घर को प्रकाशित करेगा।
  • स्पष्ट है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) ने घर-घर में ज्ञान की ज्योति जलाई,
  • अज्ञान को खत्म कर दिया और अंधकार में भटक रहे लोगों को नई रौशनी दी।

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